मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर शिंदे गुट को ही क्यों चुना, BJP को क्यों नहीं?

मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर शिंदे गुट को ही क्यों चुना, BJP को क्यों नहीं?

मिलिंद देवड़ा की गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी, लेकिन अब शिवसेना शिंदे गुट में शामिल होने के बाद 55 साल का साथ एक झटके में खत्म हो गया. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिरी मिलिंद देवड़ा बीजेपी में क्यों नहीं शामिल हुए, उन्होंने शिंवसेना शिंदे गुट में जाना क्यों बेहतर समझा?

कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरे और राहुल गांधी के करीबी कहे जाने मिलिंद देवड़ा रविवार को एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल हो गए. इसी के साथ 56 साल बाद कांग्रेस पार्टी में उनकी राजनीति का अंत हो गया. अब वो शिंदे गुट की ओर से राजनीति की पिच पर बल्लेबाजी करते हुए नजर आएंगे. मिलिंद देवड़ा के शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल होने के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर उन्होंने बीजेपी क्यों नहीं ज्वाइन की? शिंदे गुट को ही क्यों चुना?

कांग्रेस छोड़ने वाले मिलिंद देवड़ा ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की जगह शिंदे गुट को क्यों चुना इसके पीछे भी दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आमतौर पर मिलिंद देवड़ा दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से राजनीति करते हैं. यहीं से वो दो बार सांसद भी रह चुके हैं. हालांकि, 2014 और 2019 के चुनाव में उनको इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था.

शिवसेना उद्धव गुट के कब्जे में है दक्षिण मुंबई की सीट

2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति कुछ और थी और शिवसेना एनडीए का हिस्सा थी और उद्धव ठाकरे नेता थे. चुनाव में दक्षिण मुंबई की सीट पर शिवसेना ने अरविंद सावंत को उम्मीदवार बनाया था. सावंत ने जीत भी हासिल की, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. शिवसेना दो हिस्से में बंट चुकी है और उद्धव ठाकरे की शिवसेना महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है. दूसरी ओर बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और एनसीपी के अजित पवार सत्ता में हैं.

उद्धव ठाकरे ने सीट देने से कर दिया इनकार

महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि दक्षिण मुंबई की सीट अभी भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास ही रहेगी. उन्होंने पिछली दो जीत का हवाला देते हुए सीट कांग्रेस को देने से मना कर दिया है. माना जाता है कि दक्षिण मुंबई की सीट शिवसेना को देना मिलिंद देवड़ा को मंजूर नहीं था. पार्टी के सामने उन्होंने अपनी बात भी रखी थी लेकिन उनकी बातों को दरकिनार कर दिया.

इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया. अगर वो कांग्रेस नहीं छोड़ते तो उन्हें सीट के लिए पांच साल तक का इंतजार करना पड़ता. सूत्रों के मुताबिक, मिलिंद देवड़ा का मानना था कि पांच साल बाद देश की राजनीति और सीट पर कौन सा समीकरण बैठेगा कोई नहीं जानता है.

दक्षिण मुंबई से शिंदे गुट लड़ सकता है चुनाव

इधर शिंदे गुट ने दक्षिण मुंबई की सीट पर अपना दावा ठोक दिया है. शिंदे गुट बीजेपी को यह सीट देने पर राजी नहीं था. जिसके बाद चर्चा है कि बीजेपी ने यह सीट छोड़ने का फैसला किया है. इसलिए मिलिंद देवड़ा बीजेपी में शामिल होने के बजाय शिंदे गुट में शामिल हुए हैं. अब आगे देखना होगा कि क्या शिंदे गुट उन्हें दक्षिण मुंबई से उम्मीदवार घोषित करता है या नहीं लेकिन सूत्रों के मुताबिक, मिलिंद देवड़ा और शिंदे गुट में सीट को लेकर डील पक्की हो चुकी है.