पाकिस्तान का काल तहरीक-ए-तालिबान! पुलिस फोर्स को दी और हमलों की धमकी

पाकिस्तान का काल तहरीक-ए-तालिबान! पुलिस फोर्स को दी और हमलों की धमकी

प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अपने प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी की ओर से जारी बयान में हमले की जिम्मेदारी ली. यह हमला प्रांतीय सरकार के लिए एक बड़ी चिंता और शर्मिंदगी का कारण बना है.

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में स्थित पुलिस मुख्यालय पर शुक्रवार को पाकिस्तानी तालिबान ने घातक फिदायीन हमला किया. इस हमले में तीन सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई, जबकि 18 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान) के आतंकी पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों को लगातार निशाना बना रहे हैं. बड़ी बात यह है कि टीटीपी ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों के खिलाफ और हमलों की चेतावनी दी है.

टीटीपी ने शनिवार को अंग्रेजी भाषा में दिए बयान में कहा, “पुलिसकर्मियों को गुलाम सेना के साथ हमारे युद्ध से दूर रहना चाहिए, अन्यथा शीर्ष पुलिस अधिकारियों की सुरक्षित पनाहगाहों पर हमले जारी रहेंगे.” तालिबान पुलिसकर्मियों को अपने नेताओं की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराता है.

धमाकों की आवाज से दहल उठा कराची का मुख्य बाजार

शुक्रवार को कई घंटों तक गोलीबारी और धमाकों की आवाज से कराची का मुख्य बाजार दहल उठा. शुक्रवार को तालिबान के एक आत्मघाती दस्ते ने दक्षिणी बंदरगाह शहर में विशाल कराची पुलिस कार्यालय परिसर पर धावा बोल दिया, जिसके बाद घंटों तक चली मुठभेड़ में दो हमलावर मारे गए और तीसरे ने खुद को उड़ा लिया. अधिकारियों ने कहा कि हमले में दो पुलिस अधिकारियों, एक सेना रेंजर और सहायक स्वच्छता कार्यकर्ता की मौत हो गई.

सुरक्षा चूक का ऑडिट करेंगी एजेंसियां

पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियां और सिंध सरकार पाकिस्तानी तालिबान के आतंकवादियों की ओर से किए गए कराची हमले के मामले में गंभीर सुरक्षा चूक का ऑडिट करेंगी. प्रांतीय प्रशासन के एक वरिष्ठ सदस्य ने डॉन अखबार से कहा, गंभीर सुरक्षा चूक नजर आती है. खबर के मुताबिक अधिकारियों ने इस बात को माना है कि हमले ने कई सवाल खड़े कर दिये और सुरक्षा ऑडिट की जरूरत है.

नवंबर के बाद से आतंकी हमलों में बढ़ोतरी

पाकिस्तान में नवंबर के बाद से आतंकी हमलों में बढ़ोतरी देखी गई है जब पाकिस्तानी तालिबान ने सरकार के साथ महीनों लंबा संघर्ष विराम समझौता तोड़ा दिया था. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान एक अलग समूह है और इसे अफगानिस्तान के तालिबान समूह का कथित सहयोगी माना जाता है. तहरीक-ए-तालिबान को पाकिस्तानी तालिबान के नाम से जाना जाता है.