8 दिन पहले पिता को हुई सजा, फिर ‘फाइनेंस वालों’ ने छीनी स्कूटी; बेटी ने फांसी लगाकर दे दी जान

8 दिन पहले पिता को हुई सजा, फिर ‘फाइनेंस वालों’ ने छीनी स्कूटी; बेटी ने फांसी लगाकर दे दी जान

एक छात्रा की स्कूटी को फाइनेंस करने वालों ने छीन लिया. किस्त न जमा हो पाने के कारण उन्होंने स्कूल से घर जाती छात्रा को बुलाया और उसकी स्कूटी ले ली. इस बात से छात्रा बहुत आहत हुई और उसने बहुत ही खतरनाक कदम उठाया.

छात्रा ने सुसाइड कर लिया. 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली साल की रायशा खातून बाजार से सामान लेकर घर वापस आ रही थी, तभी फाइनेंसर की निगाह स्कूटी पर पड़ गई उसने तुरंत रायशा को आवाज लगाई और उसे रोक लिया. मृतका के बड़े पिता ने बताया कि घर से स्कूल दूर होने के कारण रायशा के पिता ने एक इलेक्ट्रिक स्कूटी फाइनेंस पर उसे खरीद कर दी थी, उसी स्कूटी से रायशा रोज स्कूल जाया करती थी.

घटना के समय परिवार दूसरे कमरे में था, आवाज देने पर जब रायशा नहीं बोली, तो घरवाले दूसरे कमरे में जाकर देखे तो उनके होश उड़ गए. छात्रा ने पंखे के हुक से लटक कर आत्महत्या कर ली. परिवार के लोगों ने तुरंत उसे फंदे से नीचे उतार कर देखा तो उसकी मौत हो चुकी है. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया.

फाइनेंस की कुछ किस्त नहीं दे पाए

आयशा के घरवालों ने बताया कि स्कूटी फाइनेंस की एक तो किस्त नहीं दे पाए थे. पांच दिन पहले फाइनेंस वाले स्कूल जाते समय बाजार से उसकी स्कूटी छीन कर चले गए. जबकि रायशा उन्हें बार-बार रोकने रही थी. काफी मिन्नत करने के बाद भी वो नहीं माने और स्कूटी लेकर चले गए. रायशा काफी मायूस और उदास होकर पैदल ही अपने घर आई और अपने मां को रोते हुए पूरी बात बताई. उसने कहा कि मां अब हम स्कूल नहीं जाएंगे. पापा भी जेल चले गए अब लोग क्या करेंगे?

पिता को हुई है सात साल की सजा

रायशा के पिता मुबारक अली पर अक्टूबर 2017 में विंधमगंज थाना क्षेत्र की एक नाबालिग से छेड़खानी के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था. उसी मामले में कोर्ट ने मुबारक अली को दोषी मानते हए 7 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद उसे 29 अगस्त 2024 जेल भेज दिया गया था. परिवार और ग्राम प्रधान ने बताया कि रायशा की स्थिति बताती है कि आर्थिक समस्या और पारिवारिक कठिनाइयों ने उसे गहरे अवसाद में थी. स्कूटी का छिनना और पिता का जेल जाना, उसके जीवन में बहुत बड़ा आघात बना, जिससे वह उबर नहीं पाई.