फुटबॉल में अब नहीं दिखेंगी ऐसी भीषण लड़ाइयां, बस 3 महीने… फिर सब होगा ठीक!

फुटबॉल में अब नहीं दिखेंगी ऐसी भीषण लड़ाइयां, बस 3 महीने… फिर सब होगा ठीक!

फुटबॉल में होने वाली झड़प में सुधार लाएगा बॉडी कैमरा. मिडिल्सब्रू, लिवरपूल, वॉर्सेस्टर और एसेक्स की लोअर लीग में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है.

फुटबॉल खेल तो है दिलचस्प लेकिन अक्सर दुनिया के इस सबसे तेज तर्रार खेल में लड़ाइयां भी देखने को मिलती है. कभी खिलाड़ी आपस में उलझ जाते हैं. कभी मैच देखने आए फैंस के साथ तो कभी रेफरी के संग. अभी हाल में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक महिला फुटबॉल टीम ने रेफरी पर हमला कर दिया था. रेफरी को पिटने के लिए वो उसके पीछे तक दौड़ पड़ी थीं. लेकिन अब ऐसा ना हो, इसके प्रयास शुरू हो चुके हैं. इसे लेकर 3 महीने तक एक नए उपकरण को प्रयोग में लाया जाएगा और तब देखा जाएगा कि सब ठीक-ठाक है या नहीं.

फुटबॉल में प्रयोग में लाए जाने वाले नए उपकरण का नाम बॉडी कैमरा है. मिडिल्सब्रू, लिवरपूल, वॉर्सेस्टर और एसेक्स की लोअर लीग में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है. खबर है कि करीब 100 रफेरी पर बॉडी कैमरे का इस्तेमाल होगा. 3 महीने तक बॉडी कैमरे के इस्तेमाल के बाद इससे जिस नतीजे की उम्मीद की जा रही है, उस पैमाने पर इसे तौला जाएगा और देखा जाएगा कि ये कितना कारगर है.

बॉडी कैमरा फुटबॉल में ला सकता है बदलाव

फुटबॉल में बॉडी कैमरे के प्रयोग में लाए जाने की मुख्य वजह खिलाड़ियों के बर्ताव का आकलन करना है. इससे रिकॉर्ड वीडियो को किसी खिलाड़ी के खिलाफ उसके बर्ताव पर चल रही सुनवाई में इस्तेमाल में लाया जा सकता है. और ऐसा हमारा नहीं बल्कि एक्सपर्ट्स का मानना है. उनके मुताबिक बॉडी कैमरे के इस्तेमाल से खिलाड़ियों के प्रदर्शन में इजाफा और मैदान में रेफरी के साथ होने वाली उनकी झड़प में कमी आने की उम्मीद है.

बॉडी कैमरा का इस्तेमाल ऐसा नहीं कि अचानक से होगा, इसके लिए रेफरियों को बकायदा ट्रेनिंग दी जाएगी. 3 महीने तक रेफरी पर मैच के दौरान इसे आजमाए जाने के बाद पूरी प्रक्रिया का आकलन होगा और फिर देखा जाएगा कि कुछ फायदा हुआ या नहीं. यहां फायदे से मतलब खिलाड़ियों के बर्ताव से है. क्या उसमें कोई चेंज होता है, बॉडी कैमरे का मकसद उससे हैं.

रेफरियों को सम्मान दिलाने के मकसद से प्रयोग शुरू

फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष मार्क बलिंघम के मुताबिक, ये प्रयोग रेफरी के लिए शानदार हो सकता है. हमने उनसे फीडबैक लेने के बाद ही इसके प्रयोग की कोशिश की है. उम्मीद है हमारी ये कोशिश रंग लाएगी. हम चाहते हैं कि उन रेफरियों को वो सम्मान मिलना चाहिए, जो फुटबॉल को अपना जीवन देते हैं. हमारे इस प्रयोग से अगर रेफरी पर होने वाले खिलाड़ियों के हमले घटते हैं तो इससे अच्छी बात नहीं हो सकती.