हमने नहीं किया संकोच, आतंकवाद पर करते रहें फोकस, दो साल की अध्यक्षता के बाद भारत की UNSC को सलाह
युनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि "हम आतंकवाद जैसे मानवता के साझा दुश्मन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने से कभी नहीं हिचकिचाए."
भारत की युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल की दो साल की अध्यक्षता समाप्त हो गई है. इस दौरान भारत ने यूएनएससी से टेररिज्म, ग्लोबल साउथ और मैरिटाइम सिक्योरिटी पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की. गुरुवार को हुई इस साल की आखिरी बैठक को संबोधित करते हुए युनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि “हम आतंकवाद जैसे मानवता के साझा दुश्मन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने से कभी नहीं हिचकिचाए.” भारत यूएनएससी में बदलावों का पक्षधर रहा है और अपनी अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक ने इसमें बदलाव की बात की.
यूएनएससी में सुधारों की जरूरत पर बोलते हुए, रुचिरा कंबोज ने कहा कि हम इस सच्चाई से पूरी तरह वाकिफ थे कि यूएनएससी में बदलावों की जरूरत है. यह विश्वास हमारे कार्यकाल के बाद ही मजबूत हुआ है. उन्होंने कहा कि जैसे कि हमारी अध्यक्षता समाप्त हो रही है, हम आश्वस्त हैं कि बदलाव के लिए जितना ज्यादा प्रतिरोध होगा, उतना ज्यादा इस समूह के फैसलों की रेलेवेंसी और क्रिडिबिलिटी पर खतरा बढ़ेगा. उन्होंने आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे की प्रशंसा की और कहा कि सिक्योरिटी काउंसिल में उनकी कड़ी मेहनत की सराहना करती हूं.
समाप्त हो रही भारत की गैर-स्थायी सदस्यता
भारत की यूएनएससी की गैर-स्थायी सदस्यता 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है. युनाइटेड नेशन में आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे के राजनयिकों ने भी समापन सत्र को संबोधित किया, जो अपने दो साल के कार्यकाल के बाद यूएनएससी से बाहर हो जाएंगे. यूएनएससी में भारत के उद्देश्य पर बात करते हुए रुचिरा कंबोज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को याद किया जो उन्होंने यूएनससी की अध्यक्षता हासिल करने के दौरान दी थी. पीएम ने कहा था कि अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और अनुभव का इस्तेमाल दुनिया के फायदे के लिए करेगा.
दुनिया के लिए जरूरी मुद्दों पर भारत ने किया फोकस
कंबोज ने कहा कि “पिछले दो सालों के दौरान, हमने शांति, सुरक्षा और समृद्धि के समर्थन में बात की. हम आतंकवाद जैसे मानवता के साझा दुश्मनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने में संकोच नहीं करते थे.” उन्होंने कहा कि हमने जो भी बात की वो अपने 1.4 अरब भारतीयों की तरफ से की और हम यह भी बताना चाहते हैं कि हमने इतना ही नहीं बल्कि ग्लोबल साउथ तक के मुद्दे को उठाया. इनके अलावा उन्होंने मैरिटाइम सिक्योरिटी पर चर्चा करते हुए कहा कि हमने उन मुद्दों को भी उठाया जो भारत को लगा कि यह दुनिया के लिए अहम हैं.