कर्पूरी ठाकुर के बेटे, नीतीश करीबी… कौन हैं रामनाथ ठाकुर जो बनेंगे मंत्री
जेडीयू ने मंत्री पद के लिए रामनाथ ठाकुर का नाम आगे बढ़ाया, जोकि अब मोदी सरकार के मंत्रियों की टीम में नजर आने वाले हैं. रामनाथ ठाकुर का कहना है कि वे नीतीश कुमार के कामों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. जेडीयू नेताका जन्म 3 मार्च 1950 को हुआ है. वह 74 साल के हैं. ठाकुर बिहार के सस्तीपुर के रहने वाले हैं.
नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने करने जा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने कई नेताओं को चाय पर बुलाया है. बताया गया है कि पीएम मोदी जिन नेताओं के साथ चाय पर बातचीत करेंगे वे सभी मंत्री बनने वाले हैं. इन्हीं में से एक जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता रामनाथ ठाकुर भी शामिल हैं. वह राज्य सभा सांसद हैं और बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं. जेडीयू ने मंत्री पद के लिए रामनाथ ठाकुर का नाम आगे बढ़ाया, जोकि अब मोदी की कैबिनेट में नजर आने वाले हैं.
रामनाथ ठाकुर ने मंत्री पद ऑफर होने के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कहा,’मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने और बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने मेरे जैसे छोटे आदमी पर भरोसा जताया. मैं उस भरोस पर पानी फेरने का काम नहीं करूंगा, उनके कामों को आगे बढ़ाने का काम करूंगा. उनके हाथों को मजबूत करूंगा.’
कौन हैं रामनाथ ठाकुर?
जेडीयू नेता रामनाथ ठाकुर का जन्म 3 मार्च 1950 को हुआ है. वह 74 साल के हैं. ठाकुर बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं और एक नाई जाति से आते हैं. रामनाथ की एक बड़ी पहचान उनके पिता कर्पूरी ठाकुर भी हैं, जिन्हें इस साल केंद्र सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया. रामनाथ ठाकुर बिहार विधान परिषद के भी सदस्य रह चुके हैं और लालू प्रसाद की सरकार में गन्ना उद्योग मंत्री भी रहे. इसके बाद नवंबर 2005 से नवंबर 2010 तक नीतीश कुमार की कैबिनेट में राजस्व और भूमि सुधार, कानून, सूचना और जनसंपर्क मंत्री का कार्यभार संभाला था. इसके बाद वह नीतीश के सबसे भरोसेमंद नेताओं की लिस्ट में शामिल हो गए.
रामनाथ ठाकुर को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है. उनकी अपने पिता कर्पूरी ठाकुर की तरह ही अति पिछड़ा वर्ग के लोगों के बीच अच्छी खासी पकड़ है. यही नहीं, उनका प्रभाव अन्य पिछड़ी जातियों पर भी है. बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के करीब 2 फीसदी लोग हैं, जो किसी भी उम्मीदवार का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं.