UN से लताड़ के बाद कैलासा की सफाई, बोला- हिंदू विरोधियों ने नित्यानंद को सताया
नित्यानंद भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई आरोपों में वांछित है. वह अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करता रहा है.
यूनाइटेड स्टेट ऑफ कैलासा की तथाकथित स्थायी राजदूत विजयप्रिया नित्यानंद ने सफाई दी है. उनका कहना है कि नित्यानंद को हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए सताया जा रहा था. दरअसल, नित्यानंद पर एक भगोड़ा है और उसपर बलात्कार के आरोप लगे हैं. पिछले हफ्ते जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में बोलते हुए विजयप्रिया ने कहा था कि बलात्कार के आरोपी नित्यानंद को परेशान किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में उनकी टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, विजयप्रिया ने स्पष्ट किया कि तथाकथित “यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा” ने भारत से “उच्च संबंध” रखे हुए हैं.
उसने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगी कि नित्यानंद परमशिवम को उनके जन्मस्थान में कुछ हिन्दू-विरोधी तत्वों सताया गया है. यूनाइटेड स्टेट ऑफ कैलासा ने भारत से उच्च संबंध में रखे हैं और भारत को अपने गुरुपीदम के रूप में सम्मानित किया है. हम संयुक्त राष्ट्र में मेरे बयान के बारे में एक स्पष्टीकरण जारी करना चाहते हैं, जिसे गलत तरीके से फैलाया जा रहा है और मीडिया के कुछ हिन्दू विरोधी वर्गों की ओर से तोड़ा-मरोड़ा गया है.’
उसने कहा, ‘हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वे इन हिंदू-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें, जो कैलासा के खिलाफ हमला कर रहे हैं और उकसा रहे हैं. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये कार्य भारत की जनसंख्या के मूल्यों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं.’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने गुरुवार को कहा था कि भारतीय भगोड़े नित्यानंद द्वारा स्थापित तथाकथित ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (यूएसके)’ के प्रतिनिधियों की ओर से पिछले सप्ताह जिनेवा में इसकी सार्वजनिक सभाओं में दी गई कोई भी दलील ‘अप्रासंगिक’ है और अंतिम मसौदा परिणाम में इस पर विचार नहीं किया जाएगा.
‘विजयप्रिया नित्यानंद के भाषण पर ध्यान नहीं दिया गया’
अपनी दो सार्वजनिक बैठकों में तथाकथित ‘यूएसके प्रतिनिधियों’ की भागीदारी की पुष्टि करते हुए मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने कहा कि उन्हें प्रचार सामग्री वितरित करने से रोका गया था और उनके भाषण पर ध्यान नहीं दिया गया. इन सार्वजनिक बैठकों में सभी के लिए रजिस्ट्रेशन खुला था. ओएचसीएचआर के प्रवक्ता की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और तस्वीरों के वायरल होने के बाद आई जिनमें यूएसके की एक प्रतिनिधि ‘स्वदेशी अधिकार और सतत विकास’ पर काल्पनिक देश की ओर से बोलते हुए दिखती है. दो सार्वजनिक कार्यक्रम 22 और 24 फरवरी को आयोजित किए गए थे.
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जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने इसे संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का ‘पूरी तरह दुरुपयोग’ बताया. उन्होंने कहा, ‘यह संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का पूरी तरह से दुरुपयोग है कि एक भगोड़े द्वारा चलाए जा रहे संगठन के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र को एनजीओ या अन्य के रूप में संबोधित करते हैं. भारत यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत प्रक्रिया का आह्वान करता रहा है कि केवल विश्वसनीय एनजीओ को ही मान्यता मिले. हालांकि, इस आह्वान पर ध्यान नहीं दिया गया है.’
नित्यानंद ने 2019 में बनाया था नया देश कैलासा
स्वयंभू धर्मगुरु नित्यानंद भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई आरोपों में वांछित है. वह अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करता रहा है. उसका दावा है कि उसने 2019 में तथाकथित राष्ट्र ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ कैलासा (यूएसके)’ की स्थापना की थी और इसकी वेबसाइट के अनुसार, इसकी जनसंख्या में ‘दो अरब धर्मनिष्ठ हिंदू’ शामिल हैं.
(भाषा इनपुट के साथ)
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