आप करते रहेंगे 5G फोन खरीदने का इंतजार, भारत में उससे पहले आ जाएगा 6G

आप करते रहेंगे 5G फोन खरीदने का इंतजार, भारत में उससे पहले आ जाएगा 6G

भारत में अभी 5G ठीक से पॉपुलर भी नहीं हुआ है, और 6G कनेक्टिविटी देने की तैयारी शुरू हो गई है. सोचिए आपके 5जी पर स्विच करने से पहले ही 6जी आ जाएगा. आखिर कैसी चल रही है भारत की तैयारी...

सोचिए कैसा हो कि आपकी 100 पसंदीदा फिल्में पलक झपकते ही मोबाइल पर डाउनलोड हो जाएं या ऐसा हो कि आपको अपने स्मार्टफोन पर वर्ड 2 वर्ड टाइप ना करना पड़े, सिर्फ वॉयस कंट्रोल से ही सारी बात पूरी हो जाए. भारत में ये सब बहुत जल्द संभव है. जी हां, भारत में 5G कनेक्टिविटी शुरू हो चुकी है, लेकिन मुमकिन है कि इसके लोगों के बीच पॉपुलर होने से पहले ही उन्हें 6G टेक्नोलॉजी का लुत्फ उठाने को मिलने लगे.

रिलायंस जियो और एयरटेल दोनों ही टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर ने देश में 5जी कनेक्शन देना शुरू कर दिया है. देश के कई शहरों में लोगों को 5जी कनेक्टिविटी मिलने भी लगी है. फिर भी लोगों के बीच अभी ये बहुत ज्यादा पॉपुलर नहीं है, और जब तक ये पॉपुलर हो उससे पहले 6जी के आने की पूरी उम्मीद है.

2030 तक आएगा 6G,5G से 100 गुना ज्यादा होगी स्पीड

भारत ने 6जी लाने की तैयारी शुरू कर दी है. ये एक सुपर हाई-स्पीड वायरलेस ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी देगा. भारत में ये कमर्शियल यूज के लिए लगभग तैयार है, लेकिन इसे पूरी तरह से देशभर तक पहुंचाने में थोड़ा वक्त लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि ये 2030 तक लोगों को उपलब्ध हो जाएगी.

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6जी की खासियत ये होगी कि इसमें फास्ट ब्रॉडबैंड स्पीड तो मिलेगी ही. साथ ही इसका नेटवर्क आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से रन होगा. इससे लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक स्पीड मिलेगी और नेटवर्क का ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन यानी युक्तिसंगत उपयोग सुनिश्चित होगा. ये 5जी टेक्नोलॉजी से 100 गुना ज्यादा स्पीड देने वाला नेटवर्क होगा.

आपको क्या मिलेगा 6G में?

अगर 5जी में आपको 1 जीबीपीएस की स्पीड मिलने का भरोसा दिलाया जा रहा है, तब 6जी आने पर यही स्पीड बढ़कर 100 जीबीपीएस हो जाएगी. इतना ही बफरिंग का टाइम 5जी में अभी 1 मिलि सेकेंड लगता है तो 6जी में ये 1 माइक्रो सेकेंड होगा.

5जी अभी स्मार्ट सिटी, स्मार्ट फैक्टरी, स्मार्ट फार्म्स और रोबोटिक्स सेक्टर में एफिशिएंसी बढ़ाने में मदद करता है. जबकि 6जी टेक्नोलॉजी इससे एक कदम आगे होगी. ये हर तरह के स्पेक्ट्रम बैंड्स को सपोर्ट करेगी. वहीं मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इसे बेहतर रनिंग नेटवर्क बनाएंगी.