15 से 35 हजार महीना कमाने वाले परेशान, सबसे ज्यादा झेल रहे महंगाई की मार

15 से 35 हजार महीना कमाने वाले परेशान, सबसे ज्यादा झेल रहे महंगाई की मार

देश में महंगाई का हाल किसी से छिपा नहीं है. जनवरी 2023 में रिटेल महंगाई दर 6.52 प्रतिशत रही है. इससे जहां एक तरफ मास-प्रोडक्शन कंपनियों को डिमांड में कमी के तौर पर परेशानी झेलनी पड़ रही है. वहीं सबसे ज्यादा मार 15 से 35 हजार महीना कमाने वालों पर पड़ रही है.

जनवरी 2023 में देश के अंदर रिटेल महंगाई दर (Retail Inflation Rate) 6.52 प्रतिशत रही है. ये भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 प्रतिशत की उच्चतम दर से भी अधिक रही है. महंगाई की मार सबसे ज्यादा उस आबादी पर पड़ रही है जो 15,000 से 35,000 रुपये महीना तक कमाती है. इतना ही नहीं इससे बाजार में मांग पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

वी-मार्ट, आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल और बाटा जैसी मास-प्रोडक्शन कंपनियों का भी मानना है कि महंगाई ने उनकी मांग पर असर डाला है.

दाल-रोटी का खर्च चलाना ही मुश्किल

ईटी ने वी-मार्ट के चेयरमैन ललित अग्रवाल के हवाले से कहा है कि जिन लोगों की इनकम 15,000 से 35,000 रुपये महीना तक है, उन पर महंगाई का दबाव ज्यादा है. उनकी इनकम का एक बड़ा हिस्सा दाल, तेल और सब्जी वगैरह खरीदने में ही खर्च होता है. असल में देखा जाए तो महंगाई की वजह से उनकी फूड बास्केट की लागत 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

लोग अपना खर्च घटाने को मजबूर

आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल की इकाई मदुरा फैशन एंड लाइफस्टाइल के सीईओ विशाक कुमार का कहना है कि महंगाई की वजह से लोग अपना खर्च घटाने को मजबूर हैं. कम आय वाले परिवारों ने अपना गैर-जरूरी खर्च घटाया है. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार महसूस नहीं किया जा रहा है, साथ ही उम्मीद जताई की जब कस्टमर सेंटीमेंट में सुधार होगा, तब उनका खर्च बढ़ सकता है.

घट रही मास डिमांड वाले प्रोडक्ट्स की मांग

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर-दिसंबर 2022 में लगातार दूसरी तिमाही में ऐसा देखा गया है कि ऊंची कीमत वाली वस्तुओं की खरीद बढ़ी है, लेकिन लोअर लेवल पर मास-डिमांड वाले प्रोडक्ट्स की सेल गिरी है.

मांग में ये कमी लगभग सभी कैटेगरी में देखी गई है. जूतों और कपड़ों से लेकर स्मार्टफोन, टेलीविजन और रेफ्रिजरेटर तक सभी की मांग गिरी है. ये पैटर्न दिखाता है कि उच्च मध्य वर्गीय लोगों के बीच प्रीमियम प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है. जबकि लोअर इनकम ग्रुप के ग्राहकों ने बड़े पैमाने पर इस तरह के खर्च से दूरी बनाई हुई है.