प्रवासी गुजराती पर्व 2024 में हार्दिक चौहान ने बांधा शमां, चिंतन पांड्या और पार्ले पटेल ने शेयर किए अनुभव

प्रवासी गुजराती पर्व 2024 में हार्दिक चौहान ने बांधा शमां, चिंतन पांड्या और पार्ले पटेल ने शेयर किए अनुभव

गुजरात के अहमदाबाद में प्रवासी गुजराती पर्व 2024 के दौरान क्रिएटिव कैनवास बियांड गरबा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पार्ले पटेल, चिंतन पंड्या, हार्दिक चौहान ने गुजराती भाषा, गरबा और गीत-संगीत पर चर्चा हुई. इस अवसर पर हार्दिक चौहान ने अपने गीत से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

गुजरात के अहमदाबाद में प्रवासी गुजराती पर्व 2024 के दौरान क्रिएटिव कैनवास बियांड गरबा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पार्ले पटेल, चिंतन पांड्या, हार्दिक चौहान ने गुजराती भाषा, गुजराती खाना, गरबा और गीत-संगीत पर चर्चा की. इस अवसर पर हार्दिक चौहान ने अपने गीत से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. हार्दिक चौहान ने मेंहदी रंग और गुजरात को लेकर एक गीत प्रस्तुत किया, जिसे सभी ने सराहा.

क्रिएटिव कैनवास बियांड गरबा में पार्ले पटेल शामिल हुए. वह इंग्लैंड में एक ब्रिटिश हास्य अभिनेता हैं. पार्ले नाम का फ्रेंच में मतलब कुरकुरा होता. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना नाम इसी तरह रखा.

उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है. अब जब मैं भी डिजिटल हो गया हूं तो मैंने अपना डिजिटल सफर शुरू किया. क्या आप डिजिटल क्षेत्र में काम करके पैसा कमा सकते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम गुजराती हैं, इसलिए हममें किसी भी तरह से पैसा कमाने की क्षमता है.

उन्होंने कहा कि एक समय था, जब लोगों को गुजराती बोलने में शर्म आती थी, आज लोग गुजराती सीखना चाहते हैं. डिजिटल क्षेत्र में टिके रहना आसान नहीं है, लोगों का टेस्ट बदलता रहता है, आपको हर दिन कुछ अलग देना होगा.

हार्दिक चौहान की गीत से झूमे दर्शक

Hardik Chauhan

इस अवसर पर हार्दिक चौहान ने मनमोहक गीत प्रस्तुत किया. उन्होंने अपने गीतों से सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. हार्दिक चौहान ने कहा कि संगीत की भाषा आती है, तो कोई भी भाषा कठिन नहीं है. जर्मन की संगीत बहुत कठिन था, लेकिन जब संगीत मिल जाता है, फिर उनकी कोई भाषा नहीं होती है. बता दें कि हार्दिक चौहान का जन्म 11 अक्टूबर 1993 को सुरेंद्रनगर में एक हिंदू परिवार में हुआ था. उनका पैतृक गांव मोरबी है, उनके पिता दर्जी हैं. उनके जन्म के बाद चौहान के माता-पिता मोरबी से वडोदरा चले गए.

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वडोदरा के यूनिवर्सिटी एक्सपेरिमेंटल स्कूल से पूरी की. वह विज्ञान स्नातक के लिए बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय में भौतिकी विभाग में शामिल हुए. उन्होंने प्रदर्शन कला संकाय में अध्ययन किया, जहां वे नाटकीय और थिएटर कला में शामिल थे.

चौहान को अमी त्रिवेदी, निमेश दिलीपराय, कल्पेश चौहान के साथ एक गुजराती नाटक धर्मोरक्षति में काम करने का मौका मिला, जो थोड़े समय में शुरू होने वाला था. उन्हें संजय गोराडिया के साथ एक और गुजराती कॉमेडी नाटक बैराओनो बाहुबली में भूमिका दी गई. उन्हें धर्मेश मेहता द्वारा निर्देशित गुजराती फिल्म चील ज़ादप (2019) और मिलन शर्मा द्वारा बाबूभाई सेंटिमेंटल (2020) फिल्म में भूमिका मिली.

गुजराती खाना हैवी नहीं होता, पर माइंड होता है शार्पः चिंतन पांड्या

इस अवसर पर चिंतन पंड्या ने कहा कि गुजराती का खाना बहुत हैवी नहीं होता है. बोली नरम होती है, लेकिन माइंड गरम होता है और शार्प होता है. खाना का गरबा के साथ काफी घनिष्ठ संबंध है. चिंतन पंड्या ने न्यूर्याक के शीर्ष 10 रेस्तरां में उनके रेस्तरां का नाम बताएं. उन्होंने बेस्ट सेफ का पुरस्कार दिया गया.

उन्होंने कहा कि उधिउ और उम्बाडु के लिए न्यूयॉर्क में RND कर रहा हूं. वह पहले सैफ हैं, जिन्होंने एथनिक खाना बनाने के लिए अवॉर्ड जीता है. बता दें कि चिंतन पांड्या क्षेत्रीय भारतीय व्यंजनों के चैंपियन हैं, जो अपने न्यूयॉर्क रेस्तरां के छोटे साम्राज्य में दक्षिण एशियाई स्वादों का प्रदर्शन करते हैं , लेकिन वह हमेशा अपनी मातृभूमि के खाना पकाने के लिए समर्पित नहीं थे.

वह मुंबई में पाक कला के छात्र के रूप में, शेफ इतालवी व्यंजन या पेस्ट्री पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत भारतीय रेस्तरां में मूल भोजन की बारीकियोां समझी. दो दशक और कई रेस्तरां के बाद, पांड्या मेगा-सफल अनपोलोजेटिक फूड्स के पीछे शेफ-पार्टनर हैं.