एक चिप्स बेचने वाले ने सहारा, सेबी जैसे दिग्गजों को किया खामोश, असंभव को ऐसे कर दिखाया संभव

एक चिप्स बेचने वाले ने सहारा, सेबी जैसे दिग्गजों को किया खामोश, असंभव को ऐसे कर दिखाया संभव

सहारा-सेबी में जमा शेष राशि में से सहारा ग्रुप की सहकारी समितियों के निवेशकों को धनवापसी के लिए 5,000 करोड़ रुपए केंद्रीय रजिस्ट्रार को ट्रांसफर किए जाएंगे.

देश की दिग्गज कंपनी सहारा को एक चिप्स बेचने वाले पिनाक पानी मोहंती ने एक झटका दिया है. जिसकी वजह से निवेशकों को काफी राहत मिली है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दायर एक जनहित याचिका में सहारा को 5000 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया है. सहारा-सेबी में जमा शेष राशि में से सहारा ग्रुप की सहकारी समितियों के निवेशकों को धनवापसी के लिए 5,000 करोड़ रुपए केंद्रीय रजिस्ट्रार को ट्रांसफर किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त रिटायर्ड जज आर सुभाष रेड्डी की देखरेख में और एडवोकेट गौरव अग्रवाल की सहायता से केंद्रीय रजिस्ट्रार नौ महीने में भुगतान प्रक्रिया को पूरा करेंगे.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिनाक पानी मोहंती ने ताकतवर सहारा ग्रुप के खिलाफ असंभव को संभव कर दिया और अपने कई विरोधियों को भी धूल चटा दी. जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे शक्तिशाली रेग्युलेटर शामिल हैं, जो उन्हें कोर्ट के माध्यम से लंबी मुकदमेबाजी में फंसाते हैं. लेकिन अब सेबी और सहारा ग्रुप दोनों खामोश हो गए हैं.

मोहंती का कहना है कि वह कटक में आलू के चिप्स की सप्लाई के कारोबार में है, वह 2014-15 से नकली निवेश योजनाओं में निवेशकों की दुर्दशा पर बारीकी से नजर रख रहा था. वह हर साल लगभग 3.15 लाख रुपए कमाता है. पिछले हफ्ते सहारा के लाखों निवेशकों की उम्मीदें जगाने वाले शख्स ने कहा कि मेरा अनुरोध सहारा ग्रुप की चार सहकारी समितियों की सीबीआई जांच की मांग कर रहा था. मैं उम्मीद नहीं कर रहा था कि सरकार इस तरह के हस्तक्षेप करेगी या कोर्ट सहारा निवेशकों के लिए इतनी राशि के लिए आदेश देगी.

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पूरी तरह से संतुष्ट नहीं मोहंती

मोहंती का कहना है कि वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं, भले ही मान लें कि राशि अलग-अलग राज्यों में समान रूप से वितरित की जाती है, ओडिशा में निवेशकों को कम से कम कुछ 200 करोड़ 300 करोड़ रुपए मिलेंगे. हालांकि, मैं चाहता हूं कि कोर्ट ओडिशा की 44 कंपनियों के खिलाफ भी इसी तरह के फैसले ले. मोहंती और उनके सामाजिक कार्यकर्ता दोस्तों ने 2015 से इन 44 कंपनियों के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का काम किया था. इन कंपनियों में रोज वैली, शारदा और सीशोर जैसे नाम शामिल हैं.

2015 में एक ऑडियो सीडी थी, जिसमें सीशोर के सीएमडी प्रशांत दाश ने कहा था कि सत्ताधारी पार्टी के 47 सदस्यों ने सीशोर से 550 करोड़ रुपए लिये. मैंने सीबीआई को ऑडियो दिया था. इसमें शामिल कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था. मोहंती ने अपने स्टिंग ऑपरेशन को याद करते हुए कहा कि विभिन्न एजेंसियों के पास कई शिकायतें करने, न्यायिक आयोगों की नियुक्ति और कई हजार करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त करने के बावजूद, निवेशकों को ज्यादा राहत नहीं मिली क्योंकि कार्यवाही एक साथ वर्षों तक चलती रही.

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इस वजह से किया था सुप्रीम कोर्ट रुख

मोहंती ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि जांच कई वर्षों से जारी है, लेकिन गरीब लोग और मजदूर वर्ग पीड़ित हैं और आत्महत्या कर रहे हैं. हालांकि इतना पैसा जब्त कर लिया गया है, निवेशकों को कुछ भी नहीं दिया गया. रोज वैली, सहारा से हजारों करोड़ रुपए एकत्र किए गए हैं लेकिन निवेशकों को बहुत कुछ नहीं दिया गया है. यह पत्र पीएमओ द्वारा जनवरी 2022 में मुख्य सचिव, ओडिशा को भेजा गया था. इसके बाद बात सामने आई कि सीबीआई काउंटर दाखिल कर रही है. (मेरी याचिका पर) कह रही है कि गिरफ्तारी नहीं की जा सकती क्योंकि ये शक्तिशाली लोग हैं. इसलिए मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया था.