5 साल में भारत की ऑटो इंडस्ट्री बनेगी नबंर 1, नितिन गडकरी ने बताया प्लान

5 साल में भारत की ऑटो इंडस्ट्री बनेगी नबंर 1, नितिन गडकरी ने बताया प्लान

हाल ही में जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बन गई है. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अगले 5 सालों में इंडिया को नंबर 1 ऑटो इंडस्ट्री बनाने का रोडमैप पेश किया है. देश इस टारगेट को कैसे हासिल करेगा, इसकी पूरी जानकारी यहां पढ़ें.

Indian Automobile Industry: सरकार की कोशिशों से आने वाले 5 सालों में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पूरी दुनिया में नंबर वन बन जाएगी. इसे लेकर भारत सरकार ने प्लान भी बनाया है. कैबिनेट मिनिस्टर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस संबंध में देश के विकास का रोडमैप बताते हुए कहा कि आगामी 5 साल में भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर दुनिया में नंबर वन होगा. दरअसल, इस सेक्टर में सरकार के द्वारा बहुत तेजी से प्रयास भी किए जा रहे है.

ऑटो इंडस्ट्री का कुल साइज 7.5 लाख करोड़

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का कुल साइज 7.5 लाख करोड़ रुपए है. सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का टर्नओवर 15 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर पहुंचाना है.

ऑटो इंडस्ट्री ने दी 4.5 करोड़ लोगों जॉब

भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ऐसी है जो देश में सबसे ज्यादा रोजगार की संभावनाएं तैयार करती है. आज दुनिया के सभी ब्रांड भारत में मौजूद हैं. देश में साढ़े चार करोड़ लोगों को रोजगार भी इसी इंडस्ट्री से मिलता है.

सबसे ज्यादा GST कलेक्शन देने वाला सेक्टर

केवल इतना ही नहीं देश और राज्यों को GST का सबसे ज्यादा कलेक्शन भी ऑटो सेक्टर से आता है. रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे (MoRTH) मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कहा, हमारा लक्ष्य अगले 5 साल में देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का टर्नओवर 15 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर पहुंचाना है.

इंडिया में सबसे ज्यादा यंग टैलेंटेड इंजीनियर

मॉडर्न टेक्नोलॉजी से इसे हासिल करने में सफलता भी मिल रही है. उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा यंग टैलेंटेड इंजीनियरिंग मैन पावर हिंदुस्तान में है. हमारे देश के सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पूरी दुनिया में मांग है. यही कारण है कि आज भारत हर सेक्टर में तेजी से उभर रहा है.

देश में लाई जा रही तमाम तरह की गाड़ियां

इस सेक्टर में तेजी लाने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही. इसलिए आज देश में इलेक्ट्रिक, इथेनॉल, मेथेनॉल, बायो डीजल, बायो LNG, CNG, ग्रीन एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन गाड़ियां लाई जा रही हैं. ये ऑटोमोबाइल सेक्टर के हर उस पहलू को कवर करने में मदद करेंगे जो देश को नंबर वन ऑटोमोबाइल सेक्टर बनाने में कारगर साबित होंगे. इन्हीं के बलबूते आने वाले समय में भारत ऑटोमोबाइल सेक्टर में प्रबल दावेदारी करेगा.

जापान को पछाड़कर तीसरे नंबर पर इंडिया

फिलहाल, भारत ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में जापान को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचा चुका है. यह भी अपने आप में भारत के तेजी से आगे बढ़ने की गवाही देता है. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में आगे आने वाला वक्त भी देश को और भी खुशखबरी दे सकता है.

5 साल में 4.5 चार करोड़ नई जॉब

जी हां, केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि पांच साल में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से साढ़े चार करोड़ नए जॉब क्रिएट होंगे. इससे बेरोजगारी की समस्या से निपटने में भी भारत को बड़ी मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश के सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पूरी दुनिया में मांग है.

e-Vehicles से होगा बड़ी समस्या का हल

ई व्हीकल्स के विकास पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटर, इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक ट्रक, इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर इलेक्ट्रिक जेसीबी और इलेक्ट्रिक कंस्ट्रक्शन एक्वपमेंट्स सब कुछ बन रहे हैं. एक हजार करोड़ रुपए का रोड बनाने में 100 करोड़ रुपए डीजल पर खर्च हो जाते हैं. जबकि ई-मशीनरी से यह खर्च सिर्फ 10 करोड़ रुपए का होगा और 90 करोड़ रुपए बचेंगे. ऐसा होने पर हमारे काम बिलो टेंडर (Below Tender) होने लगेंगे. यूनियन मिनिस्टर ने बताया कि अभी देश में 20.8 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां हैं. 2021 की तुलना में इसमें 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सरकार का लक्ष्य 2030 तक देश मे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या दो करोड़ करने का है और इसमें 50 लाख सरकारी गाड़ियां होंगी.

10 साल बाद जनसंख्या कम और गाड़ियां ज्यादा

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने कहा कि इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, इकोनॉमिक फिजिबिलिटी, कच्चा माल व बाजार की उपलब्धता जैसी चीजें काफी अहम होती हैं. हमारे पास बाजार की कोई कमी नहीं है. अभी देश में 30 करोड़ गाड़ियां हैं. 10 साल बाद जनसंख्या कम और गाड़ियों की संख्या ज्यादा होगी. परिवार में तीन सदस्य होंगे तो गाड़ियों की संख्या पांच होगी. दिल्ली और मुंबई में ऐसी स्थिति देखी जा सकती है.