जलगांव लोकसभा सीट: 25 साल से बीजेपी का अभेद किला, क्या इस बार गठबंधन करेगा कमाल?

जलगांव लोकसभा सीट: 25 साल से बीजेपी का अभेद किला, क्या इस बार गठबंधन करेगा कमाल?

महाराष्ट्र के जलगांव जिले की लोकसभा सीट में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं. पिछले करीब ढाई दशक से यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है. इस सीट पर अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. सीट पर मुस्लिम आबादी की अच्छी खासी संख्या है.

महाराष्ट्र की जलगांव लोकसभा सीट पिछले 25 साल से बीजेपी के कब्जे में है. फिलहाल बीजेपी नेता उमेश भैयासाहेब पाटील यहां से सांसद हैं. महाराष्ट्र जलगांव सीट की गिनती महत्वपूर्ण सीटों में होती है. इस सीट पर इसलिए भी सभी की नजरें टिकी रहती है क्योंकि विपक्षी पार्टियों की लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी का यहां बाल बांका भी नहीं पाया है.

2019 के लोकसभा चुनाव नजर डाले तो बीजेपी ने उस वक्त के मौजूदा सांसद एटी नाना पाटिल का टिकट काटते हुए उमेश पाटिल को मैदान में उतारा था. चुनाव में उमेश पाटिल भी बीजेपी की उम्मीदों पर खरे उतरे और 4 लाख से अधिक वोटों से बंपर जीत हासिल की. वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार गुलाबराव बाबूराव देवकर दूसरे नंबर पर रहे. चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार उमेश पाटिल को कुल 713,874 वोट मिले थे जबकि एनसीपी उम्मीदवार को 302,257 लाख वोट मिले थे.

एनसीपी की हुई थी करारी हार

वोटों के अंतर को देखें तो एनसीपी बीजेपी के आसपास भी नहीं थी. ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव में बिखर चुकी एनसीपी के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. बीजेपी यहां पहले से मजबूत थी और अब उसे एनसीपी के बागी गुट का साथ भी मिल गया है. 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को 65.6 फीसदी वोट मिले थे जबकि एनसीपी उम्मीदवार को 27.8 फीसदी लोगों ने वोट दिया था.

18 लाख के आसपास हैं कुल वोटर

अब एक नजर इस सीट के मतदाताओं पर भी डाल लेते हैं. 2019 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 45 हजार 368 थी. इनमें 970046 पुरुष मतदाता थे और 875263 महिला मतदाता थे. चुनाव में कुल 10,88,277 लोगों ने (59.5 फीसदी) अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

2014 में भी बीजेपी को मिली थी बंपर जीत

2014 के लोकसभा चुनाव पर नजर डाले तो बीजेपी ने यहां से एटी नाना पाटील को उम्मीदवार बनाया था. तब एटी को 647,773 वोट मिले थे और उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉ सतीश भास्करराव पाटील को 5,94,892 वोटों के बड़े अंतर से मात दी थी. चुनाव में भास्करराव को मात्र 264,248 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी थी जिसके उम्मीदवार को मात्र 10838 वोट मिले थे.

ऐतिहासिक जिला है जलगांव

जलगांव को महाराष्ट्र का ऐतिहासिक जिला भी माना जाता है. इस जिले में विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से भी यह क्षेत्र काफी सुंदर है. संत का मुक्ताबाई का मंदिर भी जलगांव में ही स्थित है, जिसकी गिनती महाराष्ट्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में होती है.

क्या कहते हैं जातीय समीकरण?

जलगांव सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां अनुसूचित जनजाति वोटरों का बोलबाला है. इस क्षेत्र में 14.3 फीसदी जनता एसटी है. इसके बाद दूसरे नंबर पर मुस्लिम हैं, जिनकी आबादी करीब 13.25 फीसदी है. इसके बाद 9.2 फीसदी अनुसूचित जाति, 3.41 फीसदी बुद्धिष्ट यहां निवास करते हैं.

2011 में कितनी थी आबादी?

जलगांव की जनसंख्या की बात करें तो 2011 के जनगणना के आधार पर इस यहां की आबादी 23,26,277 थी. इसमें 62 फीसदी लोग गांवों में निवास करते थे और 37 फीसदी लोग शहरों में रहते थे. 2014 के चुनाव में यहां कुल वोटरों की संख्या 177933 थी. इनमें 5.94 लाख पुरुष, 3.95 लाख महिला मतदाता थे.