दिल्ली के LG ने भंग की DDCD, कहा- नियुक्ति में हुआ पक्षपात, AAP बोली- यह निचले स्तर की राजनीति
AAP के मंत्री भारद्वाज ने कहा कि विजय सक्सेना की एलजी के रूप में नियुक्ति भी बिना किसी विज्ञापन, परीक्षा या इंटरव्यू के ही एक राजनीतिक नियुक्ति है. अगर एलजी के पद के लिए अखबारों में कोई विज्ञापन दिया जाता है, तो उन्हें इस देश के लोगों को बताना चाहिए.
दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए आज गुरुवार को दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन (DDCD) को अस्थायी रूप से भंग कर दिया. साथ ही एलजी ने इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों को भी हटाने की अपनी मंजूरी दे दी. अब इनकी बहाली तब तक नहीं हो सकती जब तक उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में डोमेन एक्सपर्ट की स्क्रीनिंग और चयन के लिए एक व्यवस्था नहीं बन जाती. एलजी के इस फैसले की सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी ने आलोचना की है, साथ ही कोर्ट जाने की बात कही है.
दिल्ली के मुख्य सचिव को भेजी गई फाइल नोटिंग में उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा कि मौजूदा सरकार की ओर से डीडीसीडी बनाने की पूरी कवायद केवल वित्तीय लाभ पहुंचाने और पक्षपातपूर्ण झुकाव वाले कुछ पसंदीदा राजनीतिक व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए थी.
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DDCD के उपाध्यक्ष को मंत्री जैसी सुविधा
एलजी की ओर से कहा गया, “आयोग का गठन एक पॉलिसी थिंक-टैंक के रूप में काम करने के लिए किया गया था, जिसे योजना आयोग या नीति आयोग की तर्ज पर डोमेन एक्सपर्ट द्वारा संचालित किया जाता था. इससे शासन के इनपुट लोगों को दिए जा सके. उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष और गैर-आधिकारिक सदस्यों के पदों को मौजूदा सरकार के कार्यकाल तक बनाए रखने की योजना थी.
उन्होंने कहा, “हालांकि शुरू में ये पद मानद (Honorary) हुआ करते थे, लेकिन बाद में इसे बढ़िया सैलरी और भत्ते वाले पदों के रूप में बदल दिया गया. डीडीसीडी के उपाध्यक्ष को दिल्ली सरकार के मंत्री के समकक्ष रैंक, वेतन और सुविधाएं दी जाने लगीं, साथ में गैर-सरकारी सदस्यों को भारत सरकार के सचिव के समकक्ष रैंक, वेतन और सुविधाएं मिलने लगीं.” उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों में जमकर भाई-भतीजावाद और पक्षपात किया गया.
यह तुच्छ राजनीतिः सौरभ भारद्वाज
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी सक्सेना पर “तुच्छ राजनीति” करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “एलजी द्वारा दिल्ली डायलॉग कमीशन को भंग करना तुच्छ राजनीति है. यह सभी को मालूम है कि केंद्र सरकार या बीजेपी शासित राज्य सरकारों के सभी आयोगों, समितियों और बोर्ड्स में बिना किसी परीक्षा या इंटरव्यू के राजनीतिक नियुक्तियां की जाती रही हैं.
LG साब के द्वारा DDCD भंग करना निचले स्तर की राजनीति है ।
LG साब बतायें उनकी अपनी नियुक्ति के लिए केंद्र ने कहाँ इश्तिहार निकला था
LG साब का टेस्ट और इंटरव्यू किसने लिया जो उन्हें नियुक्त किया
केंद्र सरकार और भाजपा की राज्यों में कमीशन और बोर्ड में हमेशा इसी तरह नियुक्ति होती pic.twitter.com/VVpVC7qCDP
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) June 27, 2024
भारद्वाज ने सोशल मीडिया मंच X में अपने एक पोस्ट में कहा, “यह एक पुरानी परंपरा है. महिला आयोग, एससी/एसटी आयोग सभी इसके जीवंत उदाहरण हैं. विडंबना यह है कि विजय सक्सेना की एलजी के रूप में नियुक्ति भी बिना किसी विज्ञापन, परीक्षा या इंटरव्यू के एक राजनीतिक नियुक्ति है.” आम आदमी पार्टी के नेता ने आगे कहा कि अगर एलजी के पद के लिए अखबारों में कोई विज्ञापन दिया जाता है, तो उन्हें इस देश के लोगों को बताना चाहिए. हो सकता है कि शायद एलजी बनने के लिए उन्होंने लिखित परीक्षा दी हो.
साल 2022 में, डीडीसीडी के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था और उनके ऑफिस को सील कर दिया गया था. साथ ही एलजी की ओर से आदेश जारी किए जाने के बाद उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाएं भी वापस ले ली गई थीं.