Seized Vehicles: सीज हुई गाड़ियों का क्या करती है सरकार, क्या मिल जाती हैं वापस?

Seized Vehicles: सीज हुई गाड़ियों का क्या करती है सरकार, क्या मिल जाती हैं वापस?

What happens to seized vehicles: हाल ही में ED ने रिएयल स्टेट दिग्गज M3M ग्रुप और IREO ग्रुप की 17 लग्जरी कारें सीज की हैं. इनकी कीमत 60 करोड़ रुपये आंकी गई है. आखिर, गाड़ियों को सीज करके सरकार करती क्या है?

What happens if police seized vehicles: हाल ही में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने 60 करोड़ रुपये की कारें जब्त की हैं. दिल्ली-गुरुग्राम के सात ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन के दौरान 17 लग्जरी कारें जब्त की गई हैं. ईडी ने हेराफेरी और फंड डायवर्जन के मामले में दिग्गज रियल एस्टेट फर्म M3M ग्रुप और IREO ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की. इस दौरान ईडी ने रोल्स रॉयस, लेम्बोर्गिनी, फेरारी, लैंड रोवर, बेंटले, मर्सिडीज-मेबैक सहित 17 हाई-एंड लग्जरी कारों को जब्त किया. इसके अलावा अक्सर देखा जाता है कि पुलिस चेकिंग के दौरान गाड़ियों को सीज कर देती है.

जब इंडिया में पुलिस किसी गाड़ी को जब्त करती है तो उसे पुलिस इम्पाउंड लॉट में ले जाया जाता है. गाड़ी को तब तक इंपाउंड लॉट में रखा जाता है जब तक कि मालिक तय जुर्माना या जमानत नहीं दे देता. अगर गाड़ी का मालिक जुर्माना या जमानत का भुगतान नहीं करता है, तो गाड़ी को सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को नीलाम किया जा सकता है.

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जब्त गाड़ियो का क्या होता है?

जिस तरह ईडी ने 60 करोड़ रुपये की कारें सीज की हैं तो उनका आगे क्या होगा? आज इस बात को जानने की कोशिश करेंगे कि गाड़ी जब्त करने के बाद सरकार उनका क्या करती है. उससे पहले जान लें कि गाड़ी सीज करने के लिए पुलिस या अन्य सरकारी एजेंसी के पास ठोस वजह होनी चाहिए.

गाड़ी सीज होने के बाद गाड़ी के मालिक को इंफॉर्म किया जाता है. मालिक को लिखित नोटिस दिया जाता है, जिसमें सीज करने का कारण, जब्ती की तारीख और समय और वो लोकेशन शामिल होती है जहां गाड़ी को रखा जा रहा है. राहत की बात ये है कि जब्त की गई गाड़ियों को वापस पाने का मौका भी मिलता है.

वापस मिल जाती है सीज गाड़ियां?

जब्त गाड़ी के मालिक को गाड़ी की रिहाई के लिए पिटिशन दाखिल करने का अधिकार है. पिटिशन उस अदालत में दायर की जानी चाहिए जिसके पास मामले का ज्यूरिस्डिक्शन है.

कोर्ट यह तय करने के लिए सुनवाई करेगी कि गाड़ी को छोड़ा जाए या नहीं. कोर्ट अपना फैसला लेते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखती है.

  • जब्ती का कारण
  • गाड़ी के मालिक ने कानून का पालन किया गया नहीं
  • मालिक की जुर्माना या जमानत देने की फाइनेंशियल कंडीशन देखी जाती है
  • पब्लिक इंटरेस्ट

अगर कोर्ट गाड़ी को छोड़ने का आदेश देती है, तो पुलिस को गाड़ी मालिक को वापस देनी होगी. गाड़ी खड़ी रहने के लिए मालिक को कुछ फीस का भुगतान करना पड़ सकता है.

सीज गाड़ियों की नीलामी

अगर कोई मालिक गाड़ी लेने वापस नहीं आता है तो सरकार सीज हुई गाड़ियों से रिकवरी कर सकती है. मान लीजिए अगर किसी ने ट्रैफिक नियम तोड़ा है या कोई दूसरा क्राइम किया है तो चालान/पेनल्टी की वसूली या नुकसान की भरपाई के लिए गाड़ी को नीलाम किया जा सकता है.

कुछ मामलों में पुलिस जब्त गाड़ी को नीलाम कर सकती है. नीलामी से मिली रकम का इस्तेमाल आम तौर पर कानूनी प्रक्रिया की लागत वसूलने के लिए भी किया जाता है. सरकार सीज गाड़ियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर सकती है, जहां व्यापारियों को नीलामी के लिए इनवाइट किया जाता है.

जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है गाड़ी उसकी हो जाती है. उन पैसों से सरकार जुर्माने आदि की भरपाई करती है.

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