Unemployment Data: शहरों में बढ़े रोजगार, 5 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंची बेरोजगारी दर
भारत में शहरी बेरोजगारी में कमी आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार को जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके हिसाब से जनवरी-मार्च तिमाही में ये 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है.
देश में जिस तरह से आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, उसका असर सीधे-सीधे बेरोजगारी दर पर भी पड़ रहा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने सोमवार को शहरी बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी किए, ये जनवरी-मार्च तिमाही में 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है.
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के लिए जुटाए गए डेटा के आधार पर एनएसओ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में शहरी बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत रही है.ये बीते 5 साल में शहरी बेरोजगारी दर का सबसे निचला स्तर है.
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बढ़ी रोजगार की डिमांड और सप्लाई
आंकड़े बताते हैं कि जनवरी-मार्च तिमाही सिर्फ इकलौती तिमाही नहीं है जब बेरोजगारी दर इतने निचले स्तर पर आई है. बल्कि वित्त वर्ष 2022-23 की चारों तिमाही में भी ये सबसे अच्छी तिमाही रही है. इस सर्वे में एक और बात सामने आई है कि बेरोजगारी दर के नीचे आने की वजह ये नहीं कि मार्केट में नौकरी की डिमांड घटी है, बल्कि इसकी वजह रोजगार की उपलब्धता बढ़ना है.
हर 100 में से 38 को चाहिए रोजगार
जॉब मार्केट में नौकरी की खोज में रहने वाले लोगों को लेबर फोर्स पार्टसिपिटेशन रेट (एलएफपीआर) से मापा जाता है. वित्त वर्ष 2022-23 की सभी तिमाहियों में ये 5 साल में सबसे अधिक रही है. यानी शहरी जॉब मार्केट में रोजगार ढूंढ रहे लोगों की संख्या या कहें कि जॉब की डिमांड बढ़ी है. जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में एलएफपीआर 38.1 प्रतिशत रहा है.
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बेरोजगारी दर का नीचे आना अच्छा संकेत
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अमित बसोले बेरोजगारी दर के नीच आने को अच्छे संकेत के रूप में देखते हैं. देश में बेरोजगारी दर के आंकड़े मुख्य तौर पर पढ़ी-लिखी युवा आबादी के रोजगार पाने की स्थिति से तय होता है. ऐसे में इसका नीचे आना बढ़िया है.