लकवा पीड़ित थी मां, इलाज के लिए नहीं थे पैसे… परेशान बेटे ने उठाया खौफनाक कदम

उज्जैन के कायथा थाना क्षेत्र में एक बेटे ने अपनी बीमार मां की हत्या कर दी. रामेश्वर ने लकवे से पीड़ित अपनी 85 वर्षीय मां सुंदरबाई से विवाद के बाद धारदार हथियार से हमला कर उनकी हत्या कर दी. घटना के समय घर में कोई नहीं था.
मध्य प्रदेश के उज्जैन में कायथा थाना क्षेत्र में आज एक दिल दहलाने वाली घटना हुई जिसमें एक बेटे ने बीमारी से परेशान अपनी मां के साथ पहले विवाद किया और बाद में धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी. घटनाक्रम की जानकारी जब परिवार के अन्य सदस्यों को लगी तो उन्होंने तुरंत पुलिस को इस बात की सूचना दी. जिसके बाद महज कुछ घंटों में ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.
पूरे मामले की जानकारी देते हुए कायथा थाना पुलिस ने बताया कि कायथा थाना क्षेत्र के ग्राम जवासिया कुमार में रहने वाले रामेश्वर पिता जगन्नाथ उम्र 50 साल ने अपनी मां सुंदर बाई पति जगन्नाथ उम्र 85 साल पर धारदार हथियार से हमला कर उसकी हत्या कर दी. हत्या करने का मुख्य कारण मृतका सुंदर बाई की लकवे की बीमारी थी. जिसके कारण वह पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं. आज भी घटना के दौरान रामेश्वर और सुंदरबाई का विवाद हुआ जिसके बाद रामेश्वर ने सुंदरबाई पर जानलेवा हमलाकर उसे मौत के घाट उतार दिया.
इस मामले में थाना कायथा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर तुरंत गिरफ्तार कर लिया. साथ ही आरोपी के कब्जे से घटना में प्रयुक्त लोहे के धारदार हथियार (दराते) को भी जब्त कर लिया गया है. आरोपी को कल कोर्ट में पेश किया जाएगा.
घर पर नहीं था कोई
जानकारी के अनुसार जिस समय इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस समय आरोपी रामेश्वर की पत्नी गांव में हो रही सत्संग सुनने के लिए गई थी. जबकि उसके बेटे-बहु भी किसी काम से बाहर थे. इस हत्याकांड का पता उस समय लगा जब रामेश्वर की पत्नी सत्संग सुनने के बाद घर पहुंची और उसने अपनी सास सुंदर बाई का लहू लुहान शव देखा. घर में लाश देखकर रामेश्वर की पत्नी चीखी-चिल्लाई, जिसके तुरंत बाद पड़ोसी उनके घर पर पहुंचे और इस बात की जानकारी कायथा थाना पुलिस को दी. आरोपी के खिलाफ पहले से ही तीन अपराधिक मामले दर्ज हैं.
घटना के बाद मचा हड़कंप
वहीं इस हत्याकांड के बारे में जिसने भी सुना वह दंग रह गया. गांव में इस बात की चर्चा थी कि भले ही सुंदर भाई को लकवा से संबंधित परेशानियां थीं लेकिन अगर उनका बेटा रामेश्वर इलाज करवा कर परेशान भी हो गया था तो उसे ऐसा कदम नहीं उठाना था. परिवार के अन्य सदस्य भी सुंदर भाई की सेवा कर सकते थे.