प्रवासी गुजराती पर्व में पहुंचे पद्मश्री भीखुदान गढ़वी और शहाबुद्दीन राठौड़, लोक साहित्य पर की बात

प्रवासी गुजराती पर्व में पहुंचे पद्मश्री भीखुदान गढ़वी और शहाबुद्दीन राठौड़, लोक साहित्य पर की बात

10 फरवरी को अहमदाबाद में प्रवासी गुजराती पर्व, 2024 का आयोजन किया गया है. इस उत्सव में दुनिया भर से कई मशहूर हस्तियां शामिल हुई हैं. प्रसिद्ध गुजराती साहित्य कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता भीखुदान गढ़वी और शहाबुद्दीन राठौड़ ने गुजराती लोक साहित्य पर चर्चा की. साहित्य जगत से जुड़े कई दिग्गजों ने इस कार्यक्रम में चार चांद लगाए.

भीखुदान गढ़वी गुजरात के जूनागढ़ शहर के मूल निवासी हैं. वे गुजराती लोक-साहित्य के सुप्रसिद्ध कलाकार हैं. भिखुदान गढ़वी गुजराती लोककथाओं में एक ऐतिहासिक नाम हैं. भिखुदान गढ़वी ने अपनी खुद की एक अनूठी शैली विकसित की है, जो पिछले 6 दशकों से गुजराती लोककथाओं की सेवा कर रहे हैं.

भीखुदान गढ़वी ने कहा कि घुमंतू गुजराती में जवेरचंद मेघानी का नाम सबसे पहले याद किया जाता है. लोक साहित्य का अर्थ लोगों द्वारा रचा गया साहित्य है. भिखुदान गढ़वी के लोकगीत कार्यक्रम, जिन्हें गुजराती लोक-डायरो कहते हैं. इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल गुजरात राज्य में, बल्कि भारत सहित विदेशों में भी आयोजित किये जाते हैं.

इन कार्यक्रमों में उन्होंने भारतीय और विशेषकर गुजराती संस्कृति, लोक-साहित्य, पौराणिक कथाओं, त्रासदी और व्यंग्यपूर्ण हास्य को धाराप्रवाह परोस कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भीखूदान गड़वी ने कहा कि लोकसाहित्य नये साहित्य की रचना है, जो वही प्राचीन है लेकिन प्रस्तुत करने का तरीका अलग है.

शहाबुद्दीन राठौड़ ने कहा कि लोगों को हंसाने के लिए खासकर विदेश या गुजरात में 54 साल स्टेज पर बिताया. लोगों के मनोरंजन में समय गुजारा. 54 साल पहले निर्णय किया था कि साहित्य को एक नीचे के सहारे नहीं ले जानी है. कोई नहीं सुने तो स्टेज छोड़ देना चाहिए.