मुंबई का सुपरकॉप प्रदीप शर्मा फर्जी एनकाउंटर में कैसे फंसा? कहानी लखन भैया केस की

मुंबई का सुपरकॉप प्रदीप शर्मा फर्जी एनकाउंटर में कैसे फंसा? कहानी लखन भैया केस की

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को लंबे समय बाद लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुपर कॉप और ड्यूटी के दौरान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले प्रदीप शर्मा को भी दोषी करार दिया है.

11 नवंबर 2006 को मुंबई पुलिस ने छोटा राजन गैंग के संदिग्ध सदस्य रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया को गैंगस्टर एक्ट लगने के बाद गिरफ्तार किया था. यह दिन फर्जी एनकाउंटर के लिए पुलिस को शर्मसार कर गया. लखन भैया को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली के वर्सोवा इलाके में नाना-नानी पार्क के पास उसका एनकाउंटर किया गया. पुलिस ने बताया कि लखन भैया ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था जिसके बाद जवाबी फायरिंग की गई और लखन भैया की मौत हो गई.

लखन भैया की मौत के बाद मुंबई पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का गंभीर आरोप लगा. वहीं यह केस सेशन कोर्ट तक जा पहुंचा. सेशन कोर्ट ने एक-एक कर सभी गवाहों और संदिग्धों की बात सुनी. इस दौरान कोर्ट में सबूत भी पेश किए. सबूतों के आधार पर सेशन कोर्ट ने पुलिस टीम के 13 पुलिसकर्मियों समेत 8 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और सुपर कॉप प्रदीप शर्मा जो इस टीम का उस समय नेतृत्व कर रहे थे, उन्हें कोर्ट ने इस मामले में बरी कर दिया था.

अहम गवाह की हुई हत्या

बताया जाता है कि लखन भैया के साथ हुई मुठभेड़ में प्रदीप सूर्यवंशी, प्रदीप शर्मा और तानाजी देसाई के साथ दिलीप पलांडे ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. में एनकाउंटर में मारे गए लखन भैया के भाई वकील राम प्रसाद गुप्ता ने बॉम्बे हाई कोर्ट से अपील की जिसके बाद कोर्ट ने 2008 में न्यायिक जांच के आदेश दिए गए. इस दौरान प्रदीप शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया था. अगस्त 2009 में इस पूरे मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट सामने आई जिसमें लखन भैया की मौत का कारण कुछ और ही बताया गया. इसके बाद इस केस में आरोपों की जांच करने के लिए एसआईटी गठित की गई. जांच के दौरान ही मार्च 2011 में इस केस के मुख्य गवाह अनिल भेड़ा की हत्या कर दी गई. बता दें कि अनिल भेड़ा को भी लखन भैया के साथ गिरफ्तार किया गया था.

भाई ने दिलाया इंसाफ

बता दें कि राम प्रसाद गुप्ता ने 2013 में आए सेशन कोर्ट के फैसले के बाद कहा था कि वह सुपर कॉप प्रदीप शर्मा को बरी किए जाने के खिलाफ हैं और वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे. इसके बाद उन्होंने आरोपियों को और सख्त सजा देने और प्रदीप शर्मा को बरी किए जाने के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी. इस मामले में 16 अपील की गई थी, इन सभी अपीलों की सुनवाई हाई कोर्ट में एक साथ की गई. सभी को ध्यान में रखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिन लोगों को दोषी माना गया था उनमें से 12 को दोषी माना और सबूतों की एक लंबी लिस्ट को मद्देनजर रखते हुए प्रदीप शर्मा को भी दोषी करार दिया. हाई कोर्ट ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

कौन हैं प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा 1983 बैच के अधिकारी हैं जो कि अपनी सर्विस पूरी करने के बाद 2020 में रिटायर होने वाले थे. हालांकि प्रदीप ने इस मामले में बरी होने के बाद 2020 से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. इसके बाद उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और नालासोपारा सीट से शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि प्रदीप शर्मा को इस चुनाव में निराशा मिली थी.