सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट नहीं एफडी पर है लोगों को ज्यादा भरोसा, क्यों?
फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की ओर से गुरुवार को जारी एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ऊंची ब्याज दरों को देखते हुए लोगों का झुकाव फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर है. सर्वे के मौजूदा दौर में आधे से अधिक यानी 57 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्होंने सेविंग और करंट अकाउंट में अपनी हिस्सेदारी को कम कर दिया है.
आम लोगों को करंट या सेविंग अकाउंट से ज्यादा भरोसा फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट पर है. ये बात नहीं कह रहे हैं, बल्कि फिक्की और आईबीए की सर्वे रिपोर्ट में सामने आई हैं. रिपोर्ट के अनुसार ब्याज दर अधिक होने के कारण लोग अब फिक्स्ड डिपॉजिट को ज्यादा तरजीह दे रहे रहे हैं. इससे करंट और सेविंग अकाउंट्स डिपॉजिट होने वाले अमाउंट में कमी आई है. बैंक जो पैसा जुटाते हैं, उसमें करंट और सेविंग अकाउंट में डिपॉजिट अमाउंट पर कम ब्याज लगता है. इन दोनों अकाउंट्स में ज्यादा पैसा डिपॉजिट होने का मतलब है कि बैंकों को बेहतर मार्जिन मिलेगा. जोकि फिक्स्ड डिपॉजिट में कम हो जाता है.
एफडी पर लोगों को बढ़ा इजाफा
फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की ओर से गुरुवार को जारी एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ऊंची ब्याज दरों को देखते हुए लोगों का झुकाव फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर है. सर्वे के मौजूदा दौर में आधे से अधिक यानी 57 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्होंने सेविंग और करंट अकाउंट में अपनी हिस्सेदारी को कम कर दिया है. वहीं दूसरी ओर मौजूदा दौर में फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों में तेजी की वजह से अपनी हिस्सेदारी को बढ़ा दिया है.
लांग टर्म लोन की डिमांड में इजाफा
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर, कपड़ा और कैमिकल जैसे सेक्टर्स में लांग टर्म लोन डिमांड में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. फूड प्रोसेसिंग और आयरन और स्टील में भी पिछले छह महीनों में लांग टर्म लोन डिस्ट्रीब्यूशन में इजाफा देखने को मिला है. फिक्की-आईबीए के 17वें दौर के सर्वे के अनुसार, इंफ्रा में लोन फ्लो में वृद्धि देखी जा रही है. सर्वे में 67 फीसदी लोगों ने लांग टर्म लोन में इजाफे का संकेत दियश है, जबकि पिछले दौर में यह आंकड़ा 57 फीसदी था.
सर्वे में कहा गया है कि अगले छह महीनों में नॉन फूड इंडस्ट्री सेक्टर में कर्ज में वृद्धि देखने को मिल सकती है. सर्वे में शामिल करीब 42 फीसदी लोगों को उम्मीद है कि नॉन फूड इंडस्ट्री में कर्ज में वृद्धि 12 फीसदी से ज्यादा होगी. जबकि पिछले दौर में 36 प्रतिशत ने यह संभावना जतायी थी.
एनपीए में आई कमी
सर्वेक्षण में कहा गया है कि संपत्ति की क्वालिटी के संबंध में 75 फीसदी बैंकों ने पिछले छह महीनों में अपने एनपीए के लेवल में कमी दर्ज की है, जबकि पिछले फेज में 90 फीसदी बैंकों ने ऐसा बताया था. इसमें कहा गया कि पब्लिक सेक्टर के 90 फीसदी बैंकों ने एनपीए लेवल में कमी का हवाला दिया है, जबकि प्राइवेट सेक्टर के 80 फीसदी बैंकों ने एनपीए में गिरावट की बात कही है. सर्वे के अनुसार, मौजूदा फेज में लगभग 54 फीसदी बैंकों को लगता है कि ग्रॉस एनपीए अगले छह महीनों में तीन-चार फीसदी के बीच रहेगा.