महाराष्ट्र में पेपर लीक रोकने के लिए 10 मिनट पहले पर्चा बंटना बंद, बच्चों को भाया नहीं सिस्टम

महाराष्ट्र में पेपर लीक रोकने के लिए 10 मिनट पहले पर्चा बंटना बंद, बच्चों को भाया नहीं सिस्टम

महाराष्ट्र राज्य शिक्षा विभाग (MSBSHSE) कॉपी और पेपर लीक की समस्याओं से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. इसके तहत 10 मिनट पहले पर्चा देने की व्यवस्था बंद की जा रही है. विद्यार्थी और शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं.

मुंबई: महाराष्ट्र में 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड की परीक्षाएं अब बेहद करीब हैं. बारहवीं की परीक्षाएं 21 फरवरी से और दसवीं की परीक्षाएं 2 मार्च से शुरू हो जाएंगी. लेकिन एग्जाम से ठीक पहले विद्यार्थियों और शिक्षकों में एक बात को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. राज्य शिक्षा विभाग (MSBSHSE) कॉपी और पेपर लीक की समस्याओं से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. इनमें से एक अहम कदम के तौर पर यह तय किया गया है कि अब परीक्षा शुरू होने से दस मिनट पहले क्वेश्चन पेपर मिलना बंद किया जा रहा है.

इस कदम को ना सिर्फ विद्यार्थी बल्कि शिक्षक भी नापसंद कर रहे हैं. इनका कहना है कि परीक्षा अब सर पर है. आखिरी वक्त में नियमों में कोई भी फेरबदल बिना वजह पैनिक क्रिएट करने वाला फैसला होता है. यह कदम उठा कर बस पैनिक बटन दबाने का काम किया गया है. इसका असर विद्यार्थियों की तैयारियों पर पड़ेगा.

‘विद्यार्थी तो ये भी कोरोना से गुजरे, इन्हें सुविधाओं से वंचित क्यों करें?’

शिक्षकों का कहना है कि इससे पहले जो दो बैचेस ने परीक्षाएं दी थीं, उनको दी गई सहूलियतों को ऐन वक्त पर वापस ले लेना अफरा-तफरी पैदा करने वाला है. यह विद्यार्थियों पर एक तरह से अन्याय किया गया है. अगर पिछले दो बैचेस के विद्यार्थी को कोरोना काल के तजुर्बों से होकर गुजरना पड़ा था तो इस साल इम्तिहान दे रहे विद्यार्थी भी कोरोना काल से गुजर कर आ रहे हैं.

‘पर्चा दस मिनट पहले देने की परंपरा बंद करने का नहीं है सही फैसला’

विद्यार्थियों और शिक्षकों का यह भी तर्क है कि कोरोना काल में लिखने की आदत बिगड़ी है. अभी तक विद्यार्थियों में लिखने की क्षमता कोरोना काल से पहले की तरह विकसित नहीं हो पाई है. इसलिए दस मिनट पहले क्वेश्चन पेपर देने की परंरपरा को बंद ना करते हुए कम से कम इस साल यह कायम रखा जाए. अगर बंद भी किया जाना है तो यह अगले साल के बैच के लिए लागू किया जाए, ताकि बच्चों को पहले से ही नियम पता हों और वे उस नई शर्तों और नियमों में खुद को ढाल कर आएं.

विद्यार्थियों और शिक्षकों का तर्क है कि वैसे भी बच्चों के मोबाइल तो रखवा लिए जाते हैं. फिर पेपर लीक करने या कॉपी करने का जरिए बचता कहां है. बाकी व्यवस्थाओं को मजबूत किया जाए, ताकि पेपर लीक ना हो सकें. पर्च दस मिनट पहले देने की व्यवस्था बंद करना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं है. इसलिए इस फैसले को वापस लिया जाए और विद्यार्थियों में भय और आशंकाओं की भावनाओं को दूर किया जाए.