Bank Privatization: बैंकों के निजीकरण पर बोलीं वित्तमंत्री, होकर ही रहेगा प्राइवेटाइजेशन

Bank Privatization: बैंकों के निजीकरण पर बोलीं वित्तमंत्री, होकर ही रहेगा प्राइवेटाइजेशन

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है सरकार निजीकरण के अपने प्लान को लेकर अडिग है. इसे समय पर ही पूरा किया जाएगा.

सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने को लेकर सरकार ने साफ कर दिया है कि बैंकों का निजीकरण समय के मुताबिक ही होगा. सरकार अपने शिड्यूल से पीछे नहीं हटेगी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है सरकार निजीकरण के अपने प्लान को लेकर अडिग है. इसे समय पर ही पूरा किया जाएगा.

बैकों के निजीकरण के मुद्दो को लेकर विपक्ष ने लगातार सरकार पर हमले किए है. विपक्ष का कहना है कि सरकार धीरे धीरे सबकुछ प्राइवेट करने पर आमादा है. दरअसल सरकार का कहना है कि बैंकों का निजीकरण अपने तय समय के मुताबिक ही होगा. डेडलाइन में कोई देरी की गुजाइंश नहीं है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही.

9 साल पर गिनाई उपलब्धियां

वित्तमंत्री मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर मुंबई के एक कार्यक्रम में शामिल हुई थी. जहां उन्होंने बैंक निजीकरण के सवाल में साफ कर दिया. वहीं वित्तमंत्री ने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि हमने कोविड जैसे महामारी को हरा दिया. हालांकि इसमें 3 साल का समय लगा. निर्मला सीतारमण का कहना था कि कोविड और दूसरे संकट के चलते सरकार ने तीन साल गवाएं. इस लिहाज से देखा जाए तो काम करने का मौका 6 साल ही मिल सका है.

महंगाई के मोर्चे पर बनी है नजर

महंगाई के मोर्चे पर सरकार की लगातार नजर बनी हुई है. वित्तमंत्री निर्मलास सीतारमण ने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए क्रेंद्र सरकार की नजर बनी हुई है. देश में खुदरा मुद्रास्फीति अब घटकर 4.8 फीसदी पर आ चुकी है. सराकर लगाता स्थानीय बाजारों की भी निगरानी कर रही है. साथ ही जमाखोरी को रोकने के भी प्रयास कर रही है. ताकि महंगाई को काबू में रखा जा सके. सरकार महंगाई को रोकने के लिए हर वो प्रयास कर रही है जो समय पर करना चाहिए.

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2000 के नोट पर वित्तमंत्री

2000 के नोट पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि ये काम रिजर्व बैंक का है न की सरकार का. 2000 रुपए के नोट पर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बयान की निर्मला सीतारमण ने आलोचना की. उनका कहना था कि पूर्व वित्तमंत्री को यह अच्छी तरह पता है कि इस तरह के फैसले आरबीआई लेता है इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं होता. लेकिन विपक्ष इसे उठाकर अपवाह फैलाने जैसा काम कर रहा है.

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