बलिया: आजादी की लड़ाई के समय यहां गाड़े जाते थे हथियार, वहीं जमीन उगलेगी तेल, मुंबई बन जाएगा चित्तू पांडेय का गांव!

बलिया: आजादी की लड़ाई के समय यहां गाड़े जाते थे हथियार, वहीं जमीन उगलेगी तेल, मुंबई बन जाएगा चित्तू पांडेय का गांव!

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश का बलिया महत्वपूर्ण केंद्र था. अब यह जिला कच्चे तेल के विशाल भंडार की खोज से चर्चा में है. ओएनजीसी ने स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के गांव में तेल का कुआं खोदना शुरू कर दिया है. यह वही भूमि है जहां क्रांतिकारियों ने अपने हथियार छिपाए थे. इस खोज से बलिया के विकास की नई उम्मीदें जगी हैं.

देश की आजादी के आंदोलन में बलिया ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. बलिया में गंगा और घाघरा के कछार वाले इलाके तो इस आंदोलन के प्रमुख केंद्र थे. गंगा के इसी कछार में महान स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय का गांव वैना रत्तूचक भी है. यह वही स्थान है, जहां क्रांतिकारी जमा होते थे और जैसे ही पुलिस के आने की सूचना मिलती, अपने असलहे खेतों में गाड़ दिया करते थे. आजादी के 75 वर्षों बाद अब वही खेत ‘तेल’ उगलने को तैयार हैं. तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC) ने इन्हीं खेतों में कच्चे तेल का बड़ा भंडार ढूंढ निकाला है.

यहां ओएनजीसी ने अब तेल के कुएं की खुदाई भी शुरू हो गई है. इसके लिए चित्तू पांडेय के परिवार की ही करीब साढ़े छह एकड़ जमीन को पट्टे पर लेकर घेराबंदी कर दी गई है. असम से मंगाई गई अत्याधुनिक मशीनों से 3001 मीटर गहरे कुएं की खुदाई का काम चालू है. अब तक करीब 700 मीटर गहरे कुएं की खुदाई हो चुकी है और बाकी बची गहराई तक कुआं अगले ढाई महीने के अंदर खोदा जाना है. इस जमीन में तेल भंडार मिलने पर रत्तू चक गांव ही नहीं, पूरे कछार के लोग प्रसन्न हैं.

यहां तेल का भंडार मिलने से लोगों में खुशी

इस कछार में रहने वाले लोगों का कहना है कि आजादी के आंदोलन में इस मिट्टी की ताकत को देश ने पहचाना. अब यह मिट्टी आजादी के बाद भी अपनी ताकत का एहसास देश को करा रही है. स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के प्रपोत्र विनय पांडेय कहते हैं कि ओएनजीसी ने उनकी जमीनों को पट्टे पर लिया और इसके बदले उन्हें पैसे भी दे रही है. लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि तेल का कुआं खोदने के लिए ओएनजीसी ने उनके इलाके का चुनाव किया है. उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में सबसे आगे रहना वाला यह इलाका आज भी देश में पिछड़ा है, लेकिन अब यहां तेल भंडार मिलने से यहां भी विकास की उम्मीद जगी है.

आजादी के जंग में गाड़े जाते थे असलहे

विनय पांडेय के मुताबिक जिस जमीन पर तेल का कुआं खोदा जा रहा है, उस जमीन का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है. हाल तक इस जमीन पर बाग बगीचे होते थे. आजादी के आंदोलन के दौरान इन्हीं बाग बगीचों में क्रांतिकारियों की बैठकें होती थी. क्रांतिकारी पुलिस से बचने के लिए यहीं पर जमीन के अंदर असलहे गाड़ कर रखते थे. जब भी जरूरत पड़ती रणबांकुरे घर से निकले और यहां जमीन खोद कर हथियार निकालते और लड़ाई में शामिल हो जाते थे. बलिया में कच्चे तेल का भंडार मिलने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी खुशी जताई है.

बॉम्बे बनेगा बलिया: मंत्री

राज्य के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब हमारे बलिया को बॉम्बे बनने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने कहा कि बलिया की माटी सदैव से ऊर्जा से भरी रही है. इस ऊर्जा की ताकत आजादी के आंदोलन के दौरान देश ने ही नहीं, पूरी बरतानिया हुकूमत ने देखी. अब वही ऊर्जा एक नए रूप में बलिया की पहचान दुनिया को कराने वाली है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द बलिया से कच्चे तेल का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा. इससे इस इलाके में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी.