जज रहने के काबिल नहीं… बांदा CJM पर इलाहाबाद होई कोर्ट ने क्यों की तल्ख टिप्पणी?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बांदा सीजेएम के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह जज रहने के काबिल नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपने हितों को साधने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है. हाई कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर को भी खारिज किया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बांदा के सीजेएम के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि भगवान दास गुप्ता जज बने रहने के काबिल नहीं है. हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि जज की तुलना किसी अन्य अधिकारी से नहीं की जा सकती है क्योंकि ये लोकसेवक और न्यायिक अधिकारी नहीं बल्कि जज हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जज को भारतीय संविधान से संप्रभु शक्ति इस्तेमाल करने का अधिकार मिला है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस राहुल चतुर्वेदी और जस्टिस एमएएचज इदरीसी की डिविजन बेंच ने सीजेएम के खिलाफ याचिका को स्वीकार किया है. यह याचिका बिजली विभाग अलीगंज, लखनऊ के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार गुप्ता के साथ एसडीओ फैजुल्लागंज, दीपेंद्र सिंह और संविदा कर्मी राकेश प्रताप ने लगाई है. याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि अधीनस्थ अदालत का कोई भी जज बिना जिला जज की सहमति के या उन्हें विश्वास में लिए मुकदमा नहीं लिखा सकते हैं. सिर्फ गंभीर मामले में ही ऐसा किया जा सकता है.
कोर्ट ने इस आदेश को सभी कोर्ट में सर्कुलेट करने के लिए ऑर्डर दिया है. हाई कोर्ट की बेंच ने जजों के पद की गरिमा, आदर्श और व्यक्तित्व का उल्लेख करते हुए सीजेएम बांदा भगवान गुप्ता के आचरण को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. बेंच ने कहा कि बकाया बिजली बिल के भुगतान की कानूनी जंग हारने के बाद सीजेएम ने बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सबक सिखाने के उद्देश्य से मुकदमा दर्ज कराया था. हाई कोर्ट ने इस एफआईआर को रद्द किया है. पूरे मामले में कोतवाली बांदा के पुलिस अधिकारी ने सीजेएम की पोल खोली है.
क्या है मामला
दरअसल पूरा मामला बांदा के सीजेएम से तब जुड़ा जब उन्होंने लखनऊ के अलीगंज में मकान खरीदा था. मकान खरीदने के बाद पता चला कि उस मकान पर लाखों रुपये का बिजली बिल बकाया है. जब बिजली विभाग ने वसूली के लिए नोटिस भेजा तो सीजेएम ने बिजली विभाग और मकान बेचने वाले दोनों को घेर लिया. कोर्ट में दोनों के खिलाफ कंप्लेंट दाखिल कर दिया. इसके बाद लखनऊ अपर सिविल जज ने समन भी जारी किया था जिसे वापस ले लिया गया था.
इस पूरे मामले में सीजेएम ने हाई कोर्ट तक कानूनी लड़ाई में हार का सामना किया है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा है कि उन्होंने अपने हित के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है. हाई कोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि 14 साल में सीजेएम ने सिर्फ 5 हजार रुपये ही बिजली बिल भरा है. इस पर उन्होंने दलील दी थी कि वह सोलर पावर का इस्तेमाल कर रहे हैं.