नुस्ली वाडिया के Go First को लगी किसकी नजर, देर से सैलरी, जमीन पर प्लेन, कैसे पूरा होगा सफर
लंबे समय से घाटे में चल रही Wadia Group की Go First का बिजनेस आगे कैसे चलेगा, इसे लेकर संशय बढ़ता जा रहा है. क्या अब गो फर्स्ट बंद होने वाली देश की एक और 'किंगफिशर' होगी?
बजट एयरलाइन सर्विस देने वाली कंपनी गो फर्स्ट लंबे समय से भारी नुकसान में चल रही है. कंपनी के एम्प्लॉइज को टाइम से सैलरी नहीं मिल रही है. लगभग 60 विमान की फ्लीट में से आधे से ज्यादा जमीन पर खड़े हैं, और पैसा जुटाने के लिए आने वाला आईपीओ भी मार्केट के हालात को देखकर जल्दी आता नहीं दिख रहा है. क्या गो फर्स्ट का हाल भी किंगफिशर की तरह होने वाला है?
‘गो फर्स्ट’ के मौजूदा हालात को देखने से पहले इसकी शुरुआत को देखना होगा. साल 2005 में नुस्ली वाडिया के बेटे जेह वाडिया ने एयरलाइंस बिजनेस शुरू करने का मन बनाया. उस समय विजय माल्या ने अपनी फुल सर्विस एयरलाइंस ‘किंगफिशर’ शुरू की थी. तब एविएशन बिजनेस एक नया ग्लैमर था.
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कंक्रीट बिजनेस प्लान नहीं होना
वाडिया ग्रुप के पास इस बिजनेस को शुरू करने का कोई कंक्रीट प्लान नहीं था. बल्कि ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और बॉम्बे डाइंग जैसे बिजनेस करने वाले नुस्ली वाडिया के लिए एक महज एक और बिजनेस था. जबकि इसके ठीक एक साल बाद शुरू होने वाली एयरलाइंस IndiGo के लिए एयरलाइंस की मेन बिजनेस था.
इस बात का असर कंपनी के ऑपरेशंस पर पड़ा. ईटी की एक खबर के मुताबिक देश की पहली बजट एयरलाइंस Air Deccan शुरू करेन वाले कैप्टन जी. आर. गोपीनाथ का कहना है कि गो फर्स्ट ने अपने आप को बस किसी तरह परिचालन में रखा. इसके लिए कंपनी को आगे बढ़ने की रणनीति, पायलट्स, इंजीनियर्स और स्टाफ की ग्रोथ के लिए पॉलिसी बनानी होती है.
गो फर्स्ट आज भी सिर्फ 59 प्लेन की फ्लीट चलाती है, जबकि उसकी प्रतिद्वंदी IndiGo साल 2014 में ही 100 विमान वाली और अभी 300 से ज्यादा विमान वाली एयरलाइंस बन चुकी है.
कोविड और प्रैट एंड व्हिटनी इंजन का संकट
गो फर्स्ट के पास कोई बड़ा प्लान तो था नहीं. साल 2021 में जेह वाडिया को वाडिया ग्रुप की सभी कंपनियों और एयरलाइंस की जिम्मेदारी से मुक्त कर लंदन भेज दिया गया. वहीं इससे पहले कोविड की वजह से सालभर तक एयरलाइंस कंपनियों की हालत बुरी रही. इस पूरे मामले में ‘कोढ़ में खाज’ बन गया प्रैट एंड व्हिटनी इंजन का संकट.
गो फर्स्ट की फ्लीट में एयरबस ए321 नियो के प्लेन है. कंपनी ने नए विमान खरीदने के वक्त भी इसी विमान के अन्य वर्जन को तरजीह दी. इनमें से अधिकतर में प्रैट एंड व्हिटनी कंपनी के इंजन हैं. पिछले साल जुलाई में जब कंपनी के 45 विमान उड़ान भर रहे थे, तब अचानक से 3 महीने के अंदर इन इंजन में खराबी की वजह से उसके 24 विमान जमीन पर खड़े हो गए.
आज कंपनी के 59 में 25 विमान इंजन में समस्या और 4 लैंडिंग गियर में प्रॉब्लम की वजह से उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. इसने कंपनी के परिचालन पर बुरा असर डाला है.
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कैसे बनेगी आगे की रणनीति ?
गो फर्स्ट के मामलों की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि कंपनी को एअर इंडिया और आकासा एयरलाइंस जैसी नई कंपनी से अच्छी खासी चुनौती मिल रही है. वाडिया ग्रुप ने कंपनी को चलाए रखने के लिए पिछले 15 महीनों में 3000 करोड़ रुपये का निवेश भी किया है. जबकि सरकारी की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से 600 करोड़ रुपये भी जुटाए हैं.
वहीं वाडिया परिवार गो फर्स्ट से प्रमोटर एग्जिट लेने की योजना बना रहा है. इसके लिए दो प्लान पर काम चल रहा है, या तो कंपनी में कोई स्ट्रैटेजिक पार्टनर जोड़ा जाए, या हिस्सेदारी बेचकर इस बिजनेस से बाहर आया जाए.