लाज क्यों नहीं आती… छगन भुजबल को मंत्री बनाए जाने पर शिवसेना का तीखा प्रहार

लाज क्यों नहीं आती… छगन भुजबल को मंत्री बनाए जाने पर शिवसेना का तीखा प्रहार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने छगन भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है. इसी के बाद अब शिवसेना (यूबीटी) ने इसको लेकर पार्टी पर हमला किया है. शिवसेना ने अपने पत्र सामना में कहा, अब एकनाथ शिंदे को भुजबल की जांघ से जांघ सटाकर बैठना होगा. हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार करने वाले छगन भुजबल की जांघों से जांघें सटाकर बैठने में आपको क्यों तकलीफ नहीं होती? लाज क्यों नहीं आती?

महाराष्ट्र की राजनीति में छगन भुजबल एक बड़ा नाम है और उन्हें हाल ही में मंत्री पद दिया गया है. इसी के बाद से जहां वो सीएम देवेंद्र फडणवीस के लिए कई रणनीतिक लाभ लेकर आ सकते हैं. वहीं, दूसरी तरफ शिवसेना (यूबीटी) ने छगन भुजबल को मंत्री बनाए जाने के बाद इतिहास के पन्ने पलटना शुरू कर दिया है और सीएम फडणवीस से लेकर एकनाथ शिंदे और अजित पवार को टारगेट करना शुरू कर दिया है.

शिवसेना (यूबीटी) ने अपने पत्र सामना की संपादकीय में कहा, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने जीवन के बहुत मुश्किल दौर में पहुंच गए हैं और उन्हें अपनी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के पास जाकर इसकी शिकायत करनी चाहिए. देवेंद्र फडणवीस ने छगन भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है और अब एकनाथ शिंदे को भुजबल की जांघ से जांघ सटाकर बैठना होगा.

शिवसेना (UBT) ने किया तंज

शिवसेना (उद्धव गुट) ने संपादकीय में तंज करते हुए कहा, हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार करने वाले छगन भुजबल की जांघों से जांघें सटाकर बैठने में आपको क्यों तकलीफ नहीं होती? लाज क्यों नहीं आती? उद्धव ठाकरे से एकनाथ शिंदे ने ऐसे सवाल पूछे थे. शिंदे ने शिवसेना छोड़कर अमित शाह का नेतृत्व स्वीकार करने की जो वजह बताईं, उनमें मुख्य वजह यह था कि उनसे भुजबल की जांघ से जांघ सटाकर बैठना संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा था कि शिव सेना प्रमुख को गिरफ्तार करने वाली हवा तक को वे नहीं बख्शेंगे.

“इस्तीफा दे देना चाहिए”

सामना में एकनाथ शिंदे के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, अब अमित शाह और फडणवीस ने शिंदे के लिए ऐसी दुविधा पैदा कर दी है कि अगर उनकी शिव सेना प्रमुख के प्रति सच्ची निष्ठा है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, अगर वो मंत्रिमंडल में भुजबल की हां में हां मिलाते हुए अपने दिन गुजारेंगे. शिंदे-मिंधे न सिर्फ भुजबल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए, बल्कि शिव सेना प्रमुख को गिरफ्तार करने वाले शख्स को फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित भी किया.

पत्र में आगे कहा गया, भुजबल की मंत्रिमंडल में एंट्री शिंदे और उनके लोगों के लिए एक चेतावनी है. जब भुजबल को शुरू में मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया तो उन्होंने काफी हंगामा किया था. उन्होंने कहा कि यह अन्याय ओबीसी समुदाय के साथ हुआ है. उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि वे अब चुप नहीं रहेंगे और महाराष्ट्र में हंगामा मचा देंगे.

