अडानी ग्रुप हो जाएगा दिवालिया? जानें कितनी जान है अब भी बाकी

अडानी ग्रुप हो जाएगा दिवालिया? जानें कितनी जान है अब भी बाकी

अडानी ग्रुप पर संकट के बादल और गहराते जा रहे हैं. सोमवार को बाजार खुलने के चंद घंटों के भीतर ही ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयर्स की वैल्यू 50,000 करोड़ तक कम हो चुकी है. तो क्या अडानी समूह दिवालिया हो जाएगा?

उद्योगपति गौतम अडानी ने शायद कभी सपने में भी इतने बड़े संकट के बारे में नहीं सोचा होगा, जहां उनकी कंपनियों के शेयर्स की वैल्यू घंटों के हिसाब से कम हो रही हो. सोमवार को बाजार खुलने के 3 घंटों के भीतर समूह की 10 लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू 50,000 करोड़ रुपये तक कम हो गई है. वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अब तक अडानी ग्रुप की कंपनियां अपनी कुल मार्केट वैल्यू का आधे से अधिक लुटा चुकी हैं, यानी इसमें 100 अरब डॉलर से भी अधिक की गिरावट देखने को मिली है. तो क्या अडानी ग्रुप इस आंधी में दिवालिया हो जाएगा ?

अडानी ग्रुप मुख्य तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करने वाला समूह है. हाईवे, एयरपोर्ट, पावर प्लांट, सोलर प्लांट, गैस, कोयला और सीमेंट जैसे बिजनेस में समूह प्रमुख तौर पर काम करता है.

भारत को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लिए जरूरी!

अडानी समूह की उपयोगिता को लेकर बात की जाए तो देश की मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है. इसी के साथ साल 2070 तक भारत को Zero Carbon देश बनाने का भी टारगेट है. इन दोनों ही लक्ष्य को पूरा करने में अडानी ग्रुप की अहम भूमिका है.

इसकी वजह अडानी ग्रुप मौजूदा समय में देश की सबसे बड़ी पोर्ट यानी बंदरगाह कंपनी है. वहीं सबसे बड़ी एयरपोर्ट ऑपरेटर भी. इतना ही नहीं अंबुजा सीमेंट और एसीसी सीमेंट का अधिग्रहण करने के बाद वह देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी भी बन चुकी है.

इसके अलावा ग्रीन एनर्जी में सोलर पावर प्लांट, बिजली क्षेत्र में ट्रांसमिशन, कमर्शियल और घरेलू उपयोग के लिए पाइपलाइन नेचुरल गैस की सप्लाई से जुड़े सेक्टर में समूह की कंपनियां देश में एक इंपोर्टेंट प्लेयर है. ऐसे में अडानी समूह का संकट देश के पुराने होते इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाने के लक्ष्य को नुकसान पहुंचा सकता है.

तेजी से बढ़ी और घटी गौतम अडानी की संपत्ति

अडानी ग्रुप की ग्रोथ काफी तेजी से हुई है. बीते 3 साल के आंकड़े देखें तो अडानी ग्रुप की 7 लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू 800 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है. इसका सीधा फायदा गौतम अडानी की निजी संपत्ति में बढ़ोत्तरी के रूप में देखने को मिला. उनकी निजी संपत्ति में बीते 3 साल में 100 अरब डॉलर से अधिक जुड़े. इस चमत्कार ने उन्हें दुनिया के टॉप-10 अमीरों की सूची में तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया.

इसके बाद जब से हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई है. अडानी ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू में 100 अरब डॉलर से अधिक की कमी आ चुकी है. इसके बाद उनकी निजी संपत्ति में तेजी से गिरावट आई है और अब वो दुनिया के 21वें सबसे अमीर इंसान हैं.

क्या दिवालिया हो जाएगा अडानी ग्रुप ?

अडानी ग्रुप के संकट को लेकर लोगों की सबसे बड़ी चिंता ये है क्या समूह सच में बैठ जाएगा? हालांकि इसे लेकर बाजार एक्सपर्ट की राय अलग है. अडानी समूह ने लोन के आधार पर अपने कारोबार का विकास किया है, लेकिन उनकी मौजूदगी अब ग्लोबल लेवल पर है.

इस संकट के बीच में भी समूह को इस्राइल के हाइफा पोर्ट को विकसित करने की जिम्मेदारी मिली है. वहीं श्रीलंका में भी समूह एक पोर्ट को डेवलप कर रहा है. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में समूह को कोयला खान का टेंडर पहले से मिला हुआ है.

अडानी ग्रुप पर भरोसे को लेकर रिसर्च फर्म जेफेरीज का कहना है कि समूह ने स्ट्रॉन्ग कैश फ्लो को मेंटेन करके रखा है. वहीं कर्ज की किस्त भी समय पर चुकाता रहा है. ऐसे में अब आगे देखना होगा कि समूह की आगे की रणनीति क्या रहती है. वह अपने प्रोजेक्ट्स को टाइम पर कैसे खत्म करता है.

अडानी समूह के पास ही ज्यादातर हिस्सेदारी

अडानी ग्रुप के पक्ष में एक और बात जाती है, कंपनियों के ज्यादातर शेयर का अडानी फैमिली के पास ही होना. औसत तौर पर अडानी परिवार और उनके सहयोगियों के पास समूह की लिस्टेड कंपनियों में 72.9 प्रतिशत शेयर्स हैं. जबकि विदेशी संस्थानों के पास 13.6 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. यानी बाजार में काफी कम मात्रा में समूह की कंपनियों के शेयर हैं. ऐसे में बाजार एक्सपर्ट का मानना है कि कंपनी इस सेल-ऑफ के संकट से जल्द बाहर आ सकती है.

भारतीय जीवन बीमा निगम भी अडानी ग्रुप की बड़ी संस्थागत निवेशकों में से एक है. अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की हिस्सेदारी जहां 4.23 प्रतिशत है. वहीं अडानी पोर्ट में 9.14 प्रतिशत और अडानी टोटल गैस में 5.96 प्रतिशत.