तबाही का दर्द! जेहन में अभी भी विनाश का डर, तुर्की में बचे लोगों की बेपटरी जिंदगी का सच

तबाही का दर्द! जेहन में अभी भी विनाश का डर, तुर्की में बचे लोगों की बेपटरी जिंदगी का सच

तुर्की में और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के बाद हालात अभी तक पटरी पर वापस नहीं लौटा है. भूकंप के बाद जिंदा बचे लोगों के सामने अब रहने के साथ-साथ अन्य मूलभूत चीजों की भारी कमी देखने को मिली है. लोग सड़क और पटरियों किनारे रह रहे हैं.

तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के एक महीने बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं. जो लोग जिंदा बच गए हैं उनके भीतर भूकंप का डर अभी तक खत्म नहीं हुआ है. भारी संख्या में लोग अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है. सड़कों पर जीवन गुजारना पड़ रहा है. न तो इनके रहने का कोई ठिकाना है और नहीं खाने की कोई व्यवस्था. बस किसी तरह से जीवन चल रहा है. हजारों की संख्या में लोग आज भी रहने के लिए सुरक्षित ठिकाना खोज रहे हैं.

विनाशकारी भूकंप के बाद रहने के लिए घर नहीं बचे हैं, कुछ बचे भी हैं तो उसमें रहने की साहस नहीं बची है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के बाद करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए हैं. इन लोगों को यह नहीं पता है कि इन्हें कहां रहना है और इनका जीवन बसर कैसे होगा और एक सुरक्षित छत के लिए कितना समय लगेगा.

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20 लाख लोग क्षेत्र से बाहर निकले

तुर्की आपदा एजेंसी अफद का कहना है कि लगभग 20 लाख लोग उस क्षेत्र से बाहर निकल चुके हैं जहां विनाशकारी भूकंप आया था. इनमें से अधिकतर देश के दूसरे हिस्सों में या फिर अपने दोस्तों के साथ रह रहे हैं. सरकार ने देश को छोड़ने वालों के लिए फ्लाइट और ट्रेन के टिकट को फ्री कर दिया. मतलब जो देश छोड़ना चाहते हैं उनको टिकट का कोई किराया नहीं देना होगा.

Patients Affected By The Earthquake

Patients Affected By The Earthquake

इस बीच समंदाग शहर में रह रहा एक परिवार ऐसा भी है जो कहीं नहीं जाना चाहता है. परिवार से बड़े सदस्य सोंगुल कहते हैं कि उनका परिवार कहीं नहीं जा रहा है. आगे जो कुछ भी होगा, भले ही घर गिर जाए, हम यहीं रहेंगे. यह हमरा घर हैं. हमारे पास जो भी कुछ है वो यहीं है. हस इस इलाके को नहीं छोड़ेंगे. सोंगुल का पूरा परिवार फिलहाल तीन टेंटों में रह रहा है.

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सड़क ही बन गया है घर

ये तीनों टेंट उनके उस घर से बस कुछ ही कदम की दूरी पर हैं जो भूकंप में पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. भूकंप के बाद से सोंगुल अपने परिवार के साथ यहीं सोते हैं, खाते हैं दिन गुजारते हैं. इनके आसपास कोई शौचालय नहीं है. अस्थायी रूप से एक शौचालय की व्यवस्था कर रखी है. सोंगुल के परिवार ने सड़क को ही घर बना लिया है.