‘आलसी हूं… मैंने बेटी को नहीं मारा है, वो खुद ही बिस्तर पर पड़े-पड़े मर गई’
कायलिया टिटफोर्ड की मौत उसके वजन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से हुई. अक्टूबर 2020 में उसको घर में बिस्तर पर मृत पाया गया था.
ब्रिटेन की एक अदालत ने कोरोना काल में 16 साल की बेटी के कत्ल के आरोपी पिता को दोषी करार दिया है. बेटी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसका वजन बहुत ज्यादा था. वह चलने फिरने में नाकाम थी. घर के भीतर बिस्तर पर उसकी लाश किसी जानवर की लाश की तरह पड़ी हुई थी. लाश पर कीड़े भिनभिना रहे थे. इन सबसे ज्यादा पुलिस को जिस बात पर हैरत हुई, वह यह थी कि बेटी के कत्ल के मुजरिम पिता ने बेटी को हाथ लगाए बिना ही ‘कत्ल’ कर दिया था. बेटी के इस तरह अजीब-ओ-गरीब ढंग से किए गए कत्ल की कहानी दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है.
कत्ल की गई बदनसीब बेबस बेटी का नाम कायली टिटफोर्ड था, जबकि उसके पिता का नाम अलुन उर्फ एलन टटफोर्ट है. घटना अक्टूबर 2020 की है, जब दुनिया कोविड-19 की पहली लहर से तबाह हो रही थी. पिता द्वारा ही कत्ल कर डाली गई कायली उर्फ कायला टिटफोर्ड का वजन घटना के वक्त करीब 146 किलो था. जिस हाल में उसकी लाश घर के भीतर बिस्तर पर सड़ी-गली हालत में पाई गई, वो हाल देखकर पुलिस की रुह कांप गई, क्योंकि कायली का कमरा गंदगी और बदबू से भरा हुआ था, जहां कोई जानवर भी न ठहर सकता हो.
कोर्ट में जब आरोपी पिता से पूछा गया कि उसने अपनी लाचार 16 साल की बेटी को इस तरह मौत के मुंह में जाने पर मजबूर क्यों किया? तो मुजरिम पिता ने कहा,“मैं एक आलसी इंसान हूं और अपनी वजनदार बेटी की मदद कर पाने में पूरी तरह असमर्थ था. मैंने बेटी को नहीं मारा है. वो तो खुद ही बिस्तर पर पड़े पड़े मर गई. मैं कत्ल का दोषी नहीं हूं.” मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोषी पिता अलुन टिटफोर्ड की इन तमाम दलीलों को मानने से जूरी ने इनकार कर दिया और पिता को बेटी के कत्ल का मुजरिम करार दिया.
कोर्ट में पेश मुकदमे की सुनवाई के दौरान लंदन पुलिस यह साबित करने में कामयाब रही कि जिस तरह से लड़की की लाश जानवरों से भी बदतर हालातों में सड़ती हुई बरामद की गई, उस डरावनी मौत और बेटी के कत्ल के लिए उसका पिता ही जिम्मेदार है. मुजरिम पिता ने कोर्ट में सुनवाई को दौरान यह भी दलील देकर बचने की कोशिश की कि वह बेटी की मौत में लापरवाही का भी जिम्मेदार नहीं है. हालांकि इस सनसनीखेज कत्ल की वारदात में मुख्य आरोपी रहे अलुन टिटफोर्ड की महिला साथ 39 साल की सारा लॉयड जोन्स को कोर्ट पहले ही मुजरिम करार दे चुकी है. यूके की मोल्ड क्राउन कोर्ट में पेश मुकदमे के मुताबिक, कैलिया टिटफोर्ड स्पाइना बिफिडा नाम की घातक बीमारी से पीड़ित थी. स्पाइना बिफिडा एक तंत्रिका ट्यूब दोष की बीमारी है, जिसमें रीढ़ की हड्डी के स्तंभ के बंद होने के चलते यह समस्या पैदा होती है.
