Explainer : व्यापार…जिसने बार-बार ऐसे बदला संसार, अब भारत की है कुछ बड़ा करने की तैयारी

Explainer : व्यापार…जिसने बार-बार ऐसे बदला संसार, अब भारत की है कुछ बड़ा करने की तैयारी

व्यापार अंग्रेजी में कहें तो ट्रेड, ये वो शब्द है जिसने इस दुनिया को बार-बार एक नया रंग-रूप दिया. आज भी ये पूरी दुनिया को चलाने का काम करता है. चलिए समझते हैं कि कैसे इसने दुनिया को बदला...

दुनिया के लिए आज व्यापार कितना महत्वपूर्ण हो गया है, इसका अंदाजा बस इस बात से लगाया जा सकता है कि युद्ध की स्थिति में भी कई देश अपना आपसी व्यापार बंद नहीं करते. अगर किसी देश को घेरना होता है तो सबसे पहले उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं. अगर किसी देश के साथ रिश्ते सुधारने हैं तो उसके साथ आपसी व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है. अगर आप दुनिया के इतिहास को देखेंगे तो सेनाओं ने एक देश के लिए दूसरे देश के भूभाग को जीता होगा, लेकिन असल में उसकी नींव में व्यापार ही रहा है. चलिए समझते हैं…

ट्रेड का सीधा सा अर्थ है…किसी काम के बदले दूसरा काम. मानव सभ्यता के इतिहास में लंबे समय तक भोजन का जुगाड़ ऐसे ही किया गया जिसे हम सब बार्टर सिस्टम के नाम से जानते हैं. मतलब एक व्यक्ति अपना ज्वार किसी को दे दे, और बदले में दूध-दही-तरकारी का जुगाड़ कर लें. खैर बात मॉर्डन ट्रेड की करें तो भी कहानी करीब 5,000 साल पुरानी है.

Trade Two

लंबे समय तक बार्टर सिस्टम ने पूरी की दुनिया की जरूरत

सिंधु घाटी सभ्यता में होता था व्यापार

हां, भारत की ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ (Indus Valley Civilisation) को देखें तो ये एक शहरी सभ्यता थी. किसी भी शहर की आधारशिला व्यापार होता है और व्यापार होता ही तब है, जब आपके पास सरप्लस यानी अपनी जरूरत से अधिक सामान है. अब सोच कर देखिए कि 5,000 साल पहले भी हमारे पूर्वज खेती और व्यापार ये दो काम निश्चित तौर पर कर रहे थे. तभी तो इस सभ्यता में आपको हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो जैसे बड़े-बड़े शहर देखने को मिलते हैं, तो धौलावीरा और लोथल जैसे बंदरगाह देखने को मिलते हैं, जो तब अरब और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार करने के काम आते थे. यहां तक की भारत को ‘India’ नाम मिलने की भी एक बड़ी वजह अरब देशों से आने वाले ट्रैवलर्स और व्यापारी ही हैं.

मार्को पोलो से अमेरिका की खोज तक

अब कहानी में थोड़ा फास्ट फॉरवर्ड लेकर चलते हैं. भारत के संदर्भ में देखें तो मौर्य काल में पश्चिमी समुद्र तट के अलावा तक्षशिला और अफगानिस्तान के रास्ते व्यापार होता था. उसी ट्रेड रूट को फॉलो करते हुए सिकंदर भारत तक आया. फिर गुप्त काल में भारत के व्यापार का फलसफा पूर्वी देशों तक फैला, तो वहीं दक्षिण में चोल साम्राज्य ने रत्न-आभूषण और मसालों का व्यापार आज के आसियान देशों तक किया. आज हम और आप जिस इडली को खाते हैं, भाप में खाना पकाने की ये विधि भी चोल साम्राज्य के दौरान ही भारत पहुंची.

