30-40 की उम्र में भी बच्चा करने से पहले आदमी 100 बार सोचता है…सरोगेसी पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

30-40 की उम्र में भी बच्चा करने से पहले आदमी 100 बार सोचता है…सरोगेसी पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

पुरुषों के मामले में 55+ और महिलाओं के मामले में 50+ उम्र के लोगों को मौजूदा सरोगेसी कानून के तहत बच्चा करने की अनुमति नहीं है. कुछ लोगों को इससे आपत्ति है, इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सरोगेसी कानून के मौजूदा अधिकतम उम्र को चुनौती दी है. जानिए इस पर कोर्ट ने क्या कहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कल एक अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने इस तरह के मामले आ रहे हैं जहां 60 से अधिक उम्र के लोग सरोगेसी के कानून के तहत बच्चा चाहते हैं. कोर्ट सरोगेसी रेगुलेशन कानून 2021 के संदर्भ में ये सुनवाई कर रहा है जहां उम्रदराज लोगों ने सरोगेसी के जरिये बच्चा करने की अनुमति अदालत से मांगी है.

कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि एक सामन्य आदमी भी 30-40 की उम्र में बच्चा करने से पहले 100 बार सोचता है लेकिन यहां इस तरह की भी याचिकाएं हैं जहां 60+ लोग सरोगेसी के तहत बच्चा चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट में यह टिप्पणी दरअसल जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने की. उन्होंने कहा कि कानून में उम्र की सीमा सोच समझ कर रखी गई है, ऐसा लगता है लोग हर चीज ही बदल देना चाहते हैं.

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क्या है पूरा मामला?

जस्टिस बी वी नागरत्ना और उज्जवल भुयन की बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सरोगेसी के लिए जो अधिकतम उम्र है, उसको चुनौती दी गई है. 2021 के सरोगेसी कानून के तहत एक महिला के लिए सरोगेसी के जरिये बच्चा करने की उम्र 23 से लेकर 50 साल रखी गई है जबकि पुरुषों के लिए यह उम्र 26 से लेकर 55 साल के बीच रखी गई है. याचिकाओं में 50 और 55 के इसी उम्र को चुनौती दी गई है.

‘बच्चों के भी हैं कुछ अधिकार’

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि 60 से अधिक उम्र के जो लोग बच्चा चाहते हैं, उन्हें इस बात का इल्म होना चाहिए कि इस उम्र में एक बच्चे का पालन पोषण काफी मुश्किल होगा. कोर्ट का कहना था कि बच्चा भी यह तय नहीं कर पाएगा कि वह उन्हें पिता कहे या दादा. कोर्ट ने बच्चे के अधिकारों को लेकर भी सवाल उठाया किया, कहा सिर्फ बच्चा कर लेना ही काफी नहीं, उसकी देख रेख, पढ़ाई लिखाई इतना आसान काम नहीं.

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