यूं ही नहीं बनने वाला भारत दुनिया का सुपर बॉस, चीन को मिल गया बड़ा झटका
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वृद्धि दर 2023 और 2024 दोनों में 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. इस तरह आईएमएफ ने 2023 के लिए अपने पूर्वानुमान में 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत के चलते ऐसा किया गया है.
जहां एक ओर दुनियाभर के बड़े देशों की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को कम किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर भारत के ग्रोथ के अनुमान में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. वर्ल्ड बैंक के बाद अब आईएमएफ यानी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ में इजाफा कर दिया है. वहीं दूसरी ओर चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ में गिरावट कर दी है. आंकड़ों पर बात करें तो आईएमएफ ने भारत की 2023-24 की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में मामूली 0.2 फीसदी बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है. वहीं दूसरी ओर आईएमएफ ने ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को कम कर तीन फीसदी कर दिया है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की ग्रोथ के अनुमान को कम कर बड़ा झटका दिया है.
चीन को दिया आईएमएफ ने झटका
आईएमएफ ने जुलाई में कहा था कि 2023-24 के लिए भारत की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रह सकती है. यह आंकड़ा इस अवधि में भारतीय रिजर्व बैंक के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से कम था. आईएमएफ के मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में चीन के ग्रोथ के अनुमान को 2023 के लिए 0.2 फीसदी और 2024 के लिए 0.3 फीसदी घटाकर क्रमशः फीसदी प्रतिशत और 4.2 फीसदी कर दिया गया है. इस तरह चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर चीन से अधिक रहने का अनुमान है.
लगातार दो सालों में 6.3 फीसदी रह सकती है ग्रोथ
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वृद्धि दर 2023 और 2024 दोनों में 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. इस तरह आईएमएफ ने 2023 के लिए अपने पूर्वानुमान में 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत के चलते ऐसा किया गया है. आईएमएफ ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी अनुमानों के मुताबिक मध्यम अवधि में भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई के लक्ष्य को हासिल कर सकता है.
40 फीसदी तक रूसी तेल का इंपोर्ट
सरकार ने आरबीआई को महंगाई को चार फीसदी लेवल पर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमें ऊपर-नीचे की ओर दो प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है. आईएमएफ ने कहा कि भारत ने अप्रैल-जून, 2023 के दौरान 35 से 40 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात रूस से किया, जबकि यूक्रेन वॉर से पहले यह आंकड़ा पांच फीसदी से भी कम था. साथ ही भारत ने यूरोपीय संघ को तेल निर्यात में काफी वृद्धि की है.