हरियाणा में अनिल विज के साथ हो गया खेल! मुख्यमंत्री की दावेदारी करते-करते पुराना मंत्रालय भी खो बैठे

हरियाणा में अनिल विज के साथ हो गया खेल! मुख्यमंत्री की दावेदारी करते-करते पुराना मंत्रालय भी खो बैठे

हरियाणा में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में अनिल विज के साथ खेला हो गया. मुख्यमंत्री की दावेदारी करते-करते वो अपना पुराना मंत्रालय भी खो बैठे हैं. विज खट्टर की सरकार में गृह मंत्री थे लेकिन नायब की नई सरकार में उन्हें गृह मंत्रालय नहीं दिया गया है. जानें उन्हें क्या मिला?

हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है. मगर इस बंटवारे में मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश करने वाले अनिल विज के साथ खेला हो गया है. वो अपना पुराना मंत्रालय भी खो बैठे हैं. नायब की नई सरकार में विज को तीन विभागों की जिम्मेदारी मिली है, जिसमें गृह मंत्रालय शामिल नहीं है. गृह मंत्रालय सीएम सैनी खुद अपने पास रखे हैं.

अनिल विज को ट्रांसपोर्ट, लेबर और एनर्जी मंत्रालयों की कमान दी गई है. दरअसल, विज पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार में गृह मंत्री थे लेकिन जब उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया तो नायब सिंह सैनी को हरियाणा की कमान सौंपी गई. इसको लेकर विज नाराज हो गए. उनकी चाहत थी कि वरिष्ठता के आधार पर उन्हें सीएम पद की जिम्मेदारी मिले. मगर बीजेपी हाईकमान ने ऐसा नहीं किया.

अनिल विज के साथ हो गया खेल!

इसके बाद विज ने विधायक दल की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया और गृह मंत्रालय भी छोड़ दिया और सैनी कैबिनेट में शामिल भी नहीं हुए. उसके बाद से विज लगातार नाराज ही चल रहे थे. उनकी चाहत हमेशा से सीएम बनने की थी. गाहे बगाहे उन्होंने कइयों बार इस बात का जिक्र किया. हाल ही चुनाव से पहले तक उन्होंने सीएम पद की दावेदारी पेश की थी. सीएम पद को लेकर जब उनसे पूछा गया कि तो उन्होंने कहा था कि पार्टी में मैं सबसे बरिष्ठ हूं, अगर हाईकमान ने चाहा तो अगली मुलाकात सीएम आवास पर ही होगी. हालांकि, वैसा कुछ नहीं हुआ.

आठ अक्टूबर को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत मिली. बीजेपी ने हरियाणा ने जीत की हैट्रिक लगाई है. पिछले 10 से हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. बीजेपी को 48 सीटें मिलीं. हरियाणा में नई सरकार के गठन को लेकर विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में नायब सिंह सैनी को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया और राज्य की कमान एक बार फिर से उन्हीं को सौंपने का फैसला किया गया.