दमदम लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: TMC के सौगत रॉय ने लगाया जीत का चौका, बीजेपी को मिली हार
पश्चिम बंगाल की दमदम लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 70 हज़ार से ज्यादा वोटों से हरा दिया है. इस सीट पर सीपीआई के उम्मीदवार सुजान चक्रवर्ती तीसरे नंबर पर रहे. 2019 में सौगत रॉय ने बीजेपी के शमिक भट्टाचार्य को मात दी थी.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले की दमदम लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने जीत का चौका लगा दिया है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शीलभद्र दत्ता को 70 हजार 660 वोटों के अंतर से हराया है. इस बार चुनाव में सौगत रॉय को 5 लाख 28 हज़ार 579 वोट पड़े. यहां से बीजेपी के शीलभद्र दत्ता दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें 4 लाख 57 हज़ार 919 वोट मिले.
तीसरे नंबर पर सीपीआई(एम) के उम्मीदवार सुजान चक्रवर्ती रहे, जिन्होंने 2 लाख 40 हज़ार 784 मत अपने नाम किए. राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दमदम लोकसभा पर सातवें चरण में एक जून को कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुए थे. इस सीट पर 73.81 प्रतिशत मतदाताओं ने वोटिंग की.
सौगत रॉय फिर जीते
साल 2009 से इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय जीतते आ रहे हैं. उन्होंने 2019 में जीत की हैट्रिक लगाई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सौगत रॉय को 5 लाख 12 हजार 62 वोट मिले थे. उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के शमिक भट्टाचार्य को 4 लाख 59 हजार 63 वोट मिले थे. सीपीएम के नेपालदेव भट्टाचार्य ने भी चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें डेढ़ लाख से कुछ ज्यादा मत मिले थे.
दमदम लोकसभा क्षेत्र में टीएमसी का दबदबा
दमदम लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें शामिल हैं. इनमें दमदम, दमदम उत्तर, पानीहाटी, खड़दह, बराहनगर, कमरहाटी और राजारहाट गोपालपुर शामिल हैं. इन सभी सात विधानसभाओं पर 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने जीत हासिल की थी. हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले बराहनगर विधायक तापस रॉय तृणमूल छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वह बराहनगर से तीन बार के विधायक थे. बीजेपी ने उन्हें कोलकाता उत्तर से उम्मीदवार बनाया.
दमदम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1977 में भारतीय लोकदल के सांसद निर्वाचित हुए थे. 1977 से 1980 तक अशोककृष्ण दत्ता यहां के सांसद रहे. फिर 1980 में सीपीएम के निरेन घोष यहां से सांसद बने. 1984 के लोकसभा चुनाव में यह दमदम कांग्रेस के खाते में चला गया. आशुतोष लाहा पांच साल तक सांसद रहे. 1989 से 1998 तक सीपीएम के निर्मलकांति चट्टोपाध्याय इस केंद्र से सांसद रहे. 1998 से 2004 तक तपन सिकदर पहली बार भाजपा के सांसद रूप में निर्वाचित हुए. 2004 में सीपीएम की वापसी हुई. अमिताभ नंदी 2009 तक सांसद रहे. 2009 में दमदम लोकसभा क्षेत्र में बदलाव की हवा चली और टीएमसी के सौगत रॉय सांसद बने.