सामना में पार्टी पर हमला करते हुए शिवसेना ने कहा, हकीकत में हंगामा वगैरह नहीं मचा और हंगामा मचाने के लिए खड़े भुजबल, फडणवीस के अनुरोध पर शांत बैठ गए. विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने मनोज जरांगे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, वो फडणवीस के इशारे पर था, लेकिन सरकार आने के बाद फडणवीस को सबसे ज्यादा दुख इस बात का हुआ कि अजित पवार ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया. अब फडणवीस ने धनंजय मुंडे की जगह भुजबल को लिया है. अजित पवार का यहां कोई संबंध नहीं है.

शिवसेना ने याद दिलाया इतिहास

सामना में भुजलबल को लेकर आगे कहा गया, फडणवीस ने खुद छगन भुजबल के कुछ घोटालों के बारे में आवाज उठाई थी. फडणवीस ने अजित पवार को भी जेल में भुजबल के बगल वाली कोठरी में चक्की पीसने के लिए भेजने की धमकी दी थी. फडणवीस रोज कहते थे कि इसे क्या कहा जाए भुजबल और अजित पवार की जगह जेल में है और मुख्यमंत्री ठाकरे ऐसे लोगों के साथ जांघ से जांघ सटाकर बैठते हैं? इसलिए हम ठाकरे की सरकार को गिरा देंगे और भुजबल और अजित पवार को चक्की पीसने के लिए जेल भेजेंगे.

आगे कहा, फडणवीस जानबूझकर इस बात का जिक्र करते थे कि भुजबल को बरी नहीं किया गया है, बल्कि जमानत पर रिहा किया गया है. बहरहाल, आज तस्वीर यह है कि दोनों नेता भुजबल और अजित पवार अपनी ऐतिहासिक जांघों के साथ फडणवीस की कैबिनेट में हैं और बीजेपी के लोग उनकी जांघों पर देवेंद्र रतन तेल मलकर भ्रष्टाचार की नींव मजबूत कर रहे हैं. वे किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते, उसे जेल भेज देते और शेखी बघारते कि वो दोबारा कभी जांघ से जांघ सटाकर नहीं बैठेंगे, लेकिन बाद में उन्हें ही सत्ता के लिए पार्टी में शामिल कर लोगों को मूर्ख बनाया. यह भारतीय जनता पार्टी का धंधा है.

भुजबल को लेकर क्या कुछ कहा?

फडणवीस और शिंदे को अजित पवार और भुजबल की जांघों से इतनी घृणा थी कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि शिंदे और फडणवीस गदा हाथ में लेकर भुजबल और अजित पवार की जांघों को कीचक की तरह तोड़ देंगे, लेकिन यह तो कहना ही होगा कि वक्त ने इन दोनों से भयंकर बदला ले लिया है. भुजबल पर ईडी और किरीट सोमैया जैसे भुक्कड़ लोगों ने आरोप लगाए, इसका मतलब यह है कि किरीट सोमैया की तरफ से इस तरह के आरोप लगाकर भुजबल को परेशान करने की प्रेरणा फडणवीस जैसे लोग थे. अब यही भुक्कड़ किरीट सोमैया भुजबल की पीठ थपथपाते नजर आएंगे. शिंदे गुट के गुलाब पाटील और नांदगांव के कांदे ने तो भुजबल के खिलाफ अभियान भी चलाया था. गुलाब पाटील एक जनसभा में बोल रहे थे कि भुजबल आसाराम हैं.

भुजबल कई वर्षों तक नासिक के पालक मंत्री के पद पर रहे हैं. उनका प्रशासनिक अनुभव व्यापक है. फडणवीस उनके मौजूदा कंठमणि हैं. अब से भुजबल अजित पवार के नहीं, बल्कि फडणवीस के आदेशों का पालन करेंगे और उनके नेता अमित शाह होंगे. भुजबल, जिन्होंने कभी महाराष्ट्र की अस्मिता के लिए लड़ाई लड़ी, कारावास झेले और मराठी लोगों के मुद्दों को साहसपूर्वक .