तपेश्वर नाथ से धोपेश्वर नाथ तक, कांवड़ियों के जयकारे से गूंज रहे बरेली के सातों शिवालय, जानें इनका इतिहास
मान्यता है कि ये सभी शिवलिंग स्वंभू प्रकट हुए हैं, जिस वजह से सावन के महीने में मंदिरों में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं. मढ़ीनाथ, तपेश्वरनाथ, पशुपतिनाथ, अलखनाथ, धोपेश्वर नाथ, त्रिवटी नाथ, वनखंडी नाथ मंदिर बरेली के प्रमुख मंदिर है.
बरेली को नाथ नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां नौ प्राचीन मंदिर हैं. इन प्राचीन मंदिरों की अलग-अलग विशेषताएं हैं. मंदिरों में दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और अपनी मुराद मांगते हैं. सावन का महीने चल रहा है. इस समय कांवड़िये हरिद्वार और कछला गंगा घाट से जल भरकर नाथ नगरी के मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं. वहीं सावन के तीसरे सोमवार को लेकर पुलिस-प्रशासन अलर्ट पर है. बाहरी वाहनों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. द्वापर युग से अब तक नाथ नगरी में प्रकट हो चुके स्वयं शिव शंभू चारों दिशा में स्थापित हैं.
देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीच में झुमका सिटी के नाम से मशहूर बरेली शहर नाथ नगरी के नाम से भी प्रचलित है. यह नाम की ख्याति वर्ली शहर में मौजूद सात प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिरों के नाम पर पड़ी मान्यता है कि बरेली के चारों दिशाओं की ओर प्राचीन भव्य शिव मंदिर है, जिसकी वजह से बरेली की प्राकृतिक रूप से सुरक्षा भी नाथ मंदिर के पहरेदार नाथ नगरी की सुरक्षा करते हैं.
हरिद्वार और कछला घाट से भरते हैं जल
इसके अलावा पूरे राज्य भर से लोग दर्शन करने के लिए दूर-दूर से बरेली शहर के नाथ नगरी में आते हैं. हर साल बरेली से ही जलाभिषेक और कावड़ यात्रा भी निकाली जाती है. जलाभिषेक और कावड़ के लिए लोग बरेली के नाथ मंदिर से अपनी पदयात्रा आरंभ करके कछला घाट, ब्रजघाट, हरिद्वार, ऋषिकेश से जाकर बरेली के नाथ मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं. शोभा यात्रा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. शहर के प्रसिद्ध मंदिरों का इतिहास भी बेहद प्राचीन है. रोहिलखंड विश्वविद्यालय के शोधार्थी भी प्राचीन इतिहास पर कई शोध कार्य कर रहे हैं.
जानें इन मंदिरों का इतिहास
1- वनखंडी नाथ मंदिर शहर के अति प्राचीन मंदिरों में से एक श्री वनखंडी नाथ मंदिर है. मान्यता है कि यह मंदिर द्वापर युग का है. यहां पर शिवलिंग स्वयं ही प्रकट हुआ था. सर्वप्रथम द्वापर युग में वनवास के दौरान पांडवों और धर्मपत्नी द्रौपदी ने इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. मंदिर की स्थापना भी की थी. कहा जाता है कि मुगल काल में औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त करने के भी आदेश दिए थे. शिवलिंग को हाथियों की मदद से तोड़ने की भी कोशिश की थी. आज भी शिवलिंग पर हाथी द्वारा खींचे गए चैन के निशान बने हुए हैं, जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम श्री वनखंडी नाथ मंदिर पड़ा.
2- तपेश्वर नाथ मंदिर बरेली के सुभाष नगर थाना क्षेत्र में स्थित श्री तपेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास भी बहुत प्राचीन है. कहा जाता है कि ऋषि मुनियों की तपोस्थली के नाम पर ही तपेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की गई. युगों-युगों से यहां पर ऋषि-मुनि अपनी आराधना और तपस्या के लिए आया करते थे. ऋषि-मुनियों के द्वारा ही शिवलिंग की स्थापना की गई थी, जो आज के युग में भव्य मंदिर के रूप में स्थापित हो चुका है. अब यह मंदिर शहर के मुख्य नाथ मंदिरों में से एक है.
3- श्री अलखनाथ मंदिर शहर में अति प्राचीन मंदिरों में से एक श्री अलखनाथ मंदिर का इतिहास भी बहुत प्राचीन है. बाबा बालक नाथ के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर की देख-रेख साधु और महंत ही करते हैं. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल प्रतिमा शहर की सबसे ऊंची प्रतिमा है. यह शहर की पहचान बन चुकी है. हर साल सावन महीने में यहां पर भव्य भंडारों का आयोजन भी होता है.
4- पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल में स्थित श्री पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर ही बरेली में भी पशुपतिनाथ मंदिर की स्थापना की गई. कई दशक पहले एक परिवार ने मान्यता पूरी होने पर पशुपतिनाथ मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर की भव्यता बिल्कुल नेपाल के शिव मंदिर जैसी ही है. शहर में पशुपतिनाथ मंदिर आकर्षण का एक मुख्य केंद्र है. दूर-दूर से लोग यहां दर्शन को आते हैं.
5- त्रिवटी नाथ मंदिर शहर के प्रेम नगर थाना क्षेत्र में स्थित श्री त्रिवटी नाथ मंदिर की बहुत प्राचीन है. इतिहासकार बताते हैं कि कई हजार वर्ष पूर्व वट वृक्ष के तलहटी में शिवलिंग स्वयं ही प्रकट हुआ था. किसी व्यक्ति के सपनों में भगवान शिव ने दर्शन दिए कि एक प्राचीन शिवलिंग आठ वर्ष की जड़ के पास है. जब खोजबीन हुई तो शिवलिंग पाया गया. तत्पश्चात भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. तब से लेकर अब तक हर सावन महीने में हजारों श्रद्धालु यहां पर जलाभिषेक के लिए आते हैं. इसी परिसर में स्थित 100 फीट ऊंची शिव प्रतिमा भी बरेली शहर की पहचान बन चुकी है और आकर्षण का केंद्र है.
6- धोपेश्वर नाथ मंदिर शहर के कैंट थाना क्षेत्र में स्थित धोपेश्वर नाथ मंदिर भी प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि मंदिर में मौजूद सरोवर जो कभी सूखता नहीं है. इस सरोवर में स्नान करने से त्वचा रोग से संबंधित बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसलिए दूर-दूर से यहां लोग उपचार के लिए भी जाते हैं और सरोवर में स्थान करते हैं. हर वर्ष सावन महीने के अंतिम सोमवार को यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें कपड़े से बनी गुड़िया, लकड़ी से बने खिलौने और मिट्टी से बने कछुआ, हाथी, घोड़े, रेल के इंजन आदि खिलौने खूब बिकते हैं.
7- मढ़ीनाथ मंदिर पश्चिम दिशा में स्थित यह प्राचीन मंदिर पांचाल नगरी का है. यहां के बाबा के पास मणिधारी सर्प था जिसके कारण मंदिर का नाम मढ़ीनाथ मंदिर पड़ा. जिस इलाके में ये मंदिर स्थित है उस इलाके को मढ़ीनाथ मोहल्ले के नाम से जाना जाता है.