यूपी में पुलिस भर्ती परीक्षा पेपर लीक केस का असली खिलाड़ी कौन? एडुटेस्ट पर उठे सवाल
यूपी में इसी साल 17 और 18 फरवरी को पुलिस भर्ती परीक्षा हुई थी. ये परीक्षा 60 हजार 244 कांस्टेबलों की नौकरी के लिए हुई थी. लेकिन इसका पेपर लीक हो गया. यूपी सरकार पहले नकारती रही. लेकिन नौजवानों के विरोध और दवाब के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई. स्पेशल टास्क फोर्स को पेपर लीक कांड की जांच की जिम्मेदारी दी गई.
यूपी में पुलिस भर्ती परीक्षा दुबारा कब होगी? अभी तय नहीं हुआ है. जिस कंपनी एडुटेस्ट ने परीक्षा कराई, उसे इसी महीने ब्लैक लिस्ट किया गया. लेकिन कई राज्यों में गुजरात की ये कंपनी पहले से ब्लैक लिस्ट थी. एडुटेस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत आर्य सात साल पहले भी जेल जा चुके हैं. उन पर पेपर लीक का मुक़दमा पहले से चल रहा था. तो फिर ऐसी दागदार कंपनी को यूपी में पुलिस भर्ती परीक्षा कराने का ठेका क्यों दिया गया? क्या ये फैसला करने वाले जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई होगी? यूपी की योगी सरकार का बुलडोजर चलेगा?
यूपी में इसी साल 17 और 18 फरवरी को पुलिस भर्ती परीक्षा हुई थी. ये परीक्षा 60 हजार 244 कांस्टेबलों की नौकरी के लिए हुई थी. लेकिन इसका पेपर लीक हो गया. यूपी सरकार पहले नकारती रही. लेकिन नौजवानों के विरोध और दवाब के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई. स्पेशल टास्क फोर्स को पेपर लीक कांड की जांच की जिम्मेदारी दी गई. कई लोग पकड़े जा चुके हैं.
एसटीएफ का दावा है कि एडुटेस्ट कंपनी के अहमदाबाद वाले गोदाम से पेपर लीक हुआ. एसटीएफ इस मामले में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत आर्य से पूछताछ करना चाहती है. पर वो अमेरिका चला गया है. एसटीएफ उन्हें कई नोटिस भेज चुकी है.
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विवादित कंपनी को परीक्षा कराने का ठेका कैसे मिला?
अब सवाल ये है कि यूपी के 42 लाख नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने की छूट किसने दी. इतने लोग पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे. आखिर विवादित कंपनी को परीक्षा कराने का ठेका कैसे मिला? यूपी में ये परीक्षा यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने कराई थी. उन दिनों रेणुका कुमार इस बोर्ड की चीफ थी. पेपर लीक के बाद उन्हें हटा कर राजीव कृष्ण को नया हेड बना दिया गया है.
पर सवाल तो सबसे बड़ा यही है कि किसके कहने पर एडु टेस्ट कंपनी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी गई. ये कंपनी तो बिहार में पहले से ब्लैक लिस्ट थी. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 20 अक्टूबर 2023 को ही इसे ब्लैक लिस्ट कर दिया था. कंपनी को तीन सालों के लिए ब्लैक लिस्ट किया गया था. सेकेंडरी स्कूलों में टीचर की भर्ती परीक्षा इसी कंपनी ने कराई. जिसमें बड़ी गड़बड़ियां हुई थीं. बताया जाता है कि 5 हजार 657 परीक्षार्थियों को जरूरी नंबर न मिलने पर भी पास कर दिया गया था.
यूपी पुलिस ने टास्क फोर्स का किया गठन
यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने कांस्टेबलों की रद्द परीक्षा फिर से कराने पर काम शुरू कर दिया है. पूरे मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. पुलिस भर्ती बोर्ड ने पिछले परीक्षा में पेपर को प्रिंटिंग प्रेस से लेकर परीक्षा सेंटर तक ले जाने वाली कंपनी को भी ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया है.
पिछली बार परीक्षा के दौरान ये कॉट्रैक्ट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी TCI को दिया गया था. तय हुआ कि इस संस्था को अब आगे किसी तरह का काम नहीं दिया जाएगा. पेपर लीक केस की जांच कर रही एसटीएफ ने TCI के दो कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया है. अभिषेक शुक्ला और रोहित पहले अहमदाबाद में काम करते थे. अब ये दोनों मेरठ जेल में बंद हैं.
लोकसभा चुनाव में पेपर लीक बना मुद्दा
इस बार के लोकसभा चुनाव में पेपर लीक बड़ा मुद्दा रहा. कांस्टेबल परीक्षा रद्द होने से भी यूथ नाराज हैं. पिछले ही हफ्ते यूपी सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर एक नया गाइडलाइन जारी किया है. अब परीक्षा किसी एक एजेंसी से नहीं कराई जाएगी . इसके लिए कम से कम चार एजेंसियों को रखा जाएगा. क्वेश्चन पेपर एक एजेंसी को तो उसके प्रिंटिंग का काम दूसरी एजेंसी के मिलेगा.
इसी तरह परीक्षा सेंटर तक पेपर ले जाने की जिम्मेदारी किसी और की होगी. इसीलिए पुलिस भर्ती बोर्ड अब टेंडर से चार एजेंसी तय करेगी. इस बार सिर्फ सरकारी संस्थानों में ही परीक्षा सेंटर बनाने का फैसला हुआ है.
एडु टेस्ट कंपनी का पुराना नाम कंफिसेक प्राइवेट लिमिटेड था. साल 2017 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक हो गया था. पेपर छापने वाली कॉन्फिसेक के डॉयरेक्टर विनीत आर्य को तब बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.