इजराइल में बिगड़े हालात से भारत को झटका, G20 के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर छाए संकट के बादल
भारत में हाल में संपन्न हुई G20 Summit में चीन को चुनौती देने वाले एक मिशन पर सहमति बनी थी. इसमें समुद्र और लैंड रूट के रास्ते से एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाया जाना था, लेकिन अब इजराइल में हालात तनाव पूर्ण होने से इस मल्टीनेशन प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ये भारत के लिए बड़ा झटका है.
भारत ने हाल में जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन किया. इसमें भारत के लिए सबसे बड़ा हासिल ‘इंडिया-वेस्ट एशिया-यूरोप’ इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति बनना था. इसे चीन के ‘बेल्ट एंड रोड’ इनिशएटिव की सबसे बड़ी काट माना जा रहा है. लेकिन जी20 के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इसकी वजह इजराइल के ताजा हालात हैं. फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के इजराइल पर हमले के बाद से इजराइल में युद्ध की स्थिति बनी हुई है.
इंडिया-वेस्ट एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की खास बात ये है इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिलने वाला है. ये भारत को सीधे खाड़ी और पश्चिमी देशों से जोड़ेगा. ये भारत के निर्यात को बढाने का काम करेगा, वहीं भारत के प्राचीन ‘मसाला रूट’ को जीवंत करेगा, जिसकी बदौलत एक समय में भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाया करता था.
इन देशों से गुजरना है ये कॉरिडोर
जी20 के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), यूरोपीय यूनियन, इंटली, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने सहमति जताई थी. इस इकोनॉमिक कॉरिडोर में भारत समुद्री मार्ग से खाड़ी देशों के साथ जुड़ेगा और वहां से स्थलीय मार्ग से यूरोप को जोड़ा जाएगा. इससे भारत के पश्चिमी तट से यूरोप के सुदूर हिस्से तक व्यापार करना आसान हो जाएगा.
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प्रोजेक्ट में हो सकती है काफी देरी
पूर्व विदेश सचिव और तुर्की, मिस्र, फ्रांस और रूस में भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ डिप्लोमेट कंवल सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा कि इजराइल की मौजूदा परिस्थिति अगले कुछ महीने पश्चिमी एशिया में हालात अस्थिर रख सकती है. इससे नई दिल्ली से लेकर वाशिंगटन तक चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. ये कॉरिडोर जॉर्डन और हाइफा से गुजरना है. ये दोनों ही काफी सेंसिटिव जोन हैं. ऐसे में ‘इंडिया-वेस्ट एशिया-यूरोप’ इकोनॉमिक कॉरिडोर को पूरा होने में देरी होने की आशंका है. इसकी वजह ये है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर होने वाली मीटिंग्स अगले दो महीने में शेड्यूल थी, जिनमें अब देरी होने की पूरी संभावना है. ऐसे में प्रोजेक्ट में देरी की संभावना से बिलकुल इनकार नहीं किया जा सकता.
इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के दो रीजन हैं. इसमें ईस्टर्न रीजन में भारत और खाड़ी देश समुद्री मार्ग से जुड़ने हैं. जबकि नॉर्दर्न रीजन में खाड़ी देश यूरोप से जुड़ने वाले हैं. ये लैंड रूट होगा जो रेल सर्विस पर निर्भर करेगा.