DU छात्र संघ चुनाव में दीवारों पर पोस्टर से हाईकोर्ट नाराज, कल इलेक्शन; पर मतगणना पर लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने शुक्रवार को होने वाले छात्र संघ चुनाव कराने की अनुमति दे दी, लेकिन मतगणना तब-तक स्थगित रखने का आदेश दिया जब-तक कि परिसर में लगे सभी पोस्टर हटा नहीं दिए जाते.
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव 27 सितंबर को होने हैं. ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग इलाकों में दीवारें छात्र नेताओं और संगठनों के बैनर, पोस्टरों से अटे पड़े हैं. मामला जब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए तमाम बैनर पोस्टर हटाने के आदेश देते हुए आदेश का पालन होना तक विश्वविद्यालय छात्र संघ यानि DUSU चुनाव के नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी.
हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने शुक्रवार को होने वाले छात्र संघ चुनाव कराने की अनुमति दे दी, लेकिन मतगणना तब-तक स्थगित रखने का आदेश दिया जब-तक कि परिसर में लगे सभी पोस्टर हटा नहीं दिए जाते.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि चुनाव कल (शुक्रवार) को होने वाले हैं और सभी तैयारियां कर ली गई हैं, इसलिए चुनाव रद्द करना उचित नहीं होगा. हमारा सुझाव है कि मतगणना तब-तक स्थगित की जाए, जब-तक कि उम्मीदवार सभी पोस्टर, बैनर हटा न दें और सिविक एजेंसी को हुए नुकसान की भरपाई न कर दें.
पोस्टर, स्प्रे पेंट और होर्डिंग्स से कोर्ट नाराज
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट वकील प्रशांत मनचंदा की ओर से दाखिल एक अर्जी पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनावों के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार के बीच पोस्टर, स्प्रे पेंट और होर्डिंग्स चिपकाकर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को खराब किया जा रहा है और कूड़ा-कचरा फैलाया जा रहा है.
इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने MCD, दिल्ली पुलिस और दिल्ली विश्वविद्यालय से पूछा था कि इसी मुद्दे पर 2018 के कोर्ट के आदेश के अनुरूप इस तरह के मामलों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवारों ने बस स्टेशन, मेट्रो स्टेशन और पुलिस स्टेशन की दीवारों को स्प्रे पेंट, होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टरों से खराब कर दिया.
हार्डिंग-पोस्टर के खिलाफ याचिका दायर
कोर्ट को बताया गया कि कॉलेज परिसर और उसके आसपास के इलाके पर्चे से अटे पड़े हैं. इसके अलावा विश्वविद्यालय ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों, परिसर की दीवारों के बाहर प्रचार पर अंकुश लगाने – के साथ-साथ कोर्ट के आदेशों का भी घोर उल्लंघन किया गया, जिसके लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दोषी उम्मीदवारों को होर्डिंग और पोस्टर हटाने का निर्देश दिया है.
याचिकाकर्ता वकील एडवोकेट प्रशांत मनचंदा ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव को रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर चुनाव होने दिए गए तो उनका हौसला बढ़ेगा। शहर में गुंडागर्दी फैलाने वाले ऐसे उम्मीदवारों को वोट नहीं दिया जाना चाहिए.
चुनाव प्रचार में करोड़ों रुपए खर्च
वकील प्रशांत मनचंदा ने अपनी अर्जी में कहा कि पिछले DUSU चुनाव में स्प्रे पेंट और पोस्टर हटाने में काफी समय और करोड़ों रुपये लगे थे. खासकर DU के साउथ कैंपस में.
बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि चुनाव प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि हमें सख्ती से काम लेना होगा. अगर चुनाव प्रचार पर खर्च किए गए पैसे को बरबाद होने दें. यह भ्रष्टाचार आम चुनावों से भी बदतर है.
जस्टिस मनमोहन ने संपत्ति की सफाई और उसे बहाल करने की जिम्मेदारी दोषी उम्मीदवारों पर डालते हुए कहा कि उम्मीदवार दीवारों को साफ और रंग-रोगन करने के लिए भुगतान कर सकते हैं, उनके पास वित्तीय सहायता है, उनके पास बहुत पैसा है. इन चुनावों में पैसे की कोई कमी नहीं है. यह हमारी शिक्षा प्रणाली की विफलता है. इन छात्रों ने चुनाव प्रचार पर बहुत पैसा खर्च किया है, बहुत रिश्वत भी दी गई होगी. छात्र बिना रजिस्ट्रेशन प्लेट के रोल्स रॉयस, मर्सिडीज गाड़ीयां चला रहे हैं.
दोषी उम्मीदवारों से वसूले पैसा
सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम के वकील ने कहा कि छात्र नेताओं द्वारा फैलाई गई इस बदसूरती और गंदगी को साफ करने पर बहुत खर्च हो रहा है. लिहाजा दिल्ली यूनिवर्सिटी को MCD को पैसे वापस करने चाहिए और दोषी उम्मीदवारों से पैसे वसूलने चाहिए.
जिसपर कोर्ट ने कहा था कि छात्र संघ चुनाव प्रचार के दौरान जितनी भी सार्वजनिक या निजी संपत्तियों को गंदा किया गया है, उसकी सफाई में आने वाले खर्चे की भरपाई दिल्ली विश्वविद्यालय को करनी होगी, जोकि बाद में ये पैसा चुनाव लड़ने वाले उन उम्मीदवारों से कर सकती है, जिन्होंने दीवारों को गंदा किया है.