पीएम मोदी ने जर्मन चांसलर को भेंट किए मेघालय और नागालैंड के शॉल, जानें क्यों हैं खास
भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए जर्मन चांसलर को पीएम मोदी ने मेघालय और नागालैंड की संस्कृति और शिल्प कौशल के प्रतीक उपहार में दिए.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार को भारत पहुंचे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर को मेघालय और नागालैंड की संस्कृति और शिल्प कौशल के प्रतीक उपहार में दिए. पीएम मोदी ने जर्मन चांसलर को मेघालय शॉल और नगा शॉल उपहार में दिए. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये दो चीजें ही उपहार में क्यों दी गई. इनकी खासियत क्या है.
दरअसल मेघालय के स्टोल का एक समृद्ध इतिहास और एक शाही वंश है जो सदियों पुराना है. भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित मेघालय राज्य, अपनी स्वदेशी जनजातियों के लिए जाना जाता है. मेघालय के स्टोल की बुनाई पीढ़ियों से एक प्राचीन परंपरा रही है. मेघालय स्टोल मूल रूप से खासी और जयंतिया रॉयल्टी के लिए बुने गए थे, जो उन्हें अपनी शक्ति और स्थिति का प्रतीक मानते थे. इन स्टॉल को औपचारिक अवसरों और त्योहारों के दौरान पहना जाता है. उनके जटिल डिजाइन और जीवंत रंग शाही परिवार के धन और प्रतिष्ठा को दर्शाते थे .
राजनयिक उपहार देने के रूप में होता था इस्तेमाल
मेघालय के स्टोल में इस्तेमाल किए गए डिजाइन सिम्बॉलिक हैं और जनजाति की संस्कृति और परंपरा में इसका काफी महत्व है. स्टोल में इस्तेमाल किए गए डिजाइन शाही परिवार के विश्वासों और मिथकों को दर्शाते थे और उनकी सांस्कृतिक विरासत के लिए एक वसीयतनामा थे. मेघालय के शाही वंश के स्टोल इस तथ्य में और परिलक्षित होते हैं कि वे राजनयिक उपहार देने के रूप में उपयोग किया जाता था. खासी और जयंतिया राजा सद्भावना के प्रतीक के रूप में अक्सर इन स्टोलों को अन्य शासकों को भेंट करते थे.
नागा शॉल की खासियत
वहीं बात करें नागा शॉल की तो ये नागा शॉल कपड़ा कला का एक उत्कृष्ट रूप है जिसे नागालैंड में जनजातियों द्वारा सदियों से बुना जाता रहा है.ये शॉल अपने जीवंत रंगों, जटिल डिजाइनों और पारंपरिक बुनाई तकनीकों के लिए जाने जाते रहे हैं. नागा शॉल केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है बल्कि नागाओं की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. प्रत्येक शॉल एक अनोखी कहानी कहती है, जो जनजाति का इतिहास, विश्वास और जीवन का तरीका दर्शाती है. नागा शॉल स्थानीय सामग्री जैसे कपास, रेशम और ऊन से बनाया जाता है.
नागा शॉल की सबसे आकर्षक विशेषताओं में से एक ज्यामितीय का उपयोग है और सिम्बॉलिक डिजाइन है. इसकी डिजाइन जनजाति के मिथकों किंवदंतियां और विश्वास से प्रेरित हैं. नागा शॉल में इस्तेमाल होने वाले रंग भी सिम्बॉलिक होते हैं. नागालैंड के लोगों का मानना है कि रंगों का उनके जीवन और कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है. उदाहरण के लिए, लाल, के लिए साहस का प्रतीक है, जबकि काला शोक का प्रतिनिधित्व करता है. सफेद शुद्धता से जुड़ा हुआ है, और हरा विकास और समृद्धि का प्रतीक है.