नवजात को नोंच रहे थे खूंखार रॉटविलर, चीख रहा था परिवार; फिर ढूंढकर मारी गोली
खूंखार कुत्तों के हमले में मारी गई 35 दिन की मासूम बच्ची का नाम था मिया रिले. घटना 18 फरवरी को रात साढ़े दस बजे घटी. उस वक्त मिया रिले को लेकर उसके माता-पिता अपने रिश्तेदार के घर गए हुए थे. वहां मिया रिले के ऊपर परिवार के ही दो खूंखार कुत्तों ने हमला बोल दिया.
दुनिया में दो ही नस्ल के कुत्ते सबसे ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं. पहला पिटबुल और दूसरा रॉटविलर. फिलहाल जिक्र उस रॉटविलर का जिसे पालने पर अमेरिका और यूरोप के तमाम हिस्सों में पाबंदी है. इसी रॉटविलर (Rottweiler) नस्ल के दो खूंखार कुत्तों ने हमला करके, 5 सप्ताह (करीब 35 दिन) की मासूम बच्ची को मार डाला. हमला घर के भीतर किया गया था. रेंजर्स ने कुत्तों (Rottweilers Dog Attack) को पकड़ कर काबू किया. उसके बाद उन्हें पुलिस की सलाह पर मार डाला गया. ताकि देश में कोई और इस तरह के खूंखार कुत्तों को पालने का जोखिम लेने की जुर्रत ही न करे. दिल दहलाने वाली यह घटना है ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में स्थित मोरुया (Moruya New South Wales Australia) की.
खूंखार कुत्तों के हमले में मारी गई 35 दिन की मासूम बच्ची का नाम था मिया रिले. घटना 18 फरवरी को रात साढ़े दस बजे घटी. उस वक्त मिया रिले को लेकर उसके माता-पिता अपने रिश्तेदार के घर गए हुए थे. वहां मिया रिले के ऊपर परिवार के ही दो खूंखार कुत्तों ने हमला बोल दिया. चूंकि दोनो कुत्ते बेहद गुस्से में थे. लिहाजा लाख चाहकर भी उन कुत्तों से मासूम को बचाने की किसी की हिम्मत नहीं हुई. क्योंकि मौजूद लोग जानते थे कि रॉटविलर नस्ल के कुत्ते गुस्से में शेर के ऊपर भी हमला कर सकते हैं. इस नस्ल के कुत्तों के 99 फीसदी गुण भेड़िया से मिलते जुलते हैं. यह जितने खूंखार होते हैं उससे कहीं ज्यादा समझदार और ताकतवर भी होते हैं. दुनिया भर में पिटबुल के बाद दूसरे नंबर की गुस्सैल समझी जाने वाली इस नस्ल के कुत्ते, क्रोध में अपने हैंडलर तक की जान ले लेते हैं.
सिर, बदन और चेहरे को लहूलुहान कर दिया
7न्यूज की एक खबर के मुताबिक, इस खौफनाक घटना के वक्त बच्ची एक सुरक्षित बेबी बाउंसर (छोटे बच्चों को बैठाकर घुमाने वाला) के अंदर बैठी थी. गुस्साए कुत्तों ने बच्ची के ऊपर हमला करके, उसके सिर, बदन और चेहरे को लहूलुहान कर दिया. उसे गंभीर हालत में अस्पताल में ले जाकर दाखिल कराया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. घटना की पुष्टि यूरोबोडल्ला परिषद द्वारा भी की गई है. जिसके मुताबिक, घटना की सूचना मिलते ही मौके पर रेंजर्स भेजे गए थे. उन्हीं रेंजर्स ने दोनो हमलावर डॉग्स को काबू किया. यूरोबोडल्ला परिषद प्रवक्ता ने आगे कहा, “पकड़े गए दोनो खतरनाक-खूनी कुत्तों को शुक्रवार को मार दिया गया. क्योंकि वे खूनी हो चुके थे. वे आइंदा भी इस तरह की जानलेवा किसी घटना को अंजाम दे सकते थे. कुत्तों का जीवन समाप्त करने की सलाह एनएसडब्ल्यू पुलिस (न्यू साउथ वेल्स पुलिस) ने ही दी थी.”
जिस समय कुत्तों ने हमला किया उस वक्त परिवार पार्टी कर रहा था
दरअसल यह मामला अब सामने इसलिए आया है क्योंकि, उस सदमे से बाहर आई मासूम की मां लानी रिले ने सोशल मीडिया पर एक अपील की है. जिसमें उन्होंने 3 मार्च 2023 यानी शुक्रवार को बेटी की याद में एक सभा के आयोजन की बात कही है. उन्होंने दुख की इस घड़ी में परिवार का साथ देने के लिए भी समाज-समुदाय का शुक्रिया अदा किया है. साथ ही समुदाय के सभी लोगों से सभा में शामिल होने की मार्मिक अपील की है. उधर इस मामले की जांच में जुटी एनएसडब्ल्यू पुलिस (New South Wales Police) ने कहा है कि, इस मामले में कोई शिकायत मिलने की उम्मीद फिलहालत तो नजर नहीं आती है. क्योंकि हमलावर कुत्ते, पीड़ित बच्ची के परिवार और रिश्तेदारों के ही थे. पुलिस ने आगे कहा कि, जिस वक्त घटना घटी उस वक्त परिवार एक पार्टी की भीड़ में व्यस्त था. जिसके चलते दोनो कुत्तों को बच्ची के ऊपर हमला करने का मौका मिल गया.
पहले भी रॉटविलर नस्ल के कुत्ते लोगों की जान लेते रहे हैं
परिवार वालों का यह कहना कि बच्ची पर घर के वयस्कों की मौजूदगी में हमला किया गया, इस आरोप की जांच की जाएगी. ऐसा नहीं है कि यूरोप और अमेरिका के तमाम इलाकों में प्रतिबंधित रॉटविलर नस्ल के कुत्तों द्वारा किसी इंसान की जान लेने की दुनिया में यह पहली घटना हो. इससे पहले भी इस नस्ल के कुत्तों द्वारा इंसानों की जान ली जाती रही है. उदाहरण के लिए भले ही यह नस्ल भारत में पांबद भले न की गई हो. मगर साल 2016-2017 में हरियाणा के पानीपत में, इसी नस्ल के एक बेकाबू हुए कुत्ते ने अपने केयर टेकर को ही मार डाला था. मार ही नहीं डाला उसकी लाश से अघिकांश गोश्त तक नोंच कर खा गया. उस हमले में शामिल कुत्ता इतना खूंखार हो चुका था कि, उसे केयर टेकर ने ज्यों-ज्यों समझा कर काबू करने की कोशिश की, त्यों-त्यों वो और ज्यादा हमलावर होता गया. मीडिया में मौजूद खबरों के मुताबिक, इस साल 1882 से लेकर 2012 तक के बीच की अवधि में अलग-अलग ब्रीड के कुत्तों द्वारा किए हमले में हुई मौतों और हमलों के आंकड़े लिए गए थे. जिनमें वेटनरी डॉक्टरों ने बताया था कि रॉटविलर जब गुस्से में हो तो, किसी की परवाह नहीं करता है. फिर चाहे सामने शेर ही क्यों न खड़ा हो. माना जाता है कि रॉटविलर प्राचीन रोम के ड्रोवर कुत्ते की उप-नस्ल है जो, तब के जमाने में बीहड़ में रहने वाले कुत्तों की एक बेहद समझदार नस्ल मानी जाती थी.