कहानी इतनी ही नहीं है सन् 1271 से 1295 के बीच इटली का बड़ा व्यापारी मार्को पोलो भारत और एशिया की यात्रा पर निकला. इसके बाद इब्न बतूता नाम के ट्रैवलर ने मोरक्को से लेकर चीन तक की यात्रा व्यापारियों के साथ ही की. इसी दौर में साहित्य की दुनिया में विलियम शेक्सपियर ने ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ लिखी. इंसान की जान से पहले व्यापार और सामान का बीमा शुरू हुआ जिसने इंश्योरेंस सेक्टर को बनाया. दुनिया की सबसे बड़ी खोज में से एक ‘अमेरिका की खोज’ की नींव भी व्यापार की मजबूरी ने कराई.

किस्सा कुछ यूं है कि यूरोप में उन दिनों भारतीय मसालों की खूब पूछ परख थी. साथ ही यहां बनने वाला मसलिन का कपड़ा महंगे दामों में वहां बिकता था. लैंड रूट से व्यापार होता था, लेकिन साल 1453 में कुस्तुनतुनिया (आज के समय में तुर्की का हिस्सा) का पतन हो गया, ऑटोमन साम्राज्य ने आकार लेना शुरू किया और नए ट्रेड रूट की तलाश शुरू हुई. कुस्तुनतुनिया के पतन के महज 40 साल बाद ही कोलंबस और कुछ साल बाद वास्को डिगामा भारत की खोज में निकले. फर्क इतना है कोलंबर नई जमीन पर यानी अमेरिका पहुंचा और वास्कोडिगामा कालीकट के बंदरगाह पर.

Trade Spices

भारतीय मसालों की दुनिया दीवानी है

अंग्रेज-डच-फ्रेंच आए व्यापार करने

वास्को डिगामा के भारत के साथ व्यापार के लिए नया रास्ता खोजने के बाद अंग्रेज, डच और फ्रेंच सब व्यापार करने भारत पहुंचे. व्यापार ने भारत के इतिहास को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया. इसी दौर में यूरोप ने औद्योगिक क्रांति देखी, अफ्रीका ने दास प्रथा का सामना किया, अमेरिका में लोकतंत्र पनपा और चीन ने ओपियम वॉर जैसे टर्निंग प्वॉइंट्स को देखा. इन सभी घटनाओं ने सामाजिक और राजनैति घटनाक्रम कैसे बदले, ये कहानी से महत्वपूर्ण है कि इन सबके मूल में व्यापार ही रहा.

नया वर्ल्ड ऑर्डर लिख रहा भारत

मौजूदा वक्त में भारत दुनिया का नया वर्ल्ड ऑर्डर तय कर रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह 1991 में मनमोहन सिंह के किए वो आर्थिक सुधार हैं, जो आज भारत को दुनिया का सबसे बड़ा युवा बाजार बनाते हैं. चीन ने जिस व्यापार के दम पर 1980 के दशक में अपनी आर्थिक शक्ति का लोहा मनवाया अब उसे भी चुनौती देने का काम भारत कर रहा है, तो सिर्फ अपनी आर्थिक ताकत के बल पर.

आज दुनिया की हर कंपनी भारत में सामान बेचना चाहती है.

आज दुनिया की हर कंपनी भारत में सामान बेचना चाहती है.

दुनिया की हर कंपनी इस समय भारत में अपना सामान बेचना चाहती है, फिर वह चाहे एपल का आईफोन हो या डेनमार्क का दूध. वहीं भारत की आईटी पावर का लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है, और अब बहुत जल्द मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत चीन को चुनौती देने लगेगा.

इस कहानी में नया ट्विट चीन और भारत की टक्कर का भी है. चीन ने अपने पुराने सिल्क रूट को रिवाइव करने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी परियोजना पर काम शुरू किया. इसको चुनौती देने के लिए इस साल जी20 समिट में भारत ने अपने पुराने ‘मसाला रूट’ को रिवाइव करने की ठान ली है. भारत-खाड़ी देश-यूरोप मिलकर अब एक ऐसे ट्रेड रूट पर काम कर रहे हैं, जो समुद्र और लैंड रूट का मिला-जुला रूप होगा. इससे भी अहम बात ये है कि ये रूट रिवाइव होने के बाद फिर से नए वर्ल्ड ऑर्डर को सेट करेगा.