यूपी के 2.45 लाख कर्मचारियों को मिलेगा रूका हुआ वेतन, योगी सरकार ने दी बड़ी राहत
उत्तर प्रदेश में अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं देने वाले करीब ढाई लाख कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने 17 अगस्त को ही शासनादेश जारी कर कर्मचारियों को चेतावनी भी दी थी. बावजूद इसके 29 फीसदी कर्मचारियों ने संपत्ति की जानकारी नहीं दी.
उत्तर प्रदेश में दो लाख 45 हजार कर्मचारियों का वेतन रोकने के बाद राज्य सरकार ने थोड़ी राहत दी है. दो दिन पहले राज्य सरकार ने राजकीय सेवा में लगे सभी आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारियों का वेतन जारी किया. इनके साथ ही राज्य के सभी कर्मचारियों का भी वेतन जारी किया जाना था, लेकिन मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के आदेश पर केवल 6 लाख 2 हजार 75 कर्मचारियों की ही सैलरी जारी हुई. बाकी के 2 लाख 45 हजार कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि बार बार कहने के बावजूद इन कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति नहीं बताई है.
इन सभी कर्मचारियों को 31 अगस्त तक अपनी संपत्ति का खुलासा मानव संपदा पोर्टल पर करनी थी. उत्तर प्रदेश में कुल 8 लाख 46 हजार 640 कर्मचारी राजकीय सेवा में हैं. पिछले दिनों राज्य सरकार ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने के आदेश दिए थे. इसके लिए अंतिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की गई थी. सभी कर्मचारियों को इसके लिए बार बार आगाह भी किया गया. बावजूद इसके, सभी आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के अलावा केवल 6 लाख 2 हजार 75 कर्मचारियों ने ही अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया.
17 अगस्त को जारी हुआ था शासनादेश
वहीं बाकी बचे 2 लाख 45 हजार कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति नहीं बताई. चूंकि पूर्व में ही मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने साफ कर दिया था कि किसी को रियायत नहीं मिलेगी. ऐसे में राज्य सरकार ने एक सितंबर को जब कर्मचारियों का वेतन जारी किया तो इसमें से संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले कर्मचारियों के नाम हटा दिए है. उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक महज 71 फीसदी कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का खुलासा किया है. बता दें कि मुख्य सचिव ने बीते 17 अगस्त को शासनादेश जारी किया था. इसमें उन्होंने चेतावनी दी था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले कर्मचारियों को वेतन रोक दिया जाएगा.
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पुलिस को मिले अतिरिक्त समय
बावजूद इसके 29 फीसदी कर्मचारियों ने जानकारी अपडेट नहीं की. इनमें शिक्षा, टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कर्मचारियों की तादात ज्यादा है. इनमें भी शिक्षा विभाग के कर्मचारी सबसे आगे हैं. अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं देने वालों में पुलिस के जवान भी काफी संख्या में हैं. हालांकि गृह विभाग ने बताया कि पिछले दिनों त्योहार और पुलिस भर्ती परीक्षा की वजह से पुलिसकर्मियों की व्यस्तता कुछ ज्यादा रही थी. इसकी वजह से ज्यादातर कर्मचारी डाटा अपडेट नहीं कर पाए. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस संबंध में शासन को अवगत करा दिया गया है.इसी के साथ पुलिसकर्मियों को संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की गई है.