इजरायल-हमास वॉर ने फेल किया अंबानी-मित्तल का प्लान, हो सकता है 2500 करोड़ तक का नुकसान
इजरायल-हमास वॉर समय तक चलता है तो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 3-4 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है. इस तरह के माहौल में टेलीकॉम कंपनियों को विदेशी लोन चुकाने की कॉस्टिंग में इजाफा हो सकता है. आने वाली तिमाहियों में प्रोफिटिबिलिटी पर भी असर देखने को मिल सकता है.
इजरायल-हमास वॉर का टेलीकॉम सेक्टर बड़ा असर देखने को मिल सकता है. इस वॉर की वजह से 5जी नेटवर्क में यूज होने वाले इंपोर्टिड गियर की कॉस्टिंग में शुरूआती फेज में 2000 से 2500 करोड़ रुपये तक का इजाफा हो सकता है. इसके लिए भारत की टॉप टेलीकॉम कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. अनुमान है भारत में 5जी रोलआउट का जो प्रोसेस शुरू हुआ है, उसकी स्पीड कम हो सकती है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अगर यह संघर्ष लंबे समय तक चलता है तो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 3-4 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है. इस तरह के माहौल में टेलीकॉम कंपनियों को विदेशी लोन चुकाने की कॉस्टिंग में इजाफा हो सकता है. आने वाली तिमाहियों में प्रोफिटिबिलिटी पर भी असर देखने को मिल सकता है. वास्तव में 7 बिलियन डॉलर की टेलीकॉम सेक्टर के लोन का बड़ा हिस्सा डॉलर में है.
लोकल फोन नेटवर्क में यूज होने वाले लगभग 67 फीसदी टेलीकॉम गियर एरिक्सन, नोकिया और सैमसंग जैसे विदेशी सेलर्य से इंपोर्ट किए जाते हैं. यही वजह है कि रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (वीआई) जैसी बड़ी टेलीकॉम कंपनियां सामूहिक रूप से इंपोर्टिड नेटवर्क पर लगभग 7 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान लगा रही हैं.
डॉलर में आ सकती है 3 से 4 फीसदी की गिरावट
एनालिसिस मेसन के प्रमुख (भारत और मध्य पूर्व) रोहन धमीजा ने मीडिया में बात करते हुए कहा कि इजरायल-हमास युद्ध की वजह से अभी तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में चिंताजनक गिरावट नहीं आई है, लेकिन अगर यह बढ़ता है तो करेंसी में कुछ अस्थिरता हो सकती है और रुपये में संभावित रूप से 3-4 फीसदी की गिरावट आ सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर, जो टेलीकॉम कंपनियों के 5जी नेटवर्क गियर इंपोर्ट को महंगा बना देगा. इसका प्रमुख कारण ये है कि डॉमेस्टिक नेटवर्क में यूज होने वाजे लगभग दो-तिहाई इक्विपमेंट अभी भी इंपोर्ट किए जा रहे हैं.
विदेशी लोन की बढ़ जाएगी कॉस्टिंग
उन्होंने कहा कि डॉलर की तुलना में रुपये के लंबे समय तक गिरावट से विदेशी लोन चुकाने की कॉस्ट भी बढ़ सकती है. इसका प्रमुख कारण ये है किे टेलीकॉम सेक्टर के कुल लोन की 30 से 40 फीसदी हिस्सेदारी डॉलर में है. जियो ने हाल ही में 4 बिलियन डॉलर से अधिक 5जी नेटवर्क गियर खरीदने के लिए ऑफशोर लोन जुटाया है, जबकि एयरटेल के लगभग 3.5 बिलियन डॉलर के वार्षिक कैपिटल एक्सपेंडिचर का बड़ा हिस्सा 5जी रोल आउट पर खर्च होने जा रहा है. टॉप
डॉलर के मुकाबले 85 के करीब पहुंच सकता है रुपया
बैंकर्स ने माना कि पश्चिम एशिया में शुरू हुए सैन्य संघर्ष ने लोकल करेंसी के लिए नई प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा कर दी हैं. डॉलर की डिमांड पहले ही काफी बढ़ी हुई है. रुपये जैसी उभरती मार्केट करेंसी की हैसियत लगातार कम हो रही है. वैसे उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए अपने भंडार से डॉलर की बिक्री के माध्यम से करेंसी मार्केट में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है. कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी डेरिवेटिव के उपाध्यक्ष अनिंद्य बनर्जी ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि अगर परिस्थितियां प्रतिकूल रही और लंबे समय तक रहीं तो डॉलर के मुकाबले रुपया 84.50 रुपये पर आ सकता है.