1965 की जंग में पाक को चटाई थी धूल, अब उस वीर के घर ‘परमवीर चक्र’ पर घमासान
1 जुलाई को अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद का जयंती समारोह कार्यक्रम हैं. उनके पैतृक गांव धामपुर में ये कार्यक्रम होना है. जिसमें मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का आगमन हो रहा है. इस कार्यक्रम से पूर्व परिवार में परमवीर चक्र मेडल को लेकर अब्दुल हमीद के बेटे और पोते में जंग छिड़ी हुई है. दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. वर्तमान में मेडल पोते के पास है.
1965 की जंग में पाकिस्तान के 12 पैटर्न टैंक ध्वस्त कर शहीद होने वाले वीर अब्दुल हमीद के घर विवाद छिड़ा हुआ है. विवाद किसी जमीन जायदाद का नहीं बल्कि उन्हें मरणोपरांत मिले परमवीर चक्र को लेकर है. मेडल पर अमर शहीद के बेटे और पोते अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं. बेटे का कहना है कि वह परमवीर चक्र लेकर अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते हैं. वहीं, पोते का कहना है कि ये मेडल उनकी दादी ने उन्हें वसीयत किया है.
परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के बेटे जैनुल ने जयंती कार्यक्रम की तैयारियों के दौरान बताया कि उनके पिता को मिला परमवीर चक्र उनके भतीजे जमील के कब्जे में है. वह कई बार उसकी मांग कर चुके हैं. इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई थी. इसके बाद भी जमील ने उन्हें परमवीर चक्र नहीं दिया. उन्होंने बताया कि उनकी मां की अंतिम इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उनके पति के परमवीर चक्र को जबलपुर के म्यूजियम में रख दिया जाए, ताकि लोग उसके दर्शन कर सके. जैनुल का आरोप है कि उनका भतीजा परमवीर चक्र देने से इनकार कर रहा है.
दादी ने की थी वसीयत
अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद के पोते जमील अहमद वर्तमान में रेलवे में टीटी के पद पर कार्यरत हैं. वह 1 जुलाई को मुंबई में वीर अब्दुल हमीद के सम्मान में किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे हैं. जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके बड़े पिताजी गलत आरोप लगा रहे हैं. वह नौकरी के दरमियान यहां से बाहर रहते थे और उस दौरान मैं और मेरा भाई दादी की देखभाल किया करते थे. उन्हें भी कहीं आना-जाना होता था तो हम लोग लेकर जाते थे. तब दादी ने उसे परमवीर चक्र को लेकर वसीयत हमारे नाम से किया हुआ है, जिसको लेकर बार-बार हमारे बड़े पिता की तरफ से दबाव दिया जाता है.
बड़े पिताजी दिखाएं लिखित सुबूत
जमील अहमद ने कहा कि यदि दादी ने इच्छा जताई थी तो बड़े पिताजी उसका कोई लिखित में दस्तावेज हो तो वह सार्वजनिक करें. उसके बाद में परमवीर चक्र देने को तैयार हूं. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कई सालों से दादाजी के याद में आयोजित कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं. बीते 2 सालों से इनके बड़े पिता ने खुद कार्यक्रम करने की बात कही. जमील का आरोप है कि बड़े पिताजी ने कुछ दिनों पहले आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली है. उसी के बाद से वह परमवीर चक्र पर भी अपनी राजनीति की दुकान चलाना चाह रहे हैं.