‘रेप तो रेप है…चाहे पति ने ही क्यों न किया हो’, वैवाहिक बलात्कार पर गुजरात HC का अहम फैसला

‘रेप तो रेप है…चाहे पति ने ही क्यों न किया हो’, वैवाहिक बलात्कार पर गुजरात HC का अहम फैसला

गुजरात हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को एक महिला की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इस महिला पर आरोप था कि उसने अपने बेटे को अपनी बहु के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के लिए उकसाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेप तो रेप होता है चाहे पति ने ही क्यों न किया हो.

गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि बलात्कार एक गंभीर अपराध है. भले ही यह अपराध पीड़िता के पति ने ही क्यों न किया हो. हाई कोर्ट ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को अवैध माना गया है. जस्टिस दिव्येश जोशी ने कहा कि रेप तो रेप है…चाहे पति ने ही क्यों न किया हो. पिछले 8 दिसंबर को एक फैसले में जस्टिश जोशी ने एक महिला की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

इस महिला पर आरोप था कि उसने अपने बेटे को अपनी बहु के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के लिए उकसाया था. 8 दिसंबर को अपने आदेश में जस्टिस जोशी ने कहा कि अमेरिका के 50 राज्यों, ऑस्ट्रेलिया के तीन राज्यों, न्यूजीलैंड, कनाडा, इजराइल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, सोवियत संघ, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया और कई अन्य राज्यों में वैवाहिक बलात्कार इलीगल है.

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भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले अधिक

जस्टिश जोशी ने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वास्तविक घटनाएं सामने आने वाले आंकड़ों से कहीं अधिक हैं. उन्होंने कहा कि पीछा करना, छेड़छाड़, शारीरिक हमले जैसी कुछ चीजों को यहां मामूली अपराध के रूप में देखा जाता है. यहां यौन अपराधों को ‘लड़के तो लड़के ही रहेंगे’ के चश्मे से देखा जाता है और अपराध को नजरअंदाज किया जाता है. पीड़ित लोगों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है.