यह बीमारी बच्चे में मां के गर्भाधान अवधि में ही पैदा हो जाती है. जिसके चलते बच्चे में सामान्य से अलग कई तरह की विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं. इसी गंभीर बीमारी के चलते पीड़िता व्हीलचेयर का इस्तेमाल किया करती थी. उसे शरीर के कई हिस्सों में सूजन और बढ़े हुए बेतहाशा वजन के चलते बिस्तर से हिलना-डुलने तक में परेशानी थी. घर में जानवरों के तबेले से भी ज्यादा बदहाली में पड़ी कायली के बारे में पता लगने पर इमरेजेंसी सेवा के अधिकारी-कर्मचारी 10 अक्टूबर 2020 को उसके घर पहुंचे थे. कोर्ट मुकदमे के ट्रायल के दौरान जूरी को बताया गया था कि कायली की मौत के बाद उसके शव में कीड़े पड़ चुके थे. उसके बिस्तर की चादर और कमरे से असहनीय बदबू आ रही थी. कमरे में पेशाब से भरी कई बोतलें भी पाई गईं, जो संभवतय: कायली के ही पेशाब से भरी हुई हो सकती हैं. क्योंकि वो अपने बिस्तर से हिल पाने की हालत में भी नहीं थी.
बेबस लाचार बेटी के कत्ल के मुकदमे की सुनवाई कर रही कोर्ट को बताया गया था कि, कायलिया ने मौत से कुछ महीने पहले न्यूटाउन हाई स्कूल में आयोजित एक समारोह में भाग लिया था, जहां उसने कर्मचारियों और बाकी लोगों को खूब हंसाया था. उसके बाद मार्च 2020 में दुनिया को कोरोना ने घेर लिया, जिसके चलते फिर किसी ने दुनिया में कायली को जिंदा नहीं देखा. और उसकी मौत की ही खबर जमाने में पहुंची. टिटफोर्ड दंपत्ति के परिवार में कायला को मिलाकर छह बच्चे थे.
जूरी के सामने अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि कायला ने अपने व्हीलचेयर का इस्तेमाल नहीं किया, जो लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से उसके लिए बहुत छोटा हो गया था. क्योंकि उसका वजन लॉकडाउन में काफी ज्यादा बढ़ चुका था. अभियोजन पक्ष की कैरोलिन रीस केसी ने टिटफोर्ड से पूछा: “वह बिस्तर से दूर आखिर क्यों नहीं जा पाती थी?” टिटफोर्ड ने कहा कि, “यह बात गलत है कि उसकी बेटी बिस्तर से नहीं उठ पाती थी. बेटी कायला को उसने व्हीलचेयर पर एक दिन रसोई में देखा था. उसके बाद उसे उसने कभी बिस्तर से दूर नहीं देखा.” अदालत को यह भी बताया गया कि, मौत से कुछ दिन पहले तक कायलिया की फिजियोथेरेपी और डायटेटिक्स सर्विसेज भी परिवार वालों ने बंद कर दी थीं.
उसे आखिरी बार साल 2017 में घर के भीतर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने देखा था. कानूनी रूप से बेटी के कत्ल की जिम्मेदारी का फंदा गले में पड़ता देख कत्ल के आरोप से बचने को अलून टिटफोर्ड ने कहा कि बेटी की देखरेख का जिम्मा सामुदायिक देखभाल कार्यकर्ता लॉयड-जोन्स की थी. इसलिए लापरवाही से हुई मौत के लिए लॉयड जोन्स ही जिम्मेदार है. कोर्ट में बहस के दौरान खुद को फंसा देखकर आरोपी पिता ने बेटी की अकाल मौत के लिए पत्नी को भी जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की.
न्यायाधीश जस्टिस ग्रिफिथ्स ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि यह मामला हिरासत की दहलीज से गुजरता है.” जूरी ने अंतत: मान लिया कि आरोपी पिता के खिलाफ जांच एजेंसी ने तमाम गवाह और मजबूत सबूत पेश किए हैं, जो अलून टिटफोर्ड (पिता) को मुजरिम करार देने के लिए काफी हैं. साथ ही मामले की जांच करने वाली टीम के प्रमुख रहे इंस्पेक्टर जोनाथन रीस ने कहा, “कायलीया की मौत की परिस्थितियां दुखद थीं. उसके माता-पिता को अपने शेष जीवन के लिए उस भूमिका के साथ रहना होगा, जो उन्होंने अपनी बेटी के साथ उस हद तक निभाईं, जिसके चलते 16 साल की बेटी अकाल मौत मर गई.” पिता अलून टिटफोर्ड और कायलीया की देखरेख करने वाले लॉयड-जोन्स को आगामी 1 मार्च को क्राउन कोर्ट में सजा सुनाई जाएगी.