160 घंटों तक मलबे में! एक-एक सांस की जद्दोजहद, कहानी रोंगटे खड़े करने वाली

160 घंटों तक मलबे में! एक-एक सांस की जद्दोजहद, कहानी रोंगटे खड़े करने वाली

तुर्की में आज ही दिन सात दिन पहले एक भूकंप ने सब कुछ तबाह कर दिया.

आज का ही दिन था सोमवार. जब सीरिया और तुर्की में भूकंप ने सब कुछ तबाह कर दिया. सात दिन बीत चुके हैं. मलबे से लाशें अभी तक निकल रही हैं. कई देशों की रेस्क्यू टीमें अलग-अलग इलाकों में एक-एक जान बचाने के लिए घंटो मशक्कत कर रहे हैं. लोग अपनों की तलाश के लिए हर दिन आते हैं, कैंपों में खोजते हैं फिर रेस्क्यू टीम से पूछते हैं और चले जाते हैं. कुछ लोगों का ये रूटीन ही हो गया है. क्योंकि अब तक उनको न तो अपनों के मौत की खबर है न उनका कुछ पता है. इन सबके बीच कुछ लोग जिंदा भी निकल रहे हैं. किर्गिस्तान और बेलारूस की बचाव टीमों ने तुर्की में भूकंप के 160 घंटे बाद रविवार को एक व्यक्ति को जीवित निकाला.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर नजर आई. एक बुरी तरह घायल शख्स को रेस्क्यू टीम स्ट्रेचर पर लादकर भाग रही है. क्योंकि 149 घंटे बाद उसको बचा लिया गया है. सोमवार से ही ये शक्स मलबे में फंसा था. पता नहीं उसने क्या खाया होगा, क्या पिया होगा? टीम ने जैसे ही उसको जिंदा देखा उनके चेहरे में भी एक खुशी छाई और जल्द से जल्द उसको हॉस्पिटल लेकर गए. ऐसी सैकड़ों कहानियां तुर्की और सीरिया से सामने आ रही हैं. सैकड़ों दुधमुंहे बच्चों का कोई वारिस नहीं है. इनका नाम भी मां-बाप के साथ गुमनाम हो गया.

Turkey (12)

कहानी नंबर-2 (108 घंटे बाद जिंदा निकाला)

तुर्की के अंटाल्या (Antalya) में एक बहुमंजिला इमारत गिर गई. इसमें रहने वाले कई लोग दब गए. भूकंप आए पांच दिन गुजर चुके थे. यहीं एक मलबे पर एक मां और उसके तीन छोटे बच्चे दबे थे. रेस्क्यू टीम को इनके जिंदा होने का संकेत मिला. अब शुरू होता है मिशन इनको बचाने का. चारों शिथिल हो चुके थे, खून से लतपथ थे. बिना पानी के उनके शरीर में बोलने की भी क्षमता नहीं बची थी. बस सांसें चल रहीं थीं. इसको चमत्कार ही कहेंगे कि 108 घंटे तक दबे रहने के बाद भी जिंदगी से चिपके रहे.

Turkey 3

90 घंटे बाद 10 दिन का बच्चा जीवित निकला

जब मलबे से बाहर उनको निकाला गया तो उनकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई थी. बहुत ही बहादुरी से रेस्क्यू टीम ने उनको बचा लिया. विश्वास नहीं करेंगे आप मगर एक कहानी और है. एक 10 दिन का बच्चे और उसकी मां को मलबे से 90 घंटे बाद जिंदा निकाला गया. इनका घर पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका था. लगभग साढ़े तीन दिनों के बाद इनको निकाला गया. तुर्की के दक्षिणी हाटे प्रांत के खंडहरों से निकाले जाने से पहले यागिज़ नाम के शिशु ने अपना लगभग आधा जीवन कंक्रीट के स्लैब के नीचे फंसे होकर बिताया था.

Turkey

आधी उम्र मलबे में दबा रहा यागिज़

एक फुटेज में दिख रहा था कि बच्चे को कैसे सावधानीपूर्वक मलबे से बाहर निकाला गया और पैरामेडिक्स द्वारा एक थर्मल कंबल में लपेटा गया. जबकि उसकी मां को स्ट्रेचर से बांध दिया गया क्योंकि चोट लगने के कारण वह चलने में असमर्थ हो गई थी. तुर्की और सीरिया में हर मिनट कहीं जिंदगी की आस जाग रही है तो कहीं टूट रही है. बस यही चल रहा है. आज सुबह इस्केंडरन में छह लोगों के एक परिवार को बचा बचाया गया. इसके अलावा एक लड़के को भूकंप से 100 घंटे से अधिक समय के बाद रेस्क्यू टीम ने मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया.

Turkey 2

103 घंटे बाद 3 साल की बच्ची को बाहर निकाला

एक तीन साल की बच्ची को 103 घंटे जमीन के अंदर रहने के बाद जिंदा निकाला गया. 18 महीने के यूसुफ हुसैन को किसी तरह 105 घंटे बाद जिंदा मलबे से बाहर निकाला गया. कुदरत का कहर और अब कुदरत का करिश्मा. भूखे-प्यासे लोगों को कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इसे ‘सदी की आपदा’ कहा है.

Turkey Earthquake

मुश्किल है तबाही का आकलन

तबाही का पैमाना लगा पाना मुश्किल है. गगनचुंबी इमारतें महज एक ढेर से ज्यादा कुछ नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि फंसे हुए लोग एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं, ठंड के तापमान में जीवित बचने की संभावना कम हो रही है. लेकिन जीवित रहने और विजय की कुछ चमत्कारी कहानियां उभरती रहती हैं. इस्केंडरन के ध्वस्त शहर में मलबे के नीचे 102 घंटे बिताने के बाद छह लोगों के एक परिवार को एक ढह गई इमारत से बचाया गया.

जावेद अख्तर ने कुछ अल्फ़ाजों से गाना पिरोया. शंकर महादेवन ने बिना सांस लिए इस पूरे गाने को गाया था. इसकी कुछ लाइनें थीं…

कैसी रंगीन थी ख़्वाबों की दुनिया जो कहने को थी पर कहीं भी नहीं थी ख्वाब जो टूटे मेरे, आँख जो खुली मेरी होश जो आया मुझे, मैंने देखा मैंने जाना…