महाभियोग से ही हटाए जाएंगे चुनाव आयुक्त, सुप्रीम कोर्ट ने किए पांच बड़े बदलाव

महाभियोग से ही हटाए जाएंगे चुनाव आयुक्त, सुप्रीम कोर्ट ने किए पांच बड़े बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्तों को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव निस्संदेह निष्पक्ष होना चाहिए और इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ईसी की है.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवाह को फैसला दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सहमति जताते हुए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पांच बड़े बदलाव किए.

जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती. कोर्ट ने कहा अगर लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में शामिल किया जाएगा.

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चुनाव आयुक्तों को लेकर पांच बड़े बदलाव

1. तीनों अधिकारियों की नियुक्ति पीएम, एलओपी और सीजेआई के कॉलेजियम द्वारा की जाएगी.

2. उन्हें संसद में महाभियोग चलाकर ही हटाया जा सकता है, यह प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के समान है. अब तक, उन्हें सरकार द्वारा हटाया जा सकता था.

3. आयोग का अलग बजट होगा. अब तक, उन्हें कानून मंत्रालय को आवंटित केंद्रीय बजट का हिस्सा मिलता था.

4. आयोग का संसद की तरह अलग सचिवालय होगा.

5. आयोग को यह अधिकार होगा कि जहां कहीं भी कोई रिक्तता हो या कानून में स्पष्टता न हो, वह अपने नियम स्वयं बना सके.

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कब तक लागू रहेगा यह नियम?

पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती. कोर्ट ने कहा अगर लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में शामिल किया जाएगा.

पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव निस्संदेह निष्पक्ष होना चाहिए और इसकी शुद्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है.

(इनपुट-भाषा)