अमेठी में ऐसा गांव….लोगों ने आजादी के 75 साल बाद भी नहीं देखा टीवी, जबकि विदेशों में भी रह रहे

अमेठी में ऐसा गांव….लोगों ने आजादी के 75 साल बाद भी नहीं देखा टीवी, जबकि विदेशों में भी रह रहे

ऐठा गांव के बुजुर्गों का कहना है कि टीवी इसलिए नहीं रखते कि इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा. इस्लाम में उन बातों की मनाही है, जो समाज पर गलत प्रभाव डालते हैं. युवा इसे परंपरा से जोड़ कर देखते हैं. उनका कहना है कि जब बड़े बुजुर्ग नहीं चाहते तो हम क्यों जिद करें.

एक ओर जहां देश मंगल ग्रह पर पानी खोज रहा है.वहीं, हाईप्रोफाइल उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां एक भी टेलीविजन नहीं है. ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोग टेलीविजन खरीद नहीं सकते. जहां पर आजादी के बाद से आज तक इस गांव के लोग टेलीविजन का इस्तेमाल नहीं करते. यही नहीं इसमें शादी या किसी पार्टी मे बाजे भी नही बजाए जाते है. हालांकि, यहां ये परम्परा सदियों से चली आ रही है. वहीं, गांव में सुविधाएं पूरी हैं, बावजूद इसके उनका टीवी न रखना मजहबी मामला बन गया है.

दरअसल, ये मामला अमेठी जिले के गौरीगंज तहसील के अंतर्गत आने वाले ऐठा गांव का है. जहां गांव में करीब 200 घरों में हजारों की आबादी है. लेकिन किसी भी घर में लोग टीवी नहीं रखते हैं. बच्चों के पढ़ने के लिए गांव में ही 2 सरकारी विद्यालय हैं. साथ ही मजहबी तामील के लिए एक मदरसा भी संचालित है. यहां बच्चों को उर्दू के साथ हिंदी भी पढ़ाई जाती है. इसके अलावा गांव में विकास कामों की सुविधाओं की बात करें तो बिजली पानी सड़क सहित मूलभूत सुविधाओं से गांव पूरी तरीके से परिपूर्ण है.

गांव के लोग विदेशों में रहकर कमाते हैं अच्छे खासे पैसे

वहीं, गांव में टीवी आज भी लोग इस्तेमाल नहीं करते है. शादी विवाह में भी लोग टीवी नहीं देते है. खास बात तो यह है कि गांव के कई लोग विदेशों में रहकर अच्छे खासे पैसे भी कमा रहे हैं. मगर, आज भी गांव के लोगों ने पुश्तैनी परंपरा को समझाते हुए गांव के अंदर टीवी पर पाबंदी है. इतना ही नहीं शादी या फिर किसी कार्यक्रम में बाजे या भांगड़ा नहीं बजवाते है. इस पराम्परा का निर्वहन हर कोई मिलजुलकर करता है.

ग्रामीणों ने बताई क्या है वजह?

बता दें कि, ऐठा गांव की एक स्थानीय ग्रामीण रिजवान अहमद बताते हैं कि गांव में टीवी देखने की परंपरा नहीं है. गांव में करीब 125 घर हैं. ऐसे में किसी घर में टीवी नहीं है. रिजवान बताते हैं कि हम लोगों के धर्म में टीवी देखना गुनाह माना जाता है. यह परंपरा पुश्तैनी है और आगे भी इस परंपरा को निभाया जाएगा.

वहीं, गांव के प्रधान मोहम्मद शमीम ने बताया कि गांव में कई सालों से टीवी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसकी वजह है की टीवी में दिखाए गए कार्यक्रम हमारे धर्म और मजहब के खिलाफ होते हैं. बच्चे गलत संगत में ना जाएं. साथ ही उनके जीवन पर कोई दुष्प्रभाव ना पड़े. प्रधान ने कहा कि टीवी न रखने का सबसे बड़ा मुख्य कारण यही है. इसके साथ ही हमारे धर्म में भी टीवी रखने की इजाजत नहीं दी जाती और हम लोग इस परंपरा को सदियों से निभा रहे हैं.