Manish Sisodia Arrest: एक आरोपी, दो एजेंसियां, कहां तक पहुंचेगी जांच की आंच?

Manish Sisodia Arrest: एक आरोपी, दो एजेंसियां, कहां तक पहुंचेगी जांच की आंच?

एक जैसे मामले के दो अलग-अलग मुकदमों की जांच देश की दो अंतरराष्ट्रीय अधिकार हासिल एजेंसियां यानी सीबीआई और ईडी कर रही हैं. दोनों ही एजेंसियों ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ अपनी अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं.

तिहाड़ जेल भेजे जा चुके दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए जबकि कानूनन उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजने वाली एजेंसी तो सीबीआई थी. दिलचस्प यह है कि एक जैसे मामले के दो अलग-अलग मुकदमों की जांच देश की दो अंतरराष्ट्रीय अधिकार हासिल एजेंसियां यानी सीबीआई और ईडी कर रही हैं. दोनों ही एजेंसियों ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ अपनी अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं.

सीबीआई को अभी मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी है. जबकि ईडी अपनी चार्जशीट पहले ही कोर्ट में दाखिल किए बैठी है. दिलचस्प यह है कि जिस ईडी ने अपनी चार्जशीट मनीष सिसोदिया के मामले में कई महीने पहले कोर्ट में दाखिल कर दी है, वो ईडी अपने मुलजिम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार गुरुवार शाम को कर सकी. जबकि अपने मुकदमे में जिस सीबीआई ने जांच ही बाद में शुरु की थी, उसने मनीष को गिरफ्तार करके जेल में भी डाल दिया. इन तमाम किंतु-परंतु के बीच Inside Story जानना जरूरी है कि आखिर, एक ही मुलजिम के खिलाफ एक सी प्रकृति के दो अलग अलग मुकदमो में जांच के लिए दो एजेंसियां कैसे काम कर रही हैं?

CBI के रिटायर्ड निदेशक ने क्या कहा?

इस बारे में टीवी9 भारतवर्ष (डिजिटल) ने गुरुवार रात विशेष बात की सीबीआई के रिटायर्ड संयुक्त निदेशक शांतनु सेन से. वही शांतनु सेन जिन्होंने कनिष्क विमान हादसा, ऑपरेशन ब्लू स्टार, जरनल वैद्य हत्याकांड, राजघाट स्थित गांधी समाधि पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ऊपर हुए जानलेवा हमला, सैयद मोदी हत्याकांड, मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट जैसे देश के सनसनीखेज कांडों का खुलासा किया. एक सवाल के जवाब में शांतनु सेन ने कहा,”यह जो आजकल देखा जा रहा है कि सीबीआई और ईडी एकजुट होकर एक ही तफ्तीश में काम करती हैं. यह लोगों को समझ में नहीं आ रही है. सीबीआई भ्रष्टाचार के केसेस को तफ्तीश करती है. भ्रष्टाचार की तफ्तीश में जो गैर-कानूनी धन के बारे में पता लगता है. उसके बारे में सीबीआई पता करती है कि फलानी गैर-कानूनी रकम या फंड कहां से आई कहं गई? ईडी जो पहले सिर्फ फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट के खिलाफ जो लोग काम करते थे, उनकी तफ्तीश करती थी. अब वही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग (गैर कानूनी धन को सफेद बनाने वालों के खिलाफ तफ्तीश) के मुकदमों की तफ्तीश करती है. दोनो का काम करीब करीब एक सा ही है. मतलब, गैर-कानूनी रकम खड़ी करने वालों के बारे में दोनो ही एजेंसियां तफ्तीश करती हैं. मगर उचित यह होगा कि, जब सीबीआई इसे रकम को गैर-कानूनी प्रमाणित कर दे, तभी ईडी को अपनी तफ्तीश शुरु करनी चाहिए. जब तक पैसा गैर-कानूनी प्रमाणित न हो जाए रकम. तब तक ईडी द्वारा जांच शुरु कर देना बहुत जल्दबाजी होगा..”

आर्थिक घोटाले तक सीमित रहेगी EDकी जांच

बकौल शांतनु सेन, “पहले तो यह समझना जरूरी है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक सी ही दिखाई देने वाली दो तरह की जांच चल रही है. भ्रष्टाचार का षडयंत्र रचने और फिर उससे होने वाली काली कमाई को आगे ठिकाने लगाने संबंधी. अब इस एक लाइन के अंदर ही बहुत बड़ा कानूनी फर्क मौजूद है. जो हर किसी को समझना जरूरी है. ईडी यह देखेगी कि संदिग्ध मुलजिम और उसके लोगों (मनीष सिसोदिया व अन्य) काला धन कैसे बनाया? जबकि सीबीआई पुलिस महकमे की तरह अपनी पड़ताल करेगी. इस मामले में सीबीआई को यह तय या साबित करना होगा कोर्ट में कि, आरोपियों ने ब्लैक मनी जुटाने के लिए कौन सा रास्ता या षडयंत्र इस्तेमाल किया? सीबीआई अपनी जांच का दायरा पब्लिक करप्शन एक्ट से लेकर आपराधिक षडयंत्र रचने तक बढ़ा सकती है. सरल शब्दों में बताऊं तो सीबीआई मुख्य रूप से आपराधिक षडयंत्र रचने का तरीका और भ्रष्टाचार कैसे पनपाया गया? यह सीबीआई जांचेगी. ईडी की जांच आर्थिक घोटाले तक सीमित रहेगी.”

जांच में खुद ही शामिल हो जाती हैं एजेंसियां

सीबीआई के पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर शांतनु सेन ने एक सवाल के जवाब में आगे कहा, “अब तो मैं देख रहा हूं कि केस सीबीआई दर्ज करे पहले या फिर ईडी. दोनों ही एजेंसियों को जब और जहां लगता है कि उन्हें जांच करनी चाहिए तो वे खुद ही शामिल हो जाती हैं. यह तरीका वैसे कहूं तो ईडी ने शुरू किया है. पहले ईडी तब आती थी जब केस दोष सिद्ध हो जाता था कि, अवैध धन कहां से कैसे कब आया? संदिग्ध मुलजिम कौन कौन हैं? अब तो ईडी खुद के द्वारा मुकदमा दर्ज करने के बजाए सीबीआई द्वारा मुकदमा दर्ज कर लिए जाने पर खुद ही पहुंच जाती है. शुरुआती जांच से ही. यह जानने को कि अगर आर्थिक भ्रष्टाचार हुआ है तो आखिर कैसे? सीबीआई अभी भी सरकार के आदेश का इंतजार करती है. जबकि पहले सीबीआई अपने आप ही प्राथमिक जांच शुरु कर देती थी.”

कौन सी एजेंसी क्या करेगी जांच ?

मनीष सिसोदिया मामले में ईडी यह जांच करेगी कि काला धन कब कैसे और कितना बना? फिर उस ब्लैक मनी को कब कहां और कैसे खपाकर व्हाइट किया गया? जबकि सीबीआई जांचेगी आखिर शराब घोटाले में काला धन बनने के रास्ते कौन से थे? मतलब षडयंत्र कैसे रचा गया? जबकि ईडी अपने मुकदमे में यह तय करके देगी कि, ब्लैक मनी को व्हाइट करके कैसे कब और कहां खपाया गया? ईडी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच करेगा अपने मुकदमे में. जबकि सीबीआई भ्रष्टाचार का षडयंत्र कैसे रचा गया यह जांचेगी. बता दें कि ईडी ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा तो 22 अगस्त 2022 को ही दर्ज कर लिया था. यह मुकदमा शराब घोटाले में हुई मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर किया गया था.