महाशिवरात्रि 2023: घर पर कैसे बनाएं पार्थिव शिवलिंग, जानें पूजा विधि, नियम एवं बड़े लाभ
Mahashivratri 2023: जीवन से जुड़े कष्टों को दूर और कामनाओं को पूरा करने के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा कब, कैसे और कहां करनी चाहिए? महाशिवरात्रि पर पार्थिव पूजन का फल एवं संपूर्ण विधि जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
महाशिवरात्रि 2023: सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा कई प्रकार से की जाती है. कोई उनकी मूर्ति की पूजा करता है तो कोई शिवलिंग की पूजा करता है. शिवलिंग में भी उनकी पूजा कई तरह से की जाती है. जैसे कोई पत्थर का शिवलिंग पूजता है तो कोई स्फटिक के शिवलिंग की साधना करता है. कुछ ऐसे ही लोग सोने, चांदी, पीतल और पारद आदि के शिवलिंग की भी पूजा कर ते हैं, लेकिन इन सभी शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा अत्यंत ही शुभ एवं भगवान शिव से मनचाहा वरदान दिलाने वाली मानी गई है. आइए जानते हैं कि क्या होती है पार्थिव पूजा और महाशिवरात्रि पर इसे करने पर क्या लाभ होता है.
कब और किसने शुरू की पार्थिव पूजा
पौराणिक मान्यता के अनुसार पार्थिव पूजा की शुरुआत भगवान राम के काल से मानी जाती है. मान्यता है कि भगवान राम ने लंका के राजा रावण से युद्ध करने से पहले समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का पूजन किया था. मान्यता ये भी है कि शनिदेव ने अपने पिता से ज्यादा शक्ति प्राप्त करने के लिए काशी में पार्थिव पूजा की थी.
पार्थिव शिवलिंग की पूजा कैसे करते हैं
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की पार्थिव पूजा करने के लिए सबसे पहले किसी पवित्र स्थान जैसे गंगा तट आदि की मिट्टी लें और उसमें थोड़ा सा गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बना लें. घर में बनाए जाने वाले इस पार्थिव शिवलिंग का आकार हमेशा अपने अंगूठे के साइज का ही रखें. पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसकी विधि-विधान से पूजा एवं रुद्राभिषेक करने के बाद अंत में आरती करें.
पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लाभ
हिंदू मान्यता के अनुसार कलयुग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा अत्यंत ही शुभ और कल्याणकारी मानी गई है. मान्यता है कि पार्थिव पूजा से मनुष्य के सभी पाप दूर होते हैं और वह सभी सुखों को भोगता अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है. महाशिवरात्रि में पार्थिव पूजा सभी कष्टों को दूर करके धन-धान्य, सुख-सौभाग्य और आरोग्य की कामना को पूरा करने वाली मानी गई है. पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिव भक्त को जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है.
पार्थिव शिवलिंग की पूजा के नियम
- पार्थिव शिवलिंग की पूजा में शुद्ध तन-मन से करनी चाहिए.
- पार्थिव शिवलिंग हमेशा शुद्ध मिट्टी से बनाना चाहिए.
- पार्थिव शिवलिंग की पूजा हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बनाना चाहिए.
- पार्थिव शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से ज्यादा और एक अंगूठे से कम नहीं होनी चाहिए.
- पार्थिव शिवलिंग की पूजा हमेशा किसी पवित्र नदी के किनारे, तीर्थ स्थान या फिर किसी पवित्र स्थान पर जाकर करना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)