Sania Mirza को क्यों कहना पड़ा- मैं बागी नहीं?

Sania Mirza को क्यों कहना पड़ा- मैं बागी नहीं?

भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने सामने रखी अपने दिल की बात. दिया अपने आलोचकों को करारा जवाब.

भारतीय टेनिस की दिग्गज खिलाड़ी सानिया मिर्जा को जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने का कोई मलाल नहीं है. कई लोग सानिया को नये ट्रेंड चलाने वाली मानते हैं जबकि कुछ उन्हें बंधनों को तोड़ने वाला करार देते हैं. खुद सानिया हालांकि इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखती. उनका मानना है कि वो बस अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहती हैं. सानिया ने टेनिस में आश्चर्यजनक सफलता हासिल की है जिसके आसपास कोई भी भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं है. मौजूदा खिलाड़ियों को भी देखें तो निकट भविष्य में सानिया के बराबर सफलता हासिल करने की कुव्वत किसी में भी नजर नहीं आ रही है.

सानिया ने पीटीआई से बातचीत में कहा जो लोग अपने तरीके से काम करने की हिम्मत करते हैं उसे लेकर समाज को मतभेदों को स्वीकार करना चाहिए और किसी को खलनायक या नायक के तौर पर पेश करने से बचना चाहिये.

कोई नियम नहीं तोड़ा:सानिया

इंटरनेशनल टेनिस को अलविदा की घोषणा कर चुकी सानिया ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैंने किसी नियम या बंधन को तोड़ा हैं. ये कौन लोग हैं जो इन नियमों को बना रहे हैं और ये कौन लोग हैं जो आदर्श होने की परिभाषा गढ़ रहे हैं.’ दुबई में अपना आखिरी टूर्नामेंट (डब्ल्यूटीए) खेल रही सानिया ने कहा, ‘ मुझे लगता है कि हर व्यक्ति अलग है और हर व्यक्ति को अलग होने की आजादी होनी चाहिए.’

सानिया मिर्जा ने कहा, ‘ मुझे लगता है कि एक समाज के रूप में यही वो जगह है जहां हम शायद बेहतर कर सकते हैं. हमें सिर्फ इसलिए लोगों की प्रशंसा या बुराई नहीं करनी चाहिये क्योंकि वे कुछ अलग कर रहे हैं.’ सानिया ने कहा, ‘ हम सब अलग-अलग तरह से बातें करते हैं, हम सबकी अलग-अलग राय है. मुझे लगता है कि एक बार जब हम सभी स्वीकार कर लेते हैं कि हम सभी अलग हैं तो हम नियमों को तोड़ने की बात को छोड़कर उन मतभेदों के साथ मिलजुल कर रह सकते हैं.’

जिंदगी को अपनी शर्तों पर जिया:सानिया

सानिया ने कहा, ‘ मैं खुद ईमानदारी के साथ रहने की कोशिश करती हूं. मैंने यही करने की कोशिश की है. मैंने खुद के प्रति सच्चे रहने की कोशिश की है. और मैंने जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की कोशिश की है.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर किसी को ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए और ऐसा करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. किसी के लिए यह नहीं कहना चाहिये कि आप नये मानदंड गढ़ रहे हैं. आप नियम तोड़ रहे हैं क्योंकि आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जो आप करना चाहते हैं.’

इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, ‘ यह एक ऐसी चीज है जिस पर मुझे बहुत गर्व है क्योंकि यह जरूरी नहीं कि मैं दूसरों से अलग रहूं. मैं आपके लिए अलग हो सकती हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कोई बागी हूं, या किसी तरह के नियम तोड़ रही हूं.’

महिला एथलीटों पर बड़ी बात बोलीं सानिया

पिछले कुछ सालों में भारतीय खेल में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन हाल के वर्षों तक महिला एथलीटों को स्वीकृति और मान्यता के लिए संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें खेल में करियर बनाने के योग्य भी नहीं माना जाता था और अगर कोई मुस्लिम परिवार से था तो उसके लिए और मुश्किलें थी. सानिया ने कहा कि महिला एथलीटों का समर्थन नहीं करना सिर्फ मुस्लिम परिवारों तक ही सीमित नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह सिर्फ मुस्लिम समुदाय का मुद्दा है. यह समस्या उपमहाद्वीप में ही है . अगर ऐसा नहीं होता तो हमारे पास सभी समुदायों से बहुत अधिक युवा महिलाएं खेलती हुई दिखती.’ उन्होंने कहा, ‘आपने मैरीकॉम को भी यह कहते हुए सुना होगा कि लोग नहीं चाहते थे कि वो मुक्केबाजी करे. वास्तव में इसका किसी समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जो अपने समय से बहुत आगे था, जिसने अपनी युवा लड़की को टेनिस खेलने के लिए प्रेरित किया. उस समय टेनिस जो एक ऐसा खेल था जो हैदराबाद में अनसुना सा था और फिर विंबलडन में खेलने का सपना देखना, किसी ने सोचा भी नहीं